दीपा ओझा की कविता : “मुझे थकने का अधिकार नहीं”

“मुझे थकने का अधिकार नहीं”

मुझे थकने का अधिकार नहीं
मेरे सपनों की उड़ान
इस लम्बे अनंत
आकाश को देख कर
कभी डरते नहीं
इन तेज़ चलती हवाओं से
मेरे पंख शिथिल होते नहीं

इस संपूर्ण आकाश की
समानता इसकी अनंतता
मुझे भटकाते हैं
पर मैं दिशा हीन खोती नहीं
मैं संकल्प हीन रोती नहीं
मुझे पता है
जिन आंखों में सपने हो
उन्हें हताश रोने का अधिकार नहीं
उन्हें खुद को खोने का अधिकार नहीं

हाँ
ये हवाएं मुझे डराते हैं
मुझे कपाँतें हैं
पर मैं कभी रुकती नहीं
क्योंकि मैं जड़ मृत्यु नहीं
मुझे पता है
इन हवाओं के विरुद्ध उड़ना है
अब मुझे ज़रा खामोशी से शोर करना है
ऐसा नहीं
मुझे परिजन का सम्मान नहीं
बस ऐसा नहीं
मुझमें सपनों की जान नहीं
मैं बेजान नहीं
बिन उद्देश्य पूर्ति
मुझे बेजान होने का अधिकार नहीं
मैं स्त्री हूँ
मुझे थकने का अधिकार नहीं
मुझे थकने का अधिकार नहीं।
~~~✍️ दीपा ओझा

दीपा ओझा

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