कोलकाता। राज्य में जूट मिलों के भविष्य निधि न्यासी बोर्डों के खिलाफ नियोक्ताओं के योगदान को जमा न करने और कर्मचारियों के योगदान में कटौती के खिलाफ बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर, पश्चिम बंगाल सरकार ने इन व्यक्तिगत ट्रस्टों को भंग करने का फैसला किया है। राज्य के श्रम मंत्री मलय घटक ने हाल ही में हुई त्रिपक्षीय बैठक में जूट मिल मालिकों के प्रतिनिधियों और इस क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न ट्रेड यूनियनों के सामने इसकी घोषणा की। बैठक की कार्यवाही से वाकिफ सूत्रों ने कहा कि घटक ने बताया कि राज्य में केवल कुछ जूट मिलों के कर्मचारी सीधे ईपीएफओ कार्यालय से जुड़े हुए हैं और अधिकांश का अपना ट्रस्टी बोर्ड शो चला रहा है।
एक सूत्र ने कहा, “मंत्री ने यह भी देखा कि हाल ही में, ऐसे कई ट्रस्टी बोर्डों के खिलाफ नियोक्ताओं के योगदान के साथ-साथ कर्मचारी के योगदान पर अर्जित राशि को जमा नहीं करने की शिकायतें मिली हैं, हालांकि बाद में उनके वेतन से कटौती की गई थी।” सूत्र के मुताबिक, ट्रस्टी बोर्ड चलाने के लिए राज्य के श्रम मंत्री की मंजूरी की जरूरत होती है और ईपीएफओ कार्यालय द्वारा ट्रस्टों का वार्षिक ऑडिट किया जाता है।
पता चला है कि नवीनतम ऑडिट में ईपीएफओ कार्यालय ने भविष्य निधि अंशदान जमा करने में ऐसी अनियमितताओं की पहचान की है और इनमें से कुछ ट्रस्टों के खिलाफ राज्य के श्रम विभाग को कार्रवाई की सिफारिश भी की है। इस घटनाक्रम के बाद विभाग ने राज्य की जूट मिलों में इस तरह के किसी भी ट्रस्ट को जारी नहीं रखने का सैद्धांतिक निर्णय लिया है। भविष्य में भी ऐसे ट्रस्टों के लिए कोई नई अनुमति नहीं दी जाएगी।