इंडियन आर्मी डे पर कविता : जांबाज सिपाही

जांबाज सिपाही

घुसपैठ की साहस कभी न करना
सरहदों की निगरानी करता हूँ मैं,
अरे ! दुश्मनों तुम्हें मालुम नहीं
भारत का जांबाज सिपही हूँ मैं ।

लौट जाओ वरना खैर नहीं
ज्वालामुखी का बहता लावा हूँ मैं,
अरे ! दुश्मनों न टकराओ हमसे
तुम्हारे लिए विशाल चट्टान हूँ मैं ।

सोचना न भूल से भी कभी
तुम्हारे हुंकार से डरता हूँ मैं,
अरे ! दुश्मनों तुम्हारे लिए तो
अकेला ही काफी हूँ मैं ।

देशवासियों की सुरक्षा के लिए
परिवारों को छोड़कर आया हूँ मैं,
अरे ! दुश्मनों समझा करो इस बात को
तुम्हारा नामों-निशान मिटाने आया हूँ मैं ।

गोपाल नेवार, गणेश सलुवा

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