जांबाज सिपाही
घुसपैठ की साहस कभी न करना
सरहदों की निगरानी करता हूँ मैं,
अरे ! दुश्मनों तुम्हें मालुम नहीं
भारत का जांबाज सिपही हूँ मैं ।
लौट जाओ वरना खैर नहीं
ज्वालामुखी का बहता लावा हूँ मैं,
अरे ! दुश्मनों न टकराओ हमसे
तुम्हारे लिए विशाल चट्टान हूँ मैं ।
सोचना न भूल से भी कभी
तुम्हारे हुंकार से डरता हूँ मैं,
अरे ! दुश्मनों तुम्हारे लिए तो
अकेला ही काफी हूँ मैं ।
देशवासियों की सुरक्षा के लिए
परिवारों को छोड़कर आया हूँ मैं,
अरे ! दुश्मनों समझा करो इस बात को
तुम्हारा नामों-निशान मिटाने आया हूँ मैं ।
गोपाल नेवार, गणेश सलुवा