कोलकाता विशेष || कॉलेजों में छात्रों को नहीं मिल रही जगह, 12 करोड़ की इमारत पड़ी है अनुपयोगी

कोलकाता। पश्चिम बंगाल हायर सेकेंडरी परीक्षा के परिणाम जारी होने के बाद कॉलेजों में एडमिशन शुरू हो गए हैं। हालांकि आंकड़े बताते हैं कि पास करने वालों की तुलना में सीटों की संख्या कम है। पश्चिम बंगाल प्राचार्य परिषद के अध्यक्ष और आचार्य जगदीश चंद्र बोस कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. पूर्णचंद्र माइती ने कहा कि समस्या की जड़ राज्य में शैक्षिक योजना का अभाव है। अगर फंड आता भी है तो उसका इस्तेमाल करने की इच्छाशक्ति नहीं होती। पूर्ण ने कहा, इस कॉलेज में स्नातक स्तर पर 13 विषयों में 102 सीटें हैं। पिछली बार दाखिले के लिए करीब 18 हजार आवेदन आए थे।

हम लंबे समय से 12 और विषयों में पाठ्यक्रम शुरू करना चाहते हैं। सरकार के पास पैसा नहीं है। इसलिए हम इसे सेल्फ फाइनेंसिंग यानी छात्रों की फीस पर चलाएंगे। यह अनुमति भी नहीं मिल रही है। दो बीघा जमीन पर हमने सात मंजिला इमारत बना ली है। करीब 12 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। और अगर आप दो करोड़ खर्च करते हैं, तो भवन 100 प्रतिशत पूर्ण हो जाएगा। पूरी इमारत खाली है। 10-12 शिक्षक भी अतिरिक्त हैं।

उन्होंने कहा, इस कॉलेज में बीई में 50 सीटें हैं। 16 शिक्षक है। 12 से ज्यादा शिक्षकों को क्लास नहीं दे सकते। नए पाठ्यक्रमों को अनुमति देने से अधिक छात्रों को अवसर भी मिलेंगे। शिक्षकों का भी सही उपयोग किया जा सकता है। मैंने उच्च शिक्षा बोर्ड, शिक्षा मंत्री और यहां तक कि मुख्यमंत्री को भी लिखा है। कोई जवाब नहीं देता। मैं शिक्षा विभाग के मुख्यालय विकास भवन गया था, कोई लाभ नहीं हुआ।

पूर्ण ने इस संबंध में ‘राजनीतिक पूर्वाग्रह’ के आरोप भी लगाए हैं। उनके शब्दों में, “पार्थ चटर्जी ने शिक्षा मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अपने करीबी संस्थान बेहला कॉलेज के भवन निर्माण के लिए पिछले दो वर्षों में कुल 10 करोड़ रुपये आवंटित किए। लेकिन हमने अपना कॉलेज को अपने फंड से बनाया है। इसकी भी अनुमति नहीं है।”

दक्षिण कोलकाता में ईएम बाईपास से सटे कोलकाता के एक प्रसिद्ध निजी संस्थान ‘द हेरिटेज कॉलेज’ के बारे में भी लगभग यही कहा जाता है। उनके एक अधिकारी ने कहा कि हम स्नातक स्तर पर सीटों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं। हमलोग स्नातकोत्तर स्तर पर भी पाठ्यक्रम शुरू करना चाहते हैं। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर होने के बावजूद हमें राज्य सरकार से अनुमति नहीं मिल रही है।”

शिक्षण संस्था ‘वेबकुटा’ में विगत 34 वर्षों से विभिन्न दायित्वों का निर्वहन कर रहे डॉ. प्रबोध मिश्र वर्तमान में संस्था के उपाध्यक्ष एवं खिदिरपुर महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक हैं। उन्होंने दावा किया, “2010 में वाम मोर्चा सरकार ने स्नातक स्तर पर बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, पत्रकारिता पाठ्यक्रम शुरू किए ताकि नए छात्रों को युग के अनुसार उपयुक्त पाठ्यक्रम में अध्ययन करने का अवसर मिले। कई जगह शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई बाधित हो रही थी।

करीब ढाई हजार शिक्षकों की नियुक्ति है। राज्य में राजनीतिक बदलाव के बाद शिक्षा क्षेत्र की उपेक्षा की जा रही है। बुनियादी ढांचे के बिना कई चीज़ें लागू करने की कोशिश हो रही है। अस्थायी ‘ शिक्षक’ तैयार किए जा रहे हैं। यह बहुत दुखद है, छात्रों, शिक्षकों, शिक्षा कर्मचारियों – सभी को समस्या हो रही है।

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