इंतजार
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बाट निहारे तेरी सजनी,
कर सोलह शृंगार ।
आ जा सजना घर जल्दी तू,
कर दे अब उपकार ।
प्रेम ह्रदय में छिपा के रखा ,
कर दूंँ मैं इजहार ।
तेरी हो गई मैं जोगन,
है मुझको ये स्वीकार ।
बसता हृदय में रूप जो तेरा,
बस तेरा ही अधिकार ।
नैन बिछाए बैठी हूंँ मैं ,
करूंँ तेरा ही इंतजार ।
आकर मेरी विरह मिटा जा ,
लगा गले तू यार ।
बाट निहारे तेरी सजनी,
कर सोलह शृंगार।।
©️®️पूनम शर्मा स्नेहिल