माघ गुप्त नवरात्र इस वर्ष 10 फरवरी शनिवार से शुरू होंगे

मां आदशक्ति की उपासना का पर्व है गुप्त नवरात्र

वाराणसी। मां आदशक्ति की उपासना का पर्व है गुप्त नवरात्र। माघ गुप्त नवरात्र सन् 2024 ई. 10 फरवरी शनिवार से शुरू होने वाले है। गुप्त नवरात्र की पूजा पाठ से हम कोई भी बड़े से बड़े संकट को टाल सकते हैं। माघ गुप्त नवरात्र 18 फरवरी रविवार को समाप्त होंगे और गुप्त नवरात्र व्रत का पारणा 19 फरवरी सोमवार को होगा।

घटस्थापना मुहूर्त : 10 फरवरी शनिवार सुबह 08 बजकर 44 मिनट से लेकर 10 बजकर 11 मिनट, अभिजीत मुहूर्त 10 फरवरी दोपहर 12 बजकर 12 से 12 बजकर 58 मिनट तक। देवी दुर्गा के भक्त क्लश स्थापन, ज्योति प्रज्वलन करें तथा देवी दुर्गा की साख लगाए।

चैत्र या वसंत नवरात्रों के बारे में सभी जानते हैं लेकिन इसके अतिरिक्त दो और भी नवरात्र हैं जिनमे विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। पहला गुप्त नवरात्र माघ महीने के शुक्ल पक्ष में आता है और दूसरा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में। कम लोगों को इसके बारे में जानकारी होने और इसके पीछे छिपे रहस्यमयी कारणों की वजह से इन्हें गुप्त नवरात्र कहते हैं। नौ दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हुए साधक नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना करते हैं।

प्रतिदिन सुबह शाम मां दुर्गा की पूजा की जाती है। फिर अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं के पूजन के साथ व्रत का उद्यापन किया जाता है। इन दोनों माता के नवरूपों की पूजा की जाती है वहीं तंत्र साधना वाले साधक इन नौ दिनों में माता के नवरूपों की बजाय दस महाविद्याओं की साधना करते हैं। ये दस महाविद्याएं हैं- मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी। प्रतिपदा से नवमी तक माँ श्री महाशक्ति जी की आराधना करते हैं। जिसके फलस्वरूप उनमें नई ऊर्जाशक्ति का संचार होता है और उन्हें भौतिक त्रिविध तापों से मुक्ति मिलती है।

गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान दुर्गा देवी के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं। इन नौ दिनों में भगवती दुर्गा का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ, स्वयं या विद्वान पण्डित जी से करवाना चाहिए।

तांन्त्रिकों व तंत्र-मंत्र में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिये नवरात्रों का समय अधिक उपयुक्त रहता है। गृहस्थ व्यक्ति भी इन दिनों में भगवती दुर्गा की पूजा आराधना कर अपनी आन्तरिक शक्तियों को जागृत करते हैं। इन दिनों में साधकों के साधन का फल व्यर्थ नहीं जाता है। इन दिनों में दान पुण्य का भी बहुत महत्व कहा गया है।

नवरात्रों के दिनों में किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। प्याज, लहसुन, अंडे और मांस-मदिरा आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। नाखून, बाल आदि नहीं काटने चाहिए। भूमि पर शयन करना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। किसी के प्रति द्वेष की भावना नहीं रखनी चाहिए। चमड़े की चप्पल, जूता, बेल्ट, पर्स, जैकेट आदि नहीं पहनना चाहिए और कोई भी पाप कर्म करने से आप और आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है।

नवरात्रों के दौरान सेहत के अनुसार ही व्रत रखें इन दिनों में फल आदि का सेवन ज्यादा करें। रोजाना सुबह और शाम को माँ दुर्गा का पाठ अवश्य करें। यदि आपको कोई भी मंत्र नहीं आता हो तो केवल दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे। माँ शक्ति का यह अमोघ मंत्र है। इस से लाभ होगा।

ज्योतिर्विद् वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

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