वाराणसी। चैत्र नवरात्रि शुरू होने वाली है और 9 दिन के दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-आराधना की जाएगी। इस दौरान मातारानी को रोजाना उनके प्रिय भोग लगाए जाएं तो मां की जमकर कृपा बरसती है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है। माता को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के भोग लगाए जाते हैं। यदि मां दुर्गा को उनके पसंदीदा भोग लगाए जाएं तो मातारानी प्रसन्न होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। वैसे देवी-देवताओं को भोग सदैव अपनी सुविधा और सामर्थ्य के अनुसार ही लगाना चाहिए। नवरात्रि की बात करें तो इस दौरान मां दुर्गा को पंचमेवा, घर की बनी या बाजार की मिठाई या फिर बताशे का भी भोग लगा सकते हैं। ध्यान रहे कि शक्कर बताशे के साथ फूल वाली लौंग का जोड़ा जरूर रखना चाहिए। इस बार 9 अप्रैल से नवरात्रि प्रारंभ हो चुकी है जो 17 अप्रैल तक चलेंगी। चैत्र नवरात्रि के मौके पर जानते हैं कि माता के किस स्वरूप को कौन सा भोग लगाने से कैसा फल प्राप्त होता है।
घृत भोग : माता का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है। माता शैलपुत्री को घी का भोग लगाना चाहिए, गाय के घी का भोग लगाना सबसे अच्छा होता है। घी का भोग लगाने से रोगों से मुक्ति पा आरोग्यता प्राप्त होती है तथा निरोगी काया मिलती है।
चीनी भोग : मां का द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। माता ब्रह्मचारिणी को चीनी का भोग लगाने से पूजा करने वाले को दीर्घायु मिलती है तथा सौभाग्य में वृद्धि होती है।
खीर भोग : माता का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा का है, इन्हें दूध का भोग लगाया जाता है। दूध या दूध से निर्मित खीर, मिठाई आदि का भोग लगाने से धन की प्राप्ति और दुखों का नाश होता है।
मालपुआ भोग : देवी का चौथा स्वरूप कूष्मांडा माता को समर्पित होता है। माता कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाया जाता है जिससे तेज बुद्धि प्राप्त होती है, बुद्धि का विकास होने के साथ साथ निर्णय की क्षमता में भी वृद्धि होती है।
कदली फल भोग : भगवती का पांचवा स्वरूप माता स्कंदमाता के लिए होता है, उन्हें केले अति प्रिय होते हैं इसलिए केले का भोग लगाया जाता है जिससे अच्छा स्वास्थ्य और निरोगी काया प्राप्त होती है।
पान और शहद का भोग : जगत जननी का छठा स्वरूप मां कात्यायनी के नाम होता है। माता को पान और शहद का भोग लगाया जाता है। जो भक्त की बाह्य और आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि कराता है। शारीरिक सुंदरता प्राप्त होने के साथ ही जीवन में मिठास आती है।
गुड़ भोग : मां दुर्गा का सातवां रूप माता कालरात्रि का है। माता को गुड़ का भोग लगाया जाता है जिससे संकटों से मुक्ति मिलती है, जीवन शोक मुक्त होता है।
नारियल भोग : मां अंबे का आठवां स्वरूप महागौरी का है, जिन्हें नारियल का भोग प्रिय है। माता को नारियल का भोग लगाने से संतान संबंधी हर तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है। संतान से जुड़ी सभी मनोकामना पूरी होती है।
हलवा पूड़ी और चने का भोग : मां का नौवां स्वरूप सिद्धिदात्री का है, जिन्हें हलवा पूड़ी और काले चने प्रिय हैं। लिहाजा माता सिद्धिदात्री को इन चीजों का भोग लगाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि मां को पसंदीदा भोग लगाने से हर तरह के सुख आते हैं और जीवन में किसी तरह की कमी नहीं रहती है।
ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848
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