आइए खुशरंग जीवन जीने की कला अपनी कौशलता से सीखें

हर पल को ख़ुशी से जीकर जीवन में खुशियों का रंग बिखेरें
जीवन की छोटी-छोटी बातों में ख़ुशी ढूंढकर ख़ुशी का आनंद लेकर ख़ुश रहें
विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक पल ढूंढकर ख़ुशी का इजहार करें – एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। मानव जीवन रूपी गाड़ी के सुख़ और दुख, ख़ुशी और गम रुपी दो ऐसे पहिए हैं जिसके बगैर जीवन रूपी गाड़ी चलना मुश्किल है, क्योंकि ऊपर वाले ने सृष्टि में मानव जीवन की रचना कर सफलताओं और सहायता के लिए ही यह दोनों पहियों को मानव जीवन में संचारित किए हैं।खुशी मनीषियों के अहंकार, अहम, अभिमान से अलंकृत होने का न्योता भी साथ-साथ देती है तो गम मनीषियों को सबक, सीख, नम्रता, सद्भाव सीखने का न्योता देता है, याने जीवन के दोनों पहियों से मानव को कौशलता से सीखने की ज़रूरत है। जब दोनों पहियों रूपी परिस्थितियों में मानव खुशरंग जीवन जीने की कला अपनी कौशलता से सीख लेगा तो अपने जीवन की गाड़ी को सफ़लता से अपने ऊंचे मानवीय सकारात्मक स्तरों को छू लेगा और मनुष्य जीवन के लिए एक मिसाल कायम कर अपना, अपने कुल और राष्ट्र का नाम ऊंचा करने का सामर्थ प्राप्त करेगा क्योंकि खुशी सफलता की चाबी है।

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम जीवन के एक पहिए खुशी की करें तो खुशियों को हम खुद अपनी कौशलता से अपने जीवन की छोटी-छोटी बातों में ढूंढ कर खुशी का आनंद ले कर खुश रह सकते हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक पल ढूंढकर, खुशी का इजहार कर अपने कौशलता से दूसरों को प्रोत्साहित कर मानवता धर्म को अदा कर ही सकते हैं। हम अगर सृष्टि में देखें तो कैसे कांटो के बीच भी गुलाब का फूल शिद्दत से खिलता मुस्कुराता रहता है, बस,यह तो हमारे लिए बहुत बड़ी सीख की ओर इशारा है।

साथियों बात अगर हम हमारे जीवन के पलों पर जमाने छिटाकशी की करें तो हमने1974 में आई हिंदी फिल्म अमर प्रेम का गाना, कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना, छोड़ो बेकार की बातें, सुनें होंगे इसलिए हमें चाहिए कि दूसरों की तारीफों का मोहताज नहीं बनकर अपने कार्य का स्वयं मूल्यांकन कर अच्छे कार्य पर स्वयं गर्व कर खुश रहें और क्या विपरीत, क्या गलत हुआ उसका स्वतः संज्ञान लेकर उसमें सुधारात्मक उपाय करने पर भी ख़ुशी का एहसास करना होगा, क्योंकि हमने अपने जीवन की कमी को ढूंढ कर उसे सुधारात्मक उपाय से सुधार कर आगे बढ़े यह भी एक खुशी की बात है, हर कमी में सुकून, सकारात्मकता और खुशी ढूंढ लोगों के साथ खुशियों को साझा करें, दूसरों की खुशियों में भी खुश रहें, मन में सुकून ग्रहण करने की आदत अपनाएं।

साथियों बात अगर हम जीवन के हमारे दुख रूपी पहिए की करें तो हम हमारे जीवन के दुख के क्षणों में हमें अपने को ऊपर कर अपनी आंखें अपने से नीचे झुकाकर देखना चाहिए कि हमारे से ज्यादा अधिक दुःखी कितने मनीषी जीव हैं और हृदय, मस्तिष्क में यह बात संचारित करें कि इनसे तो हम हमारे दुख बहुत छोटे हैं याने हम दुखों में भी अपनी खुशी ढूंढ तो बस, फिर क्या, जीवन की गाड़ी के दोनों पहियों में हमारे हृदय की सकारात्मक भावना को संचारित करें तो हम पाएंगे कि हमसे ज्यादा कोई ख़ुश है ही नहीं।

साथियों बात अगर हम जीवन की छोटी-छोटी बातों की करें तो उसमें हमें ढेर सारी खुशियां मिल सकती है। मसलन अपनी तुलना किसी से ना करें, हमेशा सकारात्मक पहलू पर ध्यान दें। लोगों के साथ खुशियों को बांटे, वह कार्य करें जिसमें खुशियां मिले। जो खुश रहते हैं ऐसे लोगों से मिलिए, आत्मविश्वास से भरपूर रहे। मनपसंद किताबें पढ़ें, समस्या है तो समाधान सोचे। कुछ स्पेशल और अच्छा सोचें, हमेशा चेहरे पर मुस्कान रखें, पुरानी अच्छी बातों को याद रखें, मन को बच्चे जैसा साफ रखें। अपने परिवार व बच्चों के साथ समय बिताएं, प्यार पाने को प्यार करना सीखे। छोटी-छोटी सफलताओं पर खुशियां मनाएं, 6 से 8 घंटे नींद पूरी लें इत्यादि। अनेक बातों पर ध्यान देने और अपनाने की कोशिश करें तो खुशियों का एहसास आपको जरूर नजर आएगा।

साथियों बात अगर हम स्वयं को खुश रखने की करें तो, आप स्वयं ही अपने आपको प्रसन्न कर सकते हैं। प्रसन्नता कोई अपने आप आने वाली चीज नहीं है। इसके लिए आपको लगातार कोशिश करनी होगी। जब आपको दूसरों की खुशी में ही खुशी मिलने लगेगी तो आप खुशी के भीतर छिपा राज जान लेंगे। याद रखें कि खुशी हमेशा किसी वस्तु की इच्छा, प्रशंसा या कुछ करने में नहीं होती। जीवन की छोटी-छोटी बातों में खुशियां तलाशें और मानकर चलें कि आप प्रसन्न हैं। कोई भी अपना मनपसंद काम करके खुशी पा सकता है। यदि आप मनचाहा काम करने जा रहे हों तो आपको सच्ची प्रसन्नता मिलती है। कुछ रचनात्मक कार्य करें, बेकार व्यक्ति कभी भी खुशी नहीं पा सकता। अपनी इच्छाएं सीमित करके अपने साधनों से संतुष्ट रहने में ही सच्ची खुशी छिपी है। जो लोग कुछ नहीं कर सकते उनके पास काम ही नहीं होता। खुशी का एक रहस्य यह भी होता है कि आप अपने हुनर से समाज, परिवार, सहकर्मियों व अपने काम आएं।

साथियों बात अगर हम छोटी छोटी चीजों में खुशियां ढूंढने की करें तो, कभी कभार जो खुशी या संतुष्टि हमें बड़ी से बड़ी चीज में नहीं मिलती वह हमें छोटी सी बात में मिल जाती है। किसी को घूमने में खुशी मिलती है तो किसी को पेंटिंग करने से, कोई गाकर खुश हो जाता है तो कोई किसी से बात करने के बाद खुशी महसूस करता है। आपको अपने जीवन बस वह छोटी सी बात की ही ज़रूरत है और अगर आपने उस खुशी को वाकई ढूंढ़ लिया तो आप बड़ी से बड़ी परेशानी से भी निजात पा लेंगे। क्योंकि खुशी सफलता की चाबी है।

साथियों बात अगर हम मनोवैज्ञानिक विचारों की करें तो, मनोवैज्ञानिक भी कहते हैं कि हमारे लिए अपने जीवन की हर छोटी-बड़ी चीज की सराहना करना बहुत जरूरी है, खुश और सकारात्मक रहने के लिए, लेकिन आमतौर पर, हम इसके विपरीत करते हैं। हम अपने जीवन में जो कुछ भी है उसकी सराहना नहीं करते हैं और अन्य चीजों को न कर पाने से निराश हो जाते हैं, ये अक्सर हमारी मानसिक शांति को छीन लेता है और हम जीवन में अधिक से अधिक होने के लिए अनावश्यक प्रतिस्पर्धा करते रहते हैं। लेकिन हममें से कुछ लोग हैं, जो अपने जीवन में छोटी-छोटी चीजों से खुश हो जाते हैं और वो अपने दिल की बात मानते हैं।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि खुशरंग जीवन जीने की कला अपनी कौशलता से सीखें हर पल को ख़ुशी से जीकर जीवन में खुशियों का रंग बिखेरें। जीवन की छोटी-छोटी बातों में ख़ुशी ढूंढकर ख़ुशी का आनंद लेकर ख़ुश रहें विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक पल ढूंढकर ख़ुशी का इजहार करें।

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