सन् 2022 में तुला राशि का वार्षिक राशिफल जानें, पं. मनोज कृष्ण शास्त्री से

।।सन् 2022 में तुला राशि का वार्षिक राशिफल।।

तुला LIBRA
(र, री, रु, रे, रो, ता, ति, तू, ते)
शुभरंग- सफेद,
शुभ अंक- 7
शुभधातु- चाँदी,
शुभरत्न- हीरा व ओपल,
शुभदिन- शुक्रवार,
इंष्ट- सन्तोषीमाता (अथवा कुलदेवी जो भी हो) का व्रत व पूजन करे,
शुभमास- चैत्र व ज्येष्ठ,
मध्यममास- आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, पौष, माघ व फाल्गुन, अशुभमास- वैशाख, कार्तिक व मार्गशीर्ष।

वायु तत्व प्रधान इस राशि का स्वामी शुक्र है इसके कारण ग्रह बुध, शुक्र और शनि माने गए हैं। चित्रा, स्वाति और विशाखा इस राशि के नक्षत्र हैं। चित्रा नक्षत्र के देव त्वाशत्व और स्वामी मंगल हैं। इस नक्षत्र के जातक शौकीन मिजाज होते हैं। एक साथ अनेक विषयों में शौक होने के कारण किसी विशेष विषय में ध्यान फोकस नहीं कर पाते। इनमें चंचलता बहुत होती है। सफलता की उम्मीद तो ये बहुत करते हैं लेकिन उसके लिए उतनी दिमागी मेहनत नहीं करते। स्वाति नक्षत्र के देव वायु और स्वामी राहू हैं। इस राशि के जातकों में एकाग्रता और सफल होने के भरपूर गुण पाए जाते हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले काफी भाग्यवान होते हैं। विशाखा नक्षत्र के देव इंद्र-अग्नि हैं और स्वामी गुरु हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले अधिकतर दुविधा में रहते हैं और इनके मन में विरोधाभासी विचार चलते रहते हैं।

तुला राशि पर शुक्र का आधिपत्य होने के कारण इस राशि के जातकों को बनने-संवरने, संगीत, चित्रकारी और बागवानी जैसे शौक होते हैं। इन जातकों का शरीर दुबला-पतला और अच्छे गठन वाला होता है। मुस्कान मोहक होती है। एक बार मित्र बना लें तो हमेशा के लिए अच्छे मित्र सिद्ध होते हैं। इनकी खूबी यह होती है कि वे विवादों को बड़ी कुशलता से निपटाते हैं और संघर्ष व टकराव की स्थिति से बचने के लिए स्वयं को निष्पक्ष रखते हुए बड़ी चतुराई से अपनी बात कहते हैं। निष्पक्ष तर्क करने के लिए अगर कूटनीति का सहारा लेना पड़े या समझौते का रास्ता बनाना पड़े तो भी गुरेज नहीं करते और अपनी बौद्धिक क्षमता का भरपूर इस्तेमाल करना जानते हैं। हालांकि, स्वयं अपने लिए तुरन्त निर्णय नहीं ले पाते और अनिर्णय की स्थिति में रहते हैं।

ये अपने नफा-नुक्सान के बारे में सोचने में ज्यादा वक्त लगाते हैं। हालांकि, विपरीत सैक्स के प्रति तुला जाति वाले जल्दी आकर्षित होते हैं लेकिन जीवनसाथी बनाने का निर्णय लेते समय काफी सावधान रहते हैं और बहुत सोच-विचार करते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि इस राशि के लोग निर्णय लेने से डरते हैं और इसलिए हर बात के लिए अपने पार्टनर पर निर्भर होते हैं। ये अकेलेपन से काफी घबराते हैं और इसलिए कई बार परख किए बिना ये लोगों से जुड़ जाते हैं। इससे कई बार उनका गलत रिश्तों से सामना होता है।

तुला राशि के लड़के अपने रिश्ते को लेकर काफी ईमानदार होते हैं। हालांकि, ये अपने साथी पर हावी रहते हैं लेकिन अगर इनका साथी इन पर रौब जमाए तो यह इनको बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता। ये चाहते हैं कि हमेशा सौंदर्य इनके आसपास रहे। हालांकि, ये चेहरे से ज्यादा लोगों के दिल की खूबसूरती पर मर मिटते हैं। यह भी कहा जाता है कि तुला राशि वाले जातक किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होते, दूसरों को प्रोत्साहन देना, सहारा देना इनका स्वभाव होता है। ये कलाकार, सौंदर्योपासक व स्नेहिल होते हैं। व्यवहारिक भी होते हैं और इनके मित्र इन्हें पसंद करते हैं।

