Maidan Film Review || थिएटर को “मैदान” में तब्दील करने में सफल रहे अजय देवगन

  • मैदान में अजय देवगन बेहतरीन खिलाड़ी लेकिन कहानी की लम्बाई गोल बचाने में असमर्थ दिखी

  • Director: अमीत रविंद्रनाथ शर्मा
  • Story: आकाश चावला, अरुणोभो जॉय सेनगुप्ता
  • Screenplay: सैवीन कुवाडरस, अमन राय, अतुल शाही
  • Dialogue: सिद्धांत मागो, रितेश शाह
  • Cast : अजय देवगन, गजराज राव, प्रियामणी, रूद्रनील घोष,अमर्त्य रे,सुशांत वेदांदे
  • Cinematographer: तुषार कांति रॉय, अंशुमान सिंह ठाकुर, आंद्रे वेलेनस्टोव
  • Editor: देव राव जाधव, शाहनवाज मोसानी
  • Production Design: ख्यातिमोहन कंचन
  • Duration: 3 घंटा 1 मिनट
  • Language: हिंदी
  • Genres: बायोग्राफी, स्पोर्ट्स ड्रामा

Kolkata Hindi News, कोलकाता। अजय देवगन की फिल्म “मैदान” सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है। स्पोर्ट्स बायो ड्रामा यह फिल्म भारतीय फुटबॉल टीम के महान कोच सैयद अब्दुल रहीम के केंद्र में रखकर बुनी गई है।

सैयद अब्दुल रहीम के किरदार को अजय देवगन ने निभाया है। अजय देवगन के अभिनय की तारीफ जितनी भी की जाये कम है। रहीम के किरदार को निभाते हुए उन्होंने जिस संजीदगी का परिचय दिया है वो उन्हें श्रेष्ठ अभिनेताओं के श्रेणी में खड़ा कर देता है।

Maidan Film Review || Ajay Devgan was successful in converting the theater into a field.

साथी कलाकार गजराज राव, रूद्रनील घोष , प्रियामणी, चैतन्य शर्मा,तेजस रविशंकर,देविंदर गिल,अमर्त्य रे,सुशांत वेदांदे,मननदीप सिंह,अमान मुंशी,अमनदीप भी अपने – अपने किरदारों में जान फूँकते हुए नज़र आते हैं।

क्या है कहानी : 1950 -60 के दशक में भारतीय फुटबॉल दुनिया के मानचित्र पर बहुत ही मजबूती से अपनी दस्तक देता था। उस समय भारतीय फुटबॉल को एशिया का ब्राज़ील तक कहा जाता था।

लेकिन राजनीती के चक्कर में किस प्रकार यह खेल पिछड़ता चला गया इसी को दिखाने की कोशिश की गई है फिल्म के द्वारा। रहीम देश के कोने – कोने से जबरजस्त खिलाड़ियों की तलाश करते हैं।

मजबूत फुटबॉल टीम का गठन करते हुए यह दावा करते है कि यह टीम विश्व के बड़े टीमों को धूल चाटने में सक्षम है। 1956 के मेलबर्न ओलिंपिक में भारत चौथे नंबर की टीम बनकर उभरती है, लेकिन 1960 के रोम ओलंपिक्स में यह टीम क्वालिफ़ाई करने में नाकाम हो जाती है।

रहीम को इसके बाद एसोसिएशन के राजनीति का शिकार होना पड़ता है और उनसे कोच पद छीन लिया जाता है। इसी दौरान रहीम को यह पता चलता है कि उसे लंग्स कैंसर है।

यह जानकार वो पूरी तरह टूट जाता है लेकिन पत्नी के कहने पर वो फिर से एक बार फुटबॉल की कोचिंग का इरादा करते हुए एसोसिएशन पहुँचता है और दुबारा कोच पद हासिल करता है।

जिसके बाद जकार्ता एशियन गेम्स में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में कामयाब होता है। फिल्म का वीएफएक्स सराहनीय है और रियल फुटेज के साथ निर्देशक अमीत शर्मा ने बीते हुए समय को पकड़ने की अच्छी कोशिश की है।

Maidan Film Review || Ajay Devgan was successful in converting the theater into a field.

फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है लेकिन गाने जोश जगाने में कामयाब नहीं होते हैं। सिनेमेटोग्राफी लाज़वाब है और एडिटिंग में भी मेहनत दिखने को मिलती है।

फिल्म की लम्बाई खलती है : 3 घंटे 1 मिनट की यह फिल्म छोटी हो सकती थी। दरअसल स्पोर्ट्स बायो ड्रामा पर कई फ़िल्में बन चुकी हैं , जैसे कि चख दे इंडिया, भाग मिल्खा भाग, मैरी कॉम, दंगल, गोल्ड इत्यादि।

इसीलिए फिल्म जब अपनी किरदारों को बुनती है तो यह नीरस करने लगता है। यह आसानी से समझ में आ जाता है कि आगे क्या होने वाला है। जिस कारण फिल्म का रोमांच जो है वो कम होने लगता है।

फिल्म के पहले हाफ में ऐसा कुछ नहीं है कि जिसका दर्शक अनुमान ना लगा सके हाँ सेकंड हाल्फ के आखरी आधे घंटे फिल्म की जुगलबंदी दर्शकों को खींच जरूर लेती है और यही इस फिल्म की जान है।

कुल मिलाकर यह फिल्म फुटबॉल के भारतीय इतिहास में हुए राजनीति के शिकार को बताने के लिए जानी जाएगी बाकि जो जूनून चख दे इंडिया, जो जज्बा भाग मिल्खा भाग, जो हैरतअंगेज़ मैरीकॉम, जो चुनौती दंगल और जो ड्रामा गोल्ड में दिखने को मिलती है उससे यह फिल्म कोसो दूर है।

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