रिया सिंह की कविता : “संघर्ष ”

संघर्ष 

है जीवन तो,
संघर्ष भी है
अपनों से मिले कुछ दर्द भी है
इन आंखों में सपने भर कर,
उड़ने यह मन आकाश चला
धुंधले आकाश से लड़ने
आज है उसका काल चला
चली आंधियां बहने जब,
कुछ डर से गए
कुछ सहमे हम
चाप पदों की पाकर
लड़ने को अब बरसात चली
संग हवाओं के मिल कर
रास्ता रोके आ खड़ी
हां मैं ज़रा सी फिसली थी
पर मुंह से आह ना निकली थी
नाज़ मुझे इस बात का था
भविष्य के पीछे वर्तमान चला
है जीवन ,
तो संघर्ष भी है
अपनों से मिले कुछ दर्द भी है
-रिया सिंह  ✍🏻
स्नातक, तृतीय वर्ष, (हिंदी ऑनर्स)

टीएचके जैन कॉलेज

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