मेरा शरीर मेरा अधिकार- फ्रांस ने इतिहास रचा, महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार मिला

महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार देने वाला दुनिया का पहला देश फ्रांस बना
महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार के दुष्परिणाम को रोकना जरूरी- सुरक्षित वैधानिक रूप से मान्य सेवाओं तक गर्भपात सीमित होना जरूरी- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर फ्रांस मेरा शरीर मेरा अधिकार नारे के साथ महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार देने वाला पहला देश जरूर बन गया है, परंतु महिलाओं के गर्भपात के संवैधानिक अधिकार और सुरक्षित वैधानिक रूप से मान्य सेवाओं तक गर्भपात सीमित करने का नियम विनियम व कानून बनाने के सुझाव को भी रेखांकित करना जरूरी है। क्योंकि यदि इस संवैधानिक अधिकार का दुरुपयोग कर जांच में बेटी पाए जाने पर गर्भपात करवाया जाता है, तो फ्रांस के लिए भविष्य में महिला-पुरुष संतुलन में भारी विपत्ति से गुजरना पड़ सकता है। इसका सटीक उदाहरण हमें आज भारत में अनेक समाजों में बड़ी उम्र के लड़कों का वैवाहिक संबंध नहीं जुड़ने और कुंवारे बैठे रहने से संलग्न करके देखना होगा। बता दें कि भारत में हालांकि अभी महिला पुरुष संतुलन ठीक है, परंतु अगर हम तीन दशक पहले की बात करें तो 1994-96 में एक ऐसा दौर चला था जब स्त्रीलिंग का परीक्षण कर भारी मात्रा में अबॉर्शन यानी गर्भपात हुए थे, जिससे रेखांकित कर उस समय की सरकार ने बहुत सख्ती बरती और सख्त कानून बना दिए थे।

परंतु उसका दुष्परिणाम हम आज देख रहे हैं कि उस अवधि की उम्र की महिलाओं की कमी के कारण भारी मात्रा में लड़के कुंवारे बैठे हैं, उन्हें लड़कियां नहीं मिल रही है। यह समस्या अनेकों समाजों में व्याप्त है जो मैंने ग्राउंड रिपोर्टिंग कर अपनी राइस सिटी गोंदिया में भी पाया के अनेक लड़के 30-40 उम्र पार कुंवारे बैठे हैं, उन्हें विवाह के लिए लड़कियां नहीं मिल रही है। चुंकि फ्रांस में दिनांक 5 फरवरी 2024 को महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार देकर इतिहास रचा गया है और ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश फ्रांस बन गया है, परंतु इसकी आलोचनाएं भी हो रही है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार के दुष्टपरिणाम को रोकना जरूरी है। सुरक्षित व वैधानिक रूप से मान्य सेवाओं तक गर्भपात सीमित हो इसे रेखांकित करना जरूरी है।

साथियों बात अगर हम फ्रांस में महिलाओं को गर्भपात का संविधानिक अधिकार प्राप्त होने की करें तो, फ्रांस की संसद ने एक बड़े विधेयक को मंजूरी दी है। फ्रांसीसी संसद ने सोमवार को गर्भपात के अधिकार को संविधान में शामिल करने के लिए मतदान किया। मतदान में इस विधेयक को मंजूरी भी दे दी गई है। इस मतदान के पक्ष में 780 वोट पड़े, वहीं इसके विरोध में सिर्फ 72 वोट ही पड़े। मतदान के बाद फ्रांस अपने मूल कानून में गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए स्पष्ट सुरक्षा प्रदान करने वाला दुनियां का पहला देश बन गया। वहीं इस विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद गर्भपात कराना महिलाओं का संवैधानिक अधिकार हो जाएगा। महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस विधेयक को मंजूरी मिलने पर खुशी जताई और इस कदम की सराहना की। बता दें कि संसद के दोनों सदन नेशनल असेंबली और सीनेट पहले ही फ्रांसीसी संविधान के अनुच्छेद 34 में संशोधन के लिए एक विधेयक को मंजूरी दे चुके हैं, ताकि महिलाओं को गर्भपात के अधिकार की गारंटी दी जा सके।

