जीवन का निर्वाह करना ही जीवन का उद्देश्य नहीं है : श्री राधाकृष्ण जी महाराज

सिलीगुड़ी। शिवम् पैलेस में विप्र फाउंडेशन के तत्वावधान में हो रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ मे प्रवचन करते हुए गोवत्स श्री राधाकृष्ण जी महाराज ने भावपूर्ण अंदाज मे कहा की हम सभी धन्य हैं कि हमारा जन्म भारत भूमि मे हुआ है, इस भूमि मे जन्म लेने के लिये तो देवता भी तरसते हैं, यहां ऐसे अनेकों भक्त हुए हैं जो भगवान को भी अपने पास बुला लेने की क्षमता रखते हैं, करमा बाई की खिचड़ी खाने के लिये श्याम को आना पड़ता है। स्वागत मंत्री संजय शर्मा ने कहा  समष्टि के सभी प्राणियों के हित, अधिकारों और स्वाभिमान का संरक्षण ही सनातन वैदिक संस्कृति का वैशिष्ट्य है। सिलीगुड़ी में आयोजित कथा के चतुर्थ दिन श्री राधाकृष्ण जी महाराज ने अपने उद्बोधन में श्रीमद् भागवत महात्म्य के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विजय संकल्प हमें मन को विजेता बनने की प्रेरणा देता है।

आत्म-विश्वास सुदृढ करने के लिए प्रतिदिन शुभ-संकल्प व शुभकर्म करने चाहिए तथा सदैव अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केन्द्रित रखना चाहिए। स्वप्न साकार नहीं होते, संकल्प साकार होते हैं। शुभ-संकल्प और मजबूत इरादों में ही सफलता का रहस्य समाहित है। जिसके संकल्प कमजोर होते हैं वह कभी जीवन में सफलता का वरण नहीं कर सकता। दृढ़ संकल्पित व्यक्ति हर समस्या, बाधा और कठिनाईयों को पार करके सफलता के इतिहास की रचना कर ही देते हैं। इसलिए सफलता किसी मंत्र, तंत्र या यंत्र से नहीं, बल्कि स्वयं के संकल्प बल से मिलती है।

कथा व्यास श्री राधाकृष्ण जी महाराज ने कहा शुभ संकल्प और सकारात्मक विचारों द्वारा व्यक्तित्व परिष्करण एवं श्रेष्ठता का आरोहण होता है। शुभ विचार वे विचार होते हैं, जो हमें न सिर्फ अपने कर्तव्यों का बोध करवाते हैं, बल्कि हमें सही कर्मपथ पर आगे बढ़ने का रास्ता भी दिखाते हैं, साथ ही अपनी जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करते हैं। इस तरह के विचार हमारे अन्दर नई ऊर्जा का संचार करते हैं, जिससे हम अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित होते हैं, बड़ों का सम्मान करना, जीवों पर दया करना, गरीबों एवं जरूरतमंदों की सहायता करना, विपत्ति के समय धैर्य एवं संयम बनाए रखना समेत कई ऐसी चीजें सीखाते हैं, जो कि हमारी खुशहाल जीवन के लिए बहुत उपयोगी होती हैं।

कथा आयोजन के चतुर्थ दिवस भक्तों की अपार भीड़ को देखते हुए आयोजकों को भक्तों के बैठने की अतिरिक्त व्यवस्था करनी पड़ी, स्वामी श्री राधाकृष्ण जी महाराज की सहज व स्वाभाविक प्रवचन शैली भक्तों को मोहित करती है, स्वामी पांच वर्ष पूर्व नानी बाई को मायरो की कथा करने हेतु पधारे थे, उस समय इन्होने सिलीगुड़ी मे प्रभात फेरी प्रारम्भ की थी जो आज तक हो रही है, स्वामी जी प्रतिदिन सुबह 6 बजे प्रभात फेरी मे निकलते हैं जिसमे भी भारी संख्या मे भक्त गण शामिल हो रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि विप्र फाउंडेशन सिलीगुड़ी चैप्टर द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के इस अभूतपूर्व आयोजन को सर्वांगीण करने हेतु समाज के सभी धर्मानुरागी महानुभाव गण सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं, विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय पदाधिकारीगण भी सिलीगुड़ी पहुंच रहे हैं, स्वागताध्यक्ष जुगलकिशोर तावणीया ने बताया की भविष्य मे भी इस तरह के समाजोपयोगी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, रामचन्द्र शर्मा, निरंजन शर्मा, दामोदर शर्मा, संजय एडमेन, दीपक शर्मा, विकास खण्डेलवाल, मुरारीलाल शर्मा सहित फाउंडेशन के सभी सदस्य सक्रिय रुप से आयोजन को दिव्य बनाने हेतु लगे हुए हैं।

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