इस वर्ष का दिनमान गोचर गति चार एकपक्षीय रूप में शुभ विधायक नहीं, नियोजित सन्तुलित जन-जीवन पर विशेष लक्ष्य साधना रखावें तथा शांत मनोवृत्ति, नीति-रीति, संयम-विवेक आदि गुण धर्मों का आश्रय विशेषकर लेवें। कुयोग रचना 60 प्रतिशत तो सुयोग का निर्माण 40 प्रतिशत का ही है, इसी अनुपात नियम से प्रति विषयक जीवनीय प्रतिफल बन पायें। कुयोगद रचनावश, वाद-विवाद, कार्य विबाधा, विरोधाभास, जमीन-जायदाद, भूमि, स्त्री वर्ग तत्व से चिन्तन मनोविकार रहे। सुख-सम्पदा, यश, मानद जीवन स्तर, आर्थिक कोष की कमी आदि से असन्तोष की गति मति कार्य व्यवसाय में कमी, रकम अवरोध, लाभ आमद का गतिक्रम इच्छानुकूल नहीं बन पावे सुयोग पक्ष से दिनचर्या-रात्रिचर्या ठीक रहे, बौद्धिक प्रतिमा तथा सोच-विचार की पात्रता ठीक बन पावे। यथासंभव अधिकारीगण तथा मित्र, बान्धव, सहयोगी वर्ग से वाद-विवाद नहीं हो पावे, इस पर ध्यान रखें।

इस वर्ष 12 अप्रेल से जन्म राशि पर केतु तथा सप्तम स्थान में राहु का आगमन होगा। फलतः पित्त / वायु दोष के कारण शारीरिक कष्ट तथा चोट आदि का भय रहेगा। स्त्री-पुत्र के कारण धन व्यय होगा। साझेदारी के मामलों में हानि होगी। अदालती मामले प्रतिकूल व भयजनक होंगे। 13 अप्रेल से छठे स्थान में गुरु रोग की उत्पत्ति, पुत्र सन्तान से वैमनस्य, धन की कमी अनुभव करायेगा। वर्ष में 29 अप्रेल से शनि पांचवें स्थान में स्वर्णपाद से गतिशील होगा। फलतः स्त्री को शारीरिक कष्ट, कार्य व्यवसाय में हानि, सन्तान सम्बन्धी समस्याऐं उत्पन्न होंगी किन्तु शनि राशिपति शुक्र का मित्र होने से अधिक कष्टदायक नहीं होगा। न्याय-नीति से समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा।

शनि 4 जून से वक्री होकर 12 जुलाई से पुनः चतुर्थ स्थान में ढैय्या के रूप में ताम्रपाद से गतिशील होगा। सामान्यतया चतुर्थ शनि स्थान परिवर्तन, सम्बन्धियों से वियोग, पारिवारिक व सम्पत्ति विषयक समस्याओं के कारण, मानसिक अशांति उत्पन्न करता है लेकिन ताम्रपाद से शनि कृषि, व्यापारिक क्षेत्र में लाभ भी देता है। 23 अक्टूबर से शनि मार्गी होकर 17 जनवरी 2023 से पुनः पांचवें स्थान में रजतपाद से गतिशील होगा फलतः व्यापार में वृद्धि, धन-धान्य सम्पदा वृद्धि, राजपक्ष में सम्मान तथा प्रभाव क्षेत्र बढ़ेगा। घर में शुभ कार्य सम्पन्न होंगे। सारांशतः वर्ष में ग्रह गोचर के शुभाशुभ प्रभाव पारिवारिक सुख-शांति में अस्थिरता उत्पन्न करेंगे। वाद-विवाद, रोग आदि में धन व्यय होगा। सुयोग वृद्धि हेतु सिद्ध साधित शनि मुद्रिका धारण करें तथा गुरुवार का व्रत रखना भी शुभ सूचक रहेगा।

।।मासिक राशिफल।।

जनवरी : संतान सुख की प्राप्ति होगी। समय के अभाव में परिवार उपेक्षित महसूस करेगा। कार्यक्षेत्र का दायरा बढ़ेगा जिससे आप अपना स्तर ऊँचा उठा लेंगे। संतान पक्ष से सुख मिलेगा एवं साक्षात्कार प्रतियोगिता में सफलता से मन प्रफुल्लित होगा। वरिष्ठजनों के सलाह के बिना कोई बड़ा निर्णय नहीं लेवे एवं अनावश्यक वाद-विवाद से बचें।
माह की 1 से 15 तारीख शुभ, व 21 से 27 मध्यम रहेगी।

