“नारी”
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नारी की जीवन गाथा
एक अज़ीब सी है,
गुपचुप मौन रहकर
बहुत कुछ सह जाती है,
वे अपने लिए नहीं
औरों के लिए जीती-मरती है।
माँ बनकर औलाद के लिए
दु:ख-दर्दों को झेला करती है,
बेटी बनकर परिवार के लिए
सब कुछ सह लेती है,
बहन बनकर भाईयों के लिए
भविष्य की सपने सजाती है,
अर्द्धांगिनी बनकर पति के लिए
अपनी सब कुछ लूटा देती है,
बहू बनकर ससुराल के लिए
जीवन समर्पित कर देती है।
नारी तू माँ है
नारी तू बेटी है
नारी तू बहन है
नारी तू पत्नी है
नारी तू बहू है
न जाने क्या-क्या
रूप समाई है तुझमें
नारी तू नारी नहीं
नारी तू साक्षात देवी है
नारी तू साक्षात देवी है।