कोलकाता, 29 नवंबर 2021 : देश की जानीमानी साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था नीलांबर द्वारा नाटक के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाने वाला ‘रवि दवे स्मृति सम्मान’ इस वर्ष देश की चर्चित नाट्यकर्मी, अभिनेत्री एवं नृत्यांगना चेतना जालान को दिया जाएगा। चेतना जालान ने कथक में अपना औपचारिक प्रशिक्षण लखनऊ घराने के प्रसिद्ध गुरु पंडित राम नारायण मिश्र, पंडित बिरजू महाराज और पंडित विजय शंकर से प्राप्त किया है। कथक पर चेतना की महारत और अन्य नृत्य रूपों की उनकी समझ के परिणामस्वरूप वर्ष 1985 और 1987 के दौरान मास्को में अंतर्राष्ट्रीय बैले प्रतियोगिता के लिए जूरी सदस्य के रूप में उनका चयन हुआ। वह वर्ष 1985 से 1987 अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान, यूनेस्को के लिए नृत्य समिति की उपाध्यक्ष (यह सम्मान पाने वाली पहली भारतीय) चुनी गईं।
नृत्य की विभिन्न शैलियों को मिलाने में सक्षम एक अभिनव कोरियोग्राफर के साथ-साथ वे एक प्रसिद्ध अभिनेत्री भी हैं, जिन्होंने ‘छपते-छपते’, ‘शुतुरमुर्ग’, ‘लहरों के राजहंस’, ‘एवम इंद्रजीत’, ‘ढोंग’, ‘एक प्याला कॉफ़ी’, ‘जाग उठा रायगढ़’, ‘बिल्ली चली पहन के जूता’, ‘गिद्धाड़े’, ‘सखाराम बाइंडर’, ‘गिनी पिग’, ‘सेजुआन की भली औरत’, ‘कुकुरमुत्ते’, ‘और तोता बोला’, ‘हजार चौरासी की माँ’, ‘अभिज्ञान शाकुंतलम’, ‘आधे-अधूरे’, ‘कन्यादान’, रामकथा रामकहानी’, “सूर्य की अंतिम किरण से पहली किरण तक”, ‘माधवी’, ‘बिखरे बिम्ब’ और ‘आत्मकथा’ जैसे कई गंभीर नाटकों में अभिनय किया है। इन्होंने सत्यदेव दुबे, बद्री तिवारी, राजेन्द्र नाथ, श्यामानंद जालान, अभिजीत दत्त तथा विनय शर्मा जैसे दिग्गज नाट्य निर्देशकों के साथ काम किया है। साथ ही उन्होंने इतालवी निर्देशक vincenzo cozzi के निर्देशन में “शहजादी तुरनदोत” तथा जर्मन निर्देशक Fritz bennewitz के निर्देशन में “राजा लियर” नामक नाटक में भी अभिनय किया।
अपने अभिनय करियर के दौरान वे रोलैंड जोफ द्वारा निर्देशित फिल्म ‘सिटी ऑफ जॉय’, श्यामानंद जालान द्वारा निर्देशित दूरदर्शन के लिए टेली-फिल्में ‘पगला घोड़ा’ और ‘सखाराम बाइंडर’ और टीवी धारावाहिक ‘कृष्णकांत का वसीयतनामा’ में तथा अपर्णा सेन निर्देशित “घरे बाइरे आज” में भी दिखाई दीं। उनकी ख्याति एक विश्व-प्रतिष्ठित कथक नृत्यांगना और कुशल कथक गुरु के रूप में भी हैं। उनकी नृत्य प्रस्तुति को देश और विदेश में समीक्षकों द्वारा सराहा गया है, और उन्हें एक साल के लिए सैन फ्रांसिस्को में उस्ताद अली अकबर संगीत कॉलेज में नृत्य सिखाने के लिए आमंत्रित किया गया था। 18 दिसंबर को नीलांबर इन्हें ‘रवि दवे सम्मान’ से सम्मानित करेगी।
सामाजिक योगदान के लिए संस्था द्वारा दिया जाने वाला ‘निनाद सम्मान’ इस वर्ष हिमोजी फेम अपराजिता शर्मा को दिया जाएगा। देश के सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों में से एक मिरांडा हाउस कॉलेज, दिल्ली में प्राध्यापक रहीं। वे बचपन से ही चित्रकला की शौक़ीन रहीं। इसी का परिणाम है कि 2016 में चित्रभाषा के रूप में हिमोजी नाम से वर्चुअल दुनिया को एक ऐप दिया। जिसे देवनागरी लिपि का पहला इमोजी ऐप कहा गया। हिमोजी ने हिन्दी की वर्चुअल दुनिया को अभिव्यक्ति की नई भंगिमा दी जिससे कि वो अपनी ज़ुबान में हँसने-रोने-गाने-चहचहाने के लिए सक्षम हो सके। जो काम किसी बड़े वित्त पोषित प्रोजेक्ट्स के तहत शायद कभी किया जाता वही काम अपराजिता ने हिन्दी की वर्चुअल दुनिया को तोहफ़े के तौर पर सौंप दिया।
वे एक ऐसी कलाकार थीं जिनकी रचनात्मक दुनिया व्यापक और अद्भुत थी। उन्होंने रंग चित्रों और चित्र भाषाओं से कला और साहित्य को समृद्ध किया। डेस्क्टॉप कैलेंडर, पुस्तक आवरण आदि के अतिरिक्त अलबेली नाम से वे एक इलस्ट्रेशन वर्चुअल दुनिया में हस्ताक्षर बन कर उभरी। जो देश-काल से बंधी रहती और जनहित पक्षधरता व स्त्रीवाद को अपने तरीक़े से मुखर करती। रचनाशीलता के उनके जुनून ने अलबेली के माध्यम से जीवन सौंदर्य को सबके लिए आकर्षक एवं कलात्मक बना दिया। वे उत्कृष्ट अध्यापन के लिए विद्यार्थियों की पसंदीदा रही साथ ही मिरांडा हाउस कॉलेज ने उनके उच्चतम योगदान और सेवा के लिए उन्हें पुरस्कृत किया। हंस, कथन, स्त्री-काल आदि विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में उनका लेखन प्रकाशित होता रहा है। हृदयाघात के कारण कम उम्र में ही 15 अक्तूबर 2021 को वे इस दुनिया को विदा कह गईं पर पीछे छोड़ गईं स्वरचित अद्भुत कला का खज़ाना।
इन्हें यह सम्मान नीलांबर द्वारा आयोजित साहित्य उत्सव ‘लिटरेरिया 2021’ के दौरान 18 दिसंबर को दिया जाएगा। ज्ञातव्य है कि इस वर्ष नीलांबर द्वारा राष्ट्रीय स्तर का यह कार्यक्रम 16 से 18 दिसंबर के दौरान बी.सी. रॉय ऑडिटोरियम, सियालदह, कोलकाता में आयोजित किया जा रहा है। यह आयोजन कई साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को अपने में समेटे हुए है। इसमें संगोष्ठी, कविता, कहानी, नाटक, नृत्य, संगीत जैसी विधाओं की प्रस्तुति की जा रही है। अखिल भारतीय स्तर पर इसमें कई युवा और वरिष्ठ साहित्यकार-कलाकार शामिल हो रहें हैं। कोलकाता के साहित्यिक परिवेश में लगातार पांचवे वर्ष नीलांबर का यह आयोजन एक अनूठा प्रयास होगा।