श्याम कुमार राई की कविता : वादा तेरा वादा …..

वादा तेरा वादा …..

हुजूर ….. माई बाप !

ये अपनी घोषणाओं में
आप जो हमसे
वादे करते हैं
सपने दिखाते हैं
जो दिलासे देते हैं
वो सारे के सारे
वादे, सपने, दिलासाएं
हमें अच्छी तरह याद हैं

बताऊं कैसे !?
वो सब हमें अपने
परदादाजी से
दादा जी से
विरासत में मिले हैं

ये हैं तो बड़े अच्छे ,
पर अब इन्हें
नए जुमलों,
नए नारों से
खूबसूरत बनाने की
जरूरत है
तभी ये अच्छे लगेंगे
हमें सुनने में और
आपको कहने में

ऐसा करें,
कुछ नए वादे जोड़ दीजिए
सपनों को और रंगीन कर दें
दिलासाओं को
और दमदार करें
चाहे तो
पुराने कुछ हटा दीजिए
भले ही उन्हें फिर जोड़ लेना।

क्या फर्क पड़ता है
कुछ भी कह दीजिए
बस, हम उन वादों
सपनों और दिलासाओं के
सम्मोहन में आकर
आपको तख्त पर
बिठाने वाली ‘पीईई… की ध्वनि
करने वाली
बटन दबा दें …..।

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *