राहुकाल के शुभा-शुभ फल जानिए

वाराणसी । राहुकाल जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह काल राहु ग्रह का होता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु को अशुभ ग्रह माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु काल में कोई भी कार्य करना वर्जित माना जाता है। यानि की राहुकाल के दौरान किसी भी शुभ कार्य को नहीं करना चाहिए। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य, शुभ कार्य या जीवन के महत्वपूर्ण कार्य भी नहीं किए जाते हैं। क्योंकि ऐसे कार्य आपके जीवन में बहुत अधिक प्रभाव रखते हैं और इस प्रकार के कार्यों को राहुकाल में करना श्रेयकर नहीं माना जाता है। अगर ऐसे कार्यों को पहले प्रारंभ कर लिया है और राहुकाल बाद में आया तो फिर उन शुभ कार्यों पर राहु का कोई असर नहीं होता है।

राहुकाल के प्रभाव : ज्योतिष शास्त्र में राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य वर्जित है। अगर कोई व्यक्ति राहुकाल में कोई भी कार्य प्रारंभ करता है, तो उस कार्य में उस व्यक्ति को हानि का सामना करना पड़ता है। राहुकाल प्रतिदिन आता है और कई बार तो शुभ चौघड़िया के समय में भी राहुकाल आ जाता है। क्योंकि राहुकाल प्रतिदिन आता ही है तो उस दौरान कोई ना कोई चौघड़िया उससे टकराता भी रहता है। इसलिए किसी-किसी दिन शुभ चौघड़िया जब चल रही होती है, तो उसी समय राहुकाल भी आ जाता है और ऐसे में आपने शुभ चौघड़िया देखकर कोई शुभ कार्य आपने प्रारंभ किया और राहुकाल का ध्यान नहीं रखा तो ऐसी स्थिति में हानि हो सकती है….।

इसलिए आपको शुभ तिथि और शुभ मुहूर्त होने के बाद भी अगर उस समय राहुकाल हो तो उस समयाविधि के दौरान आपको वह शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, अन्यथा उस कार्य को करने से हानि होने की संभावना रहती है और आपको उस कार्य को करने के बाद भी असफलता ही हाथ लगती है। किसी भी शुभकार्य का मुहूर्त देखते समय राहुकाल का विशेष ध्यान रखें। कि उस मुहूर्त के दौरान राहुकाल तो नहीं है अथवा उस तिथि में राहुकाल का समय क्या है, इत्यादि बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। शुभ कार्य को प्रारंभ करने के दौरान आप उस अवधि में से राहुकाल को निकाल दें। और उसके बाद कोई भी कार्य आरंभ करें….।

प्रतिदिन राहुकाल का समय लगभग डेढ़ घंटे के करीब होता है, तो उस दिन की शुभ तिथि और शुभ मुहूर्त में अपना कार्य प्रारंभ करते समय आप इस समयाविधि का विशेष ध्यान रखें, और इस राहुकाल की अवधि से पूर्व या फिर बाद में अपना शुभ समय देखकर ही शुभ कार्य को प्रारंभ करें…।

राहुकाल लगभग 90 मिनट का होता है और इसका समय दिनमान पर निर्भर करता है। ज्योतिष के अनुसार दिनमान को आठ बराबर भागों में विभाजित किया जाता है, इसलिए दिनमान का प्रत्येक आठवां भाग एक विशेष ग्रह का होता है तो जबकि ज्योतिष के अनुसार नवग्रह होते हैं तो इसलिए यह काल प्रतिदिन अलग-अलग समय में आता है। लेकिन यह जरुर है कि दिन के उस आठवें भाग में ही कहीं ना कहीं यह राहुकाल आएगा। क्योंकि यह समय सूर्यास्त और सूर्योदय पर निर्भर करता है। इसलिए जगह के हिसाब से भी राहुकाल की अवधि कभी-कभी आगे-पीछे होती रहती है। रविवार से शनिवार के बीच राहुकाल अलग-अलग हिस्से में आता है…।

राहुकाल की गणना : रविवार के दिन राहुकाल दिन के आठवें हिस्से में आता है। यानि कि शाम के समय में राहुकाल आता है। सोमवार को दिन के दूसरे हिस्से में यानि कि सूर्योदय के 90 मिनट बाद से राहुकाल प्रारंभ होता हैं। मंगलवार को दिन के सातवें हिस्से में और बुधवार को दिन के पांचवे हिस्से में राहुकाल आता है। गुरूवार को दिन के छठे हिस्से में तो शुक्रवार को दिन के चौथे हिस्से में राहुकाल आता है। शनिवार को दिन के तीसरे हिस्से में राहुकाल आता है…।
अतः राहु काल में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।

ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fifteen − nine =