राम पुकार सिंह की कविता : बाबू कुंवर सिंह

।।बाबू कुँवर सिंह।।
राम पुकार सिंह

बाबू कुँवर खुद शेर थे उनके गजब अंदाज थे,
परवाना थे आजादी की आजादी के परवाज थे।

उनके बगावत से स्वतंत्रता के शोले भड़के थे,
आजादी खातिर पैदा थे आजादी के जाबांंज थे।

जीना गुलामी में कभी उनको नही मंजूर था,
गौरव रहे सचमुच बिहार के हिन्द के सरताज थे।

चिंगारी आजादी की सुलगाये थे खुद वे हिन्द में,
व्यक्तित्व था फौलादी उनका हिन्द के वो साज थे।

ऐसा सेनानी थे वो आजादी की हिन्दुस्तान के,
है नाज उनपर आज भी आजादी की आगाज थे।

था खौफ उनका तो सदा अंग्रेजों के मन में गजब,
कहना क्या सब है मानते आजादी की आवाज थे।

आजादी खातिर दे दिये आहुति अपनी जान की,
लोहा “पुकार” लेने का दुश्मन से गजब अंदाज थे।

राम पुकार सिंह, कवि

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