।।शरद पूर्णिमा।।
राजीव कुमार झा
बारिश के थमते ही
रात जगमगा उठी
चाँद आकाश में
सबको नजर आया
खुशी से भरी नदी
तट पर ठहर गयी
संध्या का पहर
याद आया
सूना हो गया मन
किस पिछवाड़े से
घर चला आया
आँगन रोशनी से
रातभर नहाया
हवा का झोंके ने
कोई मीठा गीत गाया
सपनों में जगाया
सितारों ने आग
पानी में जलाया
ओ गोरी!!
याद आया
किस दिन का किस्सा
जिसने सुनाया
पानी का कोई सोता
बहता चला आया
आज नहा धोकर
सबने गीत गाया