*दहेज*
दहेज के लिए लड़को की,
लगती यहां मंडी है।
निशदिन यहां नववधू को,
जलाया जाता है।
आकस्मिक मृत्यु का उनको,
वरण कराया जाता है।
हाथ फैलाते बेशर्मी से,
हाय लिहाज नहीं आती है।
दहेज मांगते है बाबुल से,
जिसका पुर्जा पुर्जा गिरवी है।
खुद के कर्मों से गाड़ी बंगला,
बनाना इनकी औकात नहीं।
जननी बहन भार्या बेटी,
शायद इनको स्वीकार नहीं।
अर्जुन अज्जू तितौरिया