ध्रुवदेव मिश्र पाषाण की कविता : “स्वागत नव वर्ष”

।।स्वागत नव वर्ष।।
सुधी सहृदयों के प्रति नए वर्ष की शुभकामनाएं
“स्वागत नए वर्ष का”
ध्रुवदेव मिश्र पाषाण
1/1/2022

धरती भर कागज पर
वृक्षों की डालो से
सात-सात सिंधुओं की स्याही से
आओ हम प्रीति का गीत लिखें
जीवन का एक नया छंद लिखें
नफरत का कारोबार बंद हो
मानव का मानव से
एक और अनुबंध हो
माता के आंचल की काट छांट
बंदरबांट बंद हो
लूटपाट छीन झपट छोड़े हम
दिशा-दिशा प्यार की अकवार भरें
धरती की संतति हम- शोषण से हीन
एक नया देश रचे- धरती से प्यार करें
वर्ष नया हर्ष नया, नया उत्कर्ष हो
हजार-हजार फूल खिले
बिछड़े हुए बंधु मिलें
दो हजार बाइस के स्वागत में
होंठ-होंठ हंसी खिले
टूट रहे दिल मिलें।

कवि ध्रुवदेव मिश्र पाषाण

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