साथियों बात अगर हम फ्रांस में गर्भपात संबंधी कानून और फिर संवैधानिक अधिकार प्राप्त होने की यात्रा की करें तो फ्रांस में गर्भपात को लेकर 1975 में एक कानून लाया गया था। तब फ्रांस में गर्भपात को कानूनी अधिकार दिया गया था। अब इसे संवैधानिक अधिकार बना दिया गया है। फ्रांस में इस कानून को लेकर एक सर्वे भी कराया गया जिसमें 85 फीसदी जनता ने गर्भावस्था को समाप्त करने के अधिकार की रक्षा के लिए संविधान में संशोधन का समर्थन किया है। राष्ट्रपति ने इस कदम को फ्रांसीसी गौरव बताते हुए दुनिया के लिए एक संदेश कहा है। वहीं वेटिकन समेत गर्भपात विरोधी समूहों ने इस बदलाव की कड़ी आलोचना की है।फ्रांस की संसद के निचले सदन में स्पीकर संयुक्त सत्र की शुरुआत करते हुए कहा कि फ्रांस यह कदम उठाने वाला पहला देश है। स्पीकर ने कहा कि उन्हें गर्व है कि महिलाओं को यह अधिकार दिया गया है। विधेयक पारित होने से पहले फ्रांसीसी पीएम ने कहा कि हम सभी महिलाओं को यह संदेश दे रहे हैं कि वे अपने बारे में खुद निर्णय ले सकती हैं। फ्रांस की सरकार महिला दिवस के मौके पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित करेगी और इस फैसले का जश्न मनाएगी। राष्‍ट्रपति ने कहा कि उन्‍होंने महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार देने का वादा किया था। अब उनका ये वादा पूरा हो गया है। बता दें कि फ्रांस में 1974 के कानून के बाद से महिलाओं को गर्भपात का कानूनी अधिकार प्राप्त है। जिसकी उस समय आलोचना की थी लेकिन महिलाओं के गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को मान्यता देने वाले रोए बनाम बाड़े के फैसले को पलटने के अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के 2022 के फैसले के बाद पूरी दुनिया की नजरें फ्रांस में इस कदम पर थी।

साथियों बात अगर हम फ्रांस में मेरा शरीर मेरा अधिकार नारे की करें तो इस फैसले पर लोगों ने एफिल टावर पर इकट्ठा होकर मेरा शरीर, मेरा अधिकार के नारे लगाते हुए अपना समर्थन जताया। गर्भपात को संवैधानिक अधिकार बनाने वाले संशोधन पर वोटिंग से पहले फ्रांस के पीएम ने संसद में कहा कि गर्भपात का अधिकार खतरे में था और निर्णय लेने वालों की दया पर निर्भर था। मॉडर्न फ्रांस के डॉक्यूमेंट में 2008 के बाद से ये 25वां संशोधन है। पीएम ने कहा कि हम सभी महिलाओं को एक संदेश दे रहे हैं कि आपके शरीर पर आपका ही अधिकार है और कोई दूसरा इसे लेकर फैसला नहीं कर सकता है। संसद में इस संशोधन का विरोध कर रहे नेताओं ने फ्रांस के राष्ट्रपति पर सियासी फायदे के लिए संविधान का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। आलोचकों का कहना है कि यह संविधान संशोधन अपने आप में गलत है और गैर-जरूरी है। उन्होंने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति इसके जरिए वामपंथी विचारों को बढ़ावा दे रहे हैं। फ्रांस के संविधान में ये बदलाव ऐसे समय में किया गया है, जब 2022 में अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के अधिकार को खत्म कर दिया है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से अब अलग-अलग राज्य अपने स्तर पर गर्भपात को रोकने के लिए बैन लगा सकते हैं। इस फैसले से लाखों महिलाओं के गर्भपात के अधिकार खत्म हो गए हैं।

