लोकसभा चुनाव में TMC को समर्थन दे सकता है अल्पसंख्यक समुदाय

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं का मानना है कि राज्य में अल्पसंख्यक यानी मतदाताओं का लगभग तीस प्रतिशत हिस्सा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आगे बढ़ने से रोकने के लिए वाम-कांग्रेस गठबंधन के रूप में एक धर्मनिरपेक्ष विकल्प होने के बावजूद तृणमूल कांग्रेस को तरजीह देगा।

अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कई लोकसभा सीट में निर्णायक भूमिका निभाने वाले मुसलमानों का झुकाव मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी की तरफ है, जिसे वे वाम-कांग्रेस गठबंधन के विपरीत एक विश्वसनीय ताकत के रूप में देखते हैं।

Minority community can support TMC in Lok Sabha elections

यह झुकाव मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर दिनाजपुर जैसे जिलों में विशेष रूप से स्पष्ट है, जहां अल्पसंख्यक बहुसंख्यक हैं। भारतीय धर्मनिरपेक्ष मोर्चा (आईएसएफ) ने अकेले चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है।

ऐसे में वाम- कांग्रेस गठबंधन के लिए अल्पसंख्यकों को लुभाना खासकर ऐसे समय में और चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जब भाजपा ध्रुवीकरण करने वाले राम मंदिर और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) जैसे विभिन्न मुद्दों को भुनाने की कोशिश कर रही है।

भले ही राज्य सरकार को लेकर समुदाय के लोगों में कुछ असंतोष हो, लेकिन धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं का मानना है कि भाजपा का मुकाबला करने के लिए तृणमूल को वोट देना महत्वपूर्ण है।

विभिन्न इमाम द्वारा समुदाय के सदस्यों से यह सुनिश्चित करने की अपील किए जाने की संभावना है कि अल्पसंख्यकों के मत बंटे नहीं जिसकी वजह से 2019 में अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में भाजपा को सफलता मिली थी।

इमाम-एह-दीन काजी फजलुर रहमान ने कहा, ”यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अल्पसंख्यकों के मत बंटे नहीं। ज्यादातर सीट पर टीएमसी सर्वाधिक पसंदीदा दल है, जबकि उत्तरी बंगाल की कुछ सीट पर वामपंथी और कांग्रेस सबसे उपयुक्त हैं।”

Minority community can support TMC in Lok Sabha elections

पश्चिम बंगाल इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद याह्या ने कहा कि मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर दिनाजपुर जैसे जिलों में अल्पसंख्यकों के सामने वाम-कांग्रेस और तृणमूल उम्मीदवारों के बीच चुनने को लेकर दुविधा हो सकती है।

‘ऑल बंगाल माइनॉरिटी यूथ फेडरेशन’ के महासचिव मोहम्मद कमरुज्जमां ने कहा, ”बंगाल में, भाजपा के खिलाफ लड़ने के मामले में टीएमसी सबसे विश्वसनीय ताकत है।”

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के प्रतीची ट्रस्ट के शोधकर्ता साबिर अहमद का मानना है कि टीएमसी की जन कल्याण योजनाओं के कारण उसे अल्पसंख्यकों का मजबूत समर्थन मिल सकता है।

टीएमसी ने 2014 में 34 लोकसभा सीट जीती थीं, जिनकी संख्या 2019 में घटकर 22 रह गई थी लेकिन 2021 के विधानसभा चुनावों में अल्पसंख्यकों ने तृणमूल को वोट दिया, जिससे वह राज्य में लगातार तीसरी बार सत्ता में आई।

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