फरवरी : जीवनयापन के नए साधन प्राप्त होंगे। खान-पान, योग, व्यायाम जैसी गतिविधियों में आपकी रुचि बढ़ेगी। कोर्ट कचहरी में मित्रों की गवाही काम आयेगी। प्रशासन में भागीदारी होगी एवं मांगलिक कार्यों में सहभागिता बढ़ेगी। लोग आपके बारे में गलत अवधारणा बना लेंगे एवं आप सही-गलत का फैसला नहीं कर पायेंगे।
माह की 1, 2, 3, 5, 6, 9, 10, 11, 12, 15, 19, 20, 21, 23, 27 व 29 तारीख शुभ होगी।

मार्च : रुके कार्य सिद्ध होंगे। इस समय मंगल-शनि-शुक्र-बुध की युति चतुर्थ भावस्थ होने से सभी प्रकार के सुख प्राप्त होंगे। कार्यक्षेत्र के विस्तार के पूर्ण अवसर प्राप्त होंगे। अधिक प्रयास से अटके हुए कार्य पूर्ण होंगे।
माह की 2, 3, 7, 9, 10, 12, 17, 21, 22, 26, 27 व 29 को मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा।

अप्रैल : काम के क्षेत्र में संभव है। आत्म-निरीक्षण तथा स्व-मूल्यांकन करेंगे। सामाजिक कार्यों में आपकी सहभागिता बढ़ेगी। व्यापार की विषमता के कारण ऋण के योग बनेंगे। प्रशासन में अटके कार्य पूर्ण होंगे। स्वास्थ्य का पाया कमजोर होगा। गुरु स्वगृही होकर छठे भाव में है, अतः पढ़ाई को लेकर या परीक्षा परिणाम को लेकर एवं संशय के बाद भी परिणाम सुखद होगा।
माह के दूसरे सप्ताह में किसी शुभ कार्य को न करें।

मई : सपने पूरे करने के लिए यह माह श्रेष्ठ है। धन का अपव्यय होगा। किसी निकट रिश्तेदार, मित्र से बिछोह हो सकता है। पाचन तंत्र, बुखार, शारीरिक थकान व आलस्य के योग बनेंगे। घर में किसी नन्हे मेहमान का योग बनेगा। अपनों का मार्गदर्शन कार्यक्षेत्र में तरक्की देगा।
माह की 1 से 10 तारीख उत्तम फलदायक, व 21 से 25 शुभ कार्य के लिए वर्जित है।

जून : विदेश यात्रा के योग । कार्यक्षेत्र में नयापन लाभकारी होगा। आपके स्वभाव में परिवर्तन होगा। यदि लालच करेंगे तो जितना मिलेगा उससे भी हाथ धो बैठेंगे। धैर्य के साथ काम करना चाहिए अन्यथा परिवार में संबंध खराब होंगे। आप आध्यात्मिक व बौद्धिक ऊचाईयाँ प्राप्त करेंगे। भौतिक संसाधनों में वृद्धि होगी, किन्तु आप उसका सदुपयोग नहीं कर पायेंगे।
माह की 1 से 15 तारीख तक अपना संयम रखें।

जुलाई : संतान सुख प्राप्त हो सकता है। किसी को उधार न देवे अन्यथा डूब जायेंगे। कार्यक्षेत्र में आपकी प्रशंसा होगी एवं उच्चाधिकारियों से संबंध सुधरेंगे। चन्द्रमा का पंचमस्थ गोचर संतान से संबंधित शुभ सूचना देगा। आप बहुत उद्यमी होंगे और लोगों की परवाह के बिना भी अपने कार्य सिद्ध कर लेंगे। सोचे हुए कार्य टलते जायेंगे।
माह की 10 से 18 तारीख व 23 से 28 तारीख शुभ है।

अगस्त : अविवाहितों के जीवन में कोई आ सकता है। द्वादशस्थ चन्द्रमा मनःस्थिति डांवाडोल करेगा। खुद को साबित करने के लिए समय कठिन होगा। वाहन पर अनर्थक व्यय होगा। पराये झगड़ों से दूर रहे, अन्यथा आप उसमें फंस जायेंगे। मांगलिक कार्यों में व्यवधान आयेगा। समय पर भोजन नहीं करने से स्वास्थ्य खराब होगा।
माह की 1, 2, 3, 5, 6, 10, 11, 12, 15, 18, 20, 21, 23, 27, 28व 30 शुभ है।

सितम्बर : परिवार में कलह का माहौल हो सकता है। धार्मिक रुचि बढ़