साथियों बात अगर हम भारत में गर्भ का चिकित्सीय समापन (संशोधन) अधिनियम 2021 की करें तो, राज्यसभा ने गर्भ का चिकित्‍सकीय समापन अधिनियम, 1971 में संशोधन करने के उद्देश्य से 16 मार्च 2021 को गर्भ का चिकित्‍सकीय समापन (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी दे दी। इस विधेयक को लोकसभा द्वारा 17 मार्च 2020 को मंजूरी दी गई थी। इन संशोधनों की मुख्य विशेषताएं: विशेष श्रेणी की महिलाओं, जिनके बारे में एमटीपी नियमों में किये जाने वाले संशोधनों में परिभाषित किया जाएगा, के लिए गर्भ काल की ऊपरी सीमा को 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह तक करना और इसके दायरे में बलात्कार से, अनाचार की शिकार और अन्य कमजोर महिलाओं (जैसे पीड़ित दिव्यांग महिलाओं, नाबालिग) आदि को शामिल किया जायेगा। गर्भधारण के 20 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिए एक प्रदाता (चिकित्सक) की राय और गर्भधारण के 20-24 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिए दो प्रदाताओं (चिकित्सकों) की राय की जरूरत होगी। मेडिकल बोर्ड द्वारा निदान के क्रम में बताए गए भ्रूण से संबंधित गंभीर असामान्यता के मामलों में गर्भ काल की ऊपरी सीमा लागू नहीं होगी। मेडिकल बोर्ड की संरचना, उसके कार्य और उससे संबंधित अन्य विवरणों का निर्धारण इस अधिनियम के तहत आने वाले नियमों में किया जायेगा। गर्भ समाप्त कराने वाली महिला का नाम और उससे जुड़े अन्य विवरणों का खुलासा किसी कानून में प्राधिकृत व्यक्ति को छोड़कर अन्य किसी व्यक्ति के समक्ष नहीं किया जाएगा।

गर्भ निरोधक की विफलता के आधार को महिलाओं और उनके साथी के लिए बढ़ा दिया गया है। गर्भ का चिकित्‍सकीय समापन (संशोधन) विधेयक, 2021 का उद्देश्य चिकित्सीय, सुजनन, मानवीय या सामाजिक आधार पर गर्भपात की सुरक्षित और वैधानिकरूप से मान्य सेवाओं तक महिलाओं की पहुंच का विस्तार करना है। कुछ खास परिस्थितियों में गर्भ की समाप्ति के लिए गर्भकाल की ऊपरी सीमा को बढ़ाने और सुरक्षित गर्भपात की सेवा और गुणवत्ता से समझौता किए बिना सख्त शर्तों के तहत गर्भपात के दौरान गहन देखभाल की सुविधाओं तक पहुंच को मजबूत करने के उद्देश्य से इन संशोधनों में कुछ खास उप धाराओं को प्रतिस्थापित और मौजूदा गर्भ का चिकित्‍सकीय समापन अधिनियम, 1971 की कुछ धाराओं के तहत कुछ नई शर्तों को शामिल किया गया है। यह विधेयक महिलाओं की सुरक्षा एवं कल्याण की दिशा में एक कदम है और इससे कई महिलाएं लाभान्वित होंगी। हाल ही में विभिन्न महिलाओं की ओर से भ्रूण की असामान्यताओं या यौन हिंसा के कारण हुए गर्भधारण के तर्क के आधार पर गर्भ काल की वर्तमान मान्य सीमा से परे जाकर गर्भपात की अनुमति के लिए न्यायालयों में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन संशोधनों से सुरक्षित गर्भपात सेवाओं तक महिलाओं के दायरे एवं पहुंच में वृद्धि होगी और यह उनमहिलाओं के लिए गरिमा, स्वायत्तता, गोपनीयता और न्याय सुनिश्चित करेगा, जिन्हें गर्भ को समाप्त करने की जरूरत है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मेरा शरीर मेरा अधिकार फ्रांस ने इतिहास रचा, महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार मिला। महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार देने वाला दुनियां का पहला देश फ्रांस बना महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार के दुष्परिणाम को रोकना जरूरी- सुरक्षित वैधानिक रूप से मान्य सेवाओं तक गर्भपात सीमित होना जरूरी है।

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