अंग्रेजों की शिक्षा नीति से मुक्ति के लिए महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति : उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव

  • अवगत अवार्ड 2021 अलंकरण समारोह में सम्मानित हुए 7 प्रांतों के विशिष्ट अध्येता
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति : विविध आयाम और संभावनाओं पर केंद्रित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी संपन्न
  • डॉ. मोहन बैरागी की काव्य कृति मन
    बैरागी का लोकार्पण हुआ

उज्जैन। संस्था कृष्ण बसंती एवं अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका अक्षरवार्ता द्वारा कालिदास संस्कृत अकादमी के संकुल सभागार में अवगत अवार्ड 2021 अलंकरण समारोह संपन्न हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2021 : विविध आयाम और संभावनाओं पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजन के मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री माननीय डॉ. मोहन यादव थे। विशिष्ट अतिथि पूर्व मंत्री एवं माननीय विधायक पारस चंद्र जैन, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय, महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सी.जी. विजयकुमार मेनन, एपीजे अब्दुल कलाम यूनिवर्सिटी, इंदौर के कुलसचिव डॉ. राकेश जाटव एवं प्राचार्य डॉ. महेंद्र सिंह चौहान, इंदौर थे।

इस अवसर पर डॉ. मोहन बैरागी के गीत संग्रह मन बैरागी तथा उनके साथ ईवा पेट्रोपॉलाऊ लिनॉऊ के संपादन में प्रकाशित पुस्तक वैश्विक साहित्य : स्थितियां और समाधान का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। पुस्तक पर चर्चा एवं विषय प्रवर्तन विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया। अलंकरण समारोह में 7 प्रांतों के विशिष्ट अध्येताओं को अवगत अवार्ड 2021 के रूप में मैडल, सम्मान पत्र एवं प्रतीक चिह्न अर्पित कर उनका सम्मान अतिथियों द्वारा किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि देश अनेक दशकों तक अंग्रेजों की शिक्षा नीति को ढोता रहा, उससे मुक्ति के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की संकल्पना से लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2021 महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगी। उज्जयिनी अमरत्व का आशीष देने का कार्य करती है। विशिष्ट कार्य करने वालों को यह अमर करती है।

इस नगरी का संदेश है कि हम श्रेष्ठ कार्य करें। माननीय प्रधानमंत्री जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से भारत की संस्कृति को संरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है। वे लोकतंत्र को सार्थक कर रहे हैं। उन्होंने सामाजिक चेतना, स्वच्छता, राष्ट्रीय सुरक्षा, जन कल्याण जैसे क्षेत्रों में अविस्मरणीय कार्य किए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं को महत्त्व मिल रहा है। पारंपरिक विश्वविद्यालयों में भी कृषि को पढ़ाया जा सकता है, यह महत्वपूर्ण निर्णय मध्यप्रदेश में हुआ है।

पूर्व मंत्री एवं विधायक पारस चंद्र जैन ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2021 में राष्ट्रभाषा हिंदी को विशेष महत्व दिया गया है। हिंदी हमारी संस्कृति है। उसके माध्यम से शिक्षा और ज्ञान सहज ही प्राप्त किया जा सकता है। भारत में गुरुकुल पद्धति से अध्ययन – अध्यापन का कार्य होता था, इसे पुनर्जीवित की जरूरत है। शिक्षा से जुड़े सभी लोग राष्ट्रीय शिक्षा नीति को क्रियान्वित करने के लिए आगे आएँ।

कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने डॉ. मोहन बैरागी को उनके कविता संकलन के लिए बधाई देते हुए कहा कि पुस्तकें समाज और प्रकृति को रेखांकित करती हैं। ब्रिटिश हुकूमत ने भारतीय मानस की मौलिकता को नुकसान पहुंचाया। अंग्रेजों ने देश की सांस्कृतिक एवं मूल्यपरक विशेषताओं की अवहेलना की। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 स्वयं को जानने और आत्मनिर्भर बनने के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।

कुलपति प्रो. सी.जी. विजय कुमार मेनन ने कहा कि संस्कृत भारतवासियों के अंदर बसी हुई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भाषा के संबंध में विशेष सावधान करती है। भाषा, कला और संस्कृति की मूल अवस्था को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें कैसे पुनर्जीवित करवाया जाए, इस बात की ओर इशारा यह नीति करती है। भाषा के शिक्षण से ज्ञान प्राप्त होता है और उससे संस्कृति का संरक्षण होता है। आज भाषा के भविष्य और भविष्य की भाषा पर विचार की आवश्यकता है।

कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि डॉ. मोहन बैरागी की काव्य कृति मन बैरागी मानवीय संवेदना और सरोकारों को अभिव्यक्त करने में सफल है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवाओं को सूचना और ज्ञान से आगे ले जाकर प्रज्ञा और सत्य की खोज के लिए तैयार करेगी। यह शिक्षा नीति बहुविषयक शिक्षा और संवेदनशीलता को महत्व देती है। इससे अन्वेषण और नवाचारों को प्रोत्साहन मिलेगा।

कार्यक्रम को प्राचार्य डॉ. महेंद्र सिंह चौहान, इंदौर ने भी संबोधित किया। प्रारंभ में सांगीतिक सरस्वती वंदना नरहरि कृष्णा संगीत अकादमी के विनायक शर्मा के निर्देशन में कलाकारों द्वारा की गई। अतिथियों का स्वागत डॉ. ओ.पी. वैष्णव, कवि राहुल शर्मा, कवि दिनेश दिग्गज, डॉ. अजय शर्मा, डॉ. बी.एल. मालवीय, डॉ. रूपाली सारये, डॉ. श्वेता पंड्या, डॉ. सुदामा सखवार आदि ने किया।

कार्यक्रम का संचालन पांखुरी जोशी वक्त ने किया। आभार प्रदर्शन संस्था कृष्ण बसंती के अध्यक्ष एवं पत्रिका के संपादक डॉ. मोहन बैरागी ने किया।
इस अवसर पर तकनीकी सत्र आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता डीएसडब्ल्यू डॉ. सत्येंद्र किशोर मिश्रा एवं डॉ. जगदीश चंद्र शर्मा ने की। इस सत्र में देश के विभिन्न राज्यों के लगभग दस प्राध्यापकों एवं शोधकर्ताओं ने अपने शोध आलेखों का वाचन किया।

इनमें शामिल थे डॉ. प्रभुलाल चौधरी, महिदपुर, डॉ. संदीप कुमार, सोनीपत, डॉ. कंवल किशोर, जींद, डॉ. संदीप कुमार, हिसार, अनूप कुमार जमरे, उज्जैन आदि। तकनीकी सत्र की आज का संचालन डॉ. बी.एल. मालवीय, शाजापुर ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ. श्वेता पंड्या ने किया।

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