लोकसभा चुनाव 2024: चुनाव आयोग का फरमान- उम्मीदवार बने प्रत्याशियों गंभीरता से ध्यान दीजिएगा जी!

सामुदायिक भोज, लंगर, भंडारे या समारोहों में उम्मीदवार बने प्रत्याशी शामिल हुए तो पूरा खर्च खाते में जुड़ेगा
लोकसभा चुनाव 2024 के उम्मीदवारों को चुनाव आयोग के खर्चे नियमों में, कड़े तेवरों से पग-पग पर नकेल कसना सराहनीय- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र में 19 अप्रैल से 1 जून 2024 तक होने वाले चुनावी महापर्व में उम्मीदवार बने प्रत्याशियों के लिए केवल चुनावों का प्रचार प्रसार करना और लोगों का समर्थन हासिल करने तक ही अकेली चुनौती नहीं है। चुनावी अभियान का संचालन करने के बीच खर्च का हिसाब किताब रखना भी आसान नहीं होगा। हालांकि 2024 के चुनाव में खर्च सीमा बढ़ाकर 70 लाख से 95 लाख कर दी गई है, परंतु फिर भी चुनाव आयोग द्वारा पहले से निर्धारित खर्च संबंधी नियमों का सख़्ती से पालन करने के अतिरिक्त जैसे-जैसे डेवलपमेंट्स हो रहे हैं, चुनाव आयोग वैसे-वैसे दिशानिर्देशों की कड़ी में नए-नए नियमों को जोड़ता जा रहा है। जिसे उम्मीदवार बने प्रत्याशी को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है, वरना लोकसभा सदस्य बन जाने के बाद भी चुनाव आयोग की कार्रवाई से सदस्यता पर प्रश्न चिह्न भी लग सकता है क्योंकि अभी दो दिन पहले ही चुनाव आयोग ने सख़्ती बढ़ाते हुए फरमान जारी कर दिया है कि अगर उम्मीदवार समुदायिक भोज, लंगर, भंडारे या विभिन्न समारोहों में शामिल हुए तो पूरा खर्च उनके खाते में जोड़ दिया जाएगा।

बता दें अभी 9, 10 व 11 अप्रैल 2024 को चैत्र नवरात्र, गुड़ी पड़वा, चेट्रीचंड्र सिंधी दिवस व ईद उल फितर सहित विभिन्न सामाजिक समूहों, धार्मिक समूहों द्वारा मनाया गया तथा मनाया जा रहा है, जिसमें मैंने विशेष रूप से इन धार्मिक उत्सवों पर नजर रखी तो मुझे कोई किसी भी पार्टी का कोई नेता या उम्मीदवार नजर नहीं आया और ना ही किसी पार्टीबाजी का वर्चस्व दिखा साफ जाहिर है, चुनाव आयोग द्वारा उम्मीदवारों की नकेल कसने का असर दिखाई दिया। चूंकि चुनाव आयोग सख्त बना हुआ है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, लोकसभा चुनाव 2024 के उम्मीदवारों की चुनाव आयोग के खर्च के नियमों में कड़े तेवरों से पगपग पर नकेल कसना सराहनीय है।

साथियों बात अगर हम चुनाव आयोग द्वारा प्रत्याशियों के लिए नियम कड़े कर सख्त नकेल कसने की कड़ी में एक और नियम जोड़ने की करें तो, चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों के लिए नियम कड़े कर दिए हैं। साथ ही प्रत्याशियों के खर्च पर भी पैनी निगाह रखी जा रही है। अब एक ऐसा ही नियम प्रत्याशियों के भंडारे और लंगर से भी जुड़ा है। दरअसल, चुनाव आयोग के निर्देशों के मुताबिक यदि प्रत्‍याशी मतदाताओं से मिलने के लिए किसी सामुदायिक भोज या लंगर में शामिल होता है, तो ऐसे सामाजिक समारोह पर किया गया खर्च अभ्यर्थी के चुनावी खर्च के रूप में माना जाएगा और इसे उसके चुनावी व्यय लेखा में जोड़ा जाएगा। आयोग ने कहा है कि मतदाताओं से मिलने के लिए आयोजित किए गए ऐसे सामुदायिक भोज के कार्यक्रम भले ही किसी नाम से बुलाए गए हों अथवा खुद प्रत्याशी या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ही क्यों न आयोजित किए गए हों, यदि प्रत्याशी उसमें भाग लेता है तो इस पर होने वाले खर्च को प्रत्याशी के निर्वाचन व्यय में शामिल किया जाएगा। यह निर्देश धार्मिक समुदायों द्वारा अपने संस्थानों के अंदर प्रथागत तौर पर आयोजित लंगर, भोज या कोई समारोह जैसे शादी, मृत्यु आदि के सामान्य भोज पर लागू नहीं होगा। ऐसे सामुदायिक भोज, लंगर, दावत आदि पर किए गए व्यय को अभ्यर्थी के निर्वाचन व्यय में शामिल नहीं किया जाएगा बशर्ते कि अभ्यर्थी उसमें सामान्य आगंतुक के रूप में भाग लेता।

पेशेवर प्रत्याशियों को सावधान कर रहे हैं कि शादियों के मौसम में वे विशेष ध्यान रखे सामाजिक आयोजन, शादी या पार्टी में प्रत्याशी शामिल तो हो सकते हैं, लेकिन ऐसी किसी शादी-पार्टी या आयोजन में उनके लिए वोट की अपील कर दी गई या कोई फोटो-बैनर लगा दिया गया तो उस पूरे आयोजन का खर्च उसके चुनावी खर्च में जोड़ लिया जाएगा। चुनाव आयोग ने इफ्तार पार्टी और भंडारे जैसे आयोजनों के दौरान रास्ता रोकने पर भी सख्ती दिखाई है। साथ ही जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह सुनिश्चित करें कि कहीं भी रास्ता रोककर ऐसे आयोजन न किए जाए, जिससे लोगों को परेशानी हो।आयोग ने यह निर्देश कर्नाटक के मंगलुरू से मिली शिकायत के बाद दिए हैं, जिसमें सड़क के बीचों-बीच इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था। आयोग ने इस मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। आयोग ने साफ कहा है कि रास्ता रोककर किसी भी तरह के आयोजन करना गैर-कानूनी है। आयोग ने ऐसे आयोजनों को लेकर न सिर्फ सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को सतर्क किया है, बल्कि ऐसे आयोजनों के राजनीतिक जुड़ाव पर उसका खर्च राजनीतिक दलों या प्रत्याशियों के चुनावी खर्च में जोड़ने का निर्देश दिया है। साथ ही जरूरी कार्रवाई भी करने को कहा है। चुनावी निष्पक्षता के लिए राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों की ओर से मतदाताओं को लुभाने की प्रत्येक कोशिश को रोकने में जुटे चुनाव आयोग ने फिलहाल रोजा इफ्तार दावतों और धार्मिक भंडारों जैसे आयोजनों पर भी चौकसी बढ़ा दी है।

साथियों बात अगर हम उम्मीदवारों के लिए प्रचार प्रसार अतिरिक्त खर्च हिसाब किताब सहित अन्य चुनौतियों की करें तो, आम चुनाव में उम्मीदवार बने रहे प्रत्याशियों के लिए प्रचार और लोगों का समर्थन हासिल करना ही अकेली चुनौती नहीं है। चुनावी अभियान के संचालन के बीच खर्च का हिसाब-किताब रखना भी आसान नहीं है। हालांकि लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बन रहे उम्मीदवार इस साल थोड़ी राहत महसूस कर सकते हैं। चुनाव आयोग ने खर्च की सीमा में पूरे 25 लाख रुपये की वृद्धि की है। हालांकि खर्च के नियमों की सख्ती अब भी जारी है। इन आम चुनाव में प्रत्येक लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनने वाला उम्मीदवार अधिकतम 95 लाख रुपये खर्च कर सकता है। खर्च की गिनती तब से शुरू होगी जबसे वह उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल करता है। प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव खर्च के लिए अलग से बैंक खाता खुलवाना होगा। उस करंट खाते के जरिये ही उम्मीदवार चुनाव का खर्च कर सकेगा। नकद खर्च को लेकर भी बंधन लागू है। पूरे चुनावी दौर में कोई भी उम्मीदवार एक व्यक्ति को 10 हजार से ज्यादा का भुगतान नकद नहीं कर सकता। उम्मीदवार इस खाते में खुद के पास मौजूद पूंजी के साथ परिवार, अपने दल या किसी से कर्ज लेकर पैसा जमा कर सकता है लेकिन चंदा नहीं ले सकता है।

साथियों बात अगर हम उम्मीदवारों के लिए संदेहास्पद लेन-देनों की करें तो, यह माना जाएगा संदेहास्पद लेन-देन
(1) पिछले दो माह में जमा या निकासी का कोई उदाहरण हुए बिना निर्वाचन के दौरान एक लाख रुपए से अधिक की असामान्य एवं संदेहजनक राशि की निकासी या बैंक खाते में डाला जाना।
(2) निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान जिले निर्वाचन क्षेत्र में ऐसे अन्तरण का कोई पूर्व उदाहरण हुए बिना पैन के माध्यम से एक बैंक खाते में विभिन्न व्यक्तियों के खाते में राशि का असामान्य रूप से राशि का अंतरण।
(3) अभ्यर्थी या उनकी पत्नी या उसके आश्रितों जैसा कि अभ्यर्थियों द्वारा दाखिल किए शपथ पत्र में उल्लेखित है जो मुख्य निर्वाचन अधिकरियों की वेबसाइट में उपलब्ध हैं, के बैंक खाते में एक लाख से अधिक की नकद राशि जमा करना या निकालना।
(4) निर्वाचन प्रकिया के दौरान राजनीतिक दल के खाते से एक लाख रुपए से अधिक की नकद राशि निकालना व जमा करवाना।
(5) अन्य कोई भी संदेहजनक नकद लेन-देन, जिसे निर्वाचकों को रिश्वत देने के लिए प्रयोग किया जा सकेगा।

साथियों बात अगर हम उम्मीदवारों के लिए अन्य वित्तीय नियमों की करें तो, बैंक खाता राज्य के किसी भी बैंक में या डाकघर में भी खोला जा सकता है।अभ्यर्थियों के बैंक खाता खोलने के लिए एक समर्पित काउन्टर पृथक से खोला जाना चाहिए, जो जमा एवं आहरण प्राथमिकता के आधार पर करेंगे। संदेहास्पद लेन-देन के संबंध में सूचना निर्धारित प्रपत्र में लीड बैंक मैनेजर द्वारा निर्वाचन व्यय लेखा प्रकोष्ठ में जिले के समस्त बैंकों की सूचना साप्ताहिक दिनांकवार संकलित करते हुए भिजवाई जाएगी। संदेहास्पद लेन-देन को राकने के लिए अग्रणी बैंक के नेतृत्व में एक प्रकोष्ठ बनाया जाएगा। जिसमें जिले के प्रत्येक बैंक एवं शाखाओं की सूची निर्धारित प्रारूप में भिजवाई जाएगी। संदेहास्पद लेन-देन की पहचान शाखा प्रबंधक द्वारा की जाएगी एवं सूचना लीड बैंक द्वारा संकलित कर साप्ताहिक, दिनांकवार निर्वाचन व्यय लेखा प्रकोष्ठ को भिजवाई जाएगी। अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने प्रेस में बताया कि चुनाव के दौरान किसी के पास 50 हजार से ज्यादा नकदी मिलने पर उसका स्रोत और मकसद बताना होगा। स्रोत या उद्देश्य नहीं बताने पर राशि जब्त की जा सकती है। उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति के पास दस लाख रुपये या इससे अधिक राशि मिलती है तो तुरंत आयकर विभाग को सूचित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि प्रत्याशी के अधिकृत चुनाव एजेंट को भी यदि नकद राशि ले जाते हुए पकड़ा जाता है तो उन्हें भी उसका हिसाब देना होगा। दस हजार रुपये से अधिक कीमत के पोस्टर, निर्वाचन सामग्री, ड्रग्स, मदिरा, हथियार या उपहार मिलते हैं जिनका उपयोग प्रलोभन के लिए किया जा सकता है उन्हें भी जब्त किया जा सकता है। अब तक दो लाख रुपये तक की रकम लेकर चलने पर उसका प्रमाण पत्र, बैंक रिकार्ड या रुपये के लेनदेन का ब्योरा लेकर चलना होता था। मगर, अब इस राशि का दायरा बढ़ाकर दस लाख रुपये कर दिया है। अगर कहीं चेकिंग में रकम पुलिस प्रशासन की संयुक्त टीम द्वारा पकड़ी जाती है और यह टीम तत्काल आयकर टीम को बुलाएगी। आयकर टीम जांच करेगी। मौके पर आयकर टीम को संबंधित व्यक्ति प्रमाण पत्र दिखा पाएगा तो रकम छूटेगी। अन्यथा उस रकम को फ्रीज कर जांच में रखा जाएगा। चुनाव आयोग इससे पहले ही चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए बांटे जाने वाले उपहारों, पैसों, शराब व ड्रग्स आदि पर पैनी नजर रखता है। साथ ही इसे जब्त करने की कार्रवाई भी करता है। गौरतलब है कि 2019 के चुनाव में 3449 करोड़ से अधिक कीमत के उपहार, नकदी व शराब आदि जब्त हुई थी।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि लोकसभा चुनाव 2024 चुनाव आयोग का फरमान- उम्मीदवार बने प्रत्याशियों गंभीरता से ध्यान दीजिएगा जी! सामुदायिक भोज, लंगर, भंडारे या समारोहों में उम्मीदवार बने प्रत्याशी शामिल हुए तो पूरा खर्च खाते में जुड़ेगा। लोकसभा चुनाव 2024 के उम्मीदवारों को चुनाव आयोग के खर्चे नियमों में, कड़े तेवरों से पग-पग पर नकेल कसना सराहनीय है।

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