शंकर दास की कविता- जल : मेरी पुकार सुनो

जल : मेरी पुकार सुनो

मुझे व्यर्थ ना करो
हम से ही जीवन संसार है,
कहीं-कहीं मेरे लिए ही मचता हाहाकार है
मुझे व्यर्थ ना करो, हमसे ही जीवन संसार है।

मेरे मुल्य उनसे पूछो सुबह-शाम जो लाइन में रहते
तड़प-तड़प के आह जो भरते,
समय की परिभाषा देखो लोग हमको भी अब करते व्यापार है
मुझे व्यर्थ ना करो हमसे ही जीवन संसार हैं।

हम ना होंगे जीव ना होगा जानते हैं ये दुनिया सारी
अफसोस मुझे मूल्य मेरा जान कर भी लोग करते हैं क्यों मुझे बर्बादी,
मैं खोया तो दुनिया खोया फिर भी मुझे ना अहंकार है
मुझे व्यर्थ ना करो हमसे ही जीवन संसार है।

एक होते हुए भी मैं हजार छाप से जाना जाऊंगा
सोचा ना था कभी बंद बोतल में बिक पाऊंगा,
मेरे मूल्य को जान गए हो मुझे बचा लो विनती जग से यही बार-बार है
मुझे व्यर्थ ना करो हमसे ही जीवन संसार है।

शंकर दास

रचनाकार : शंकर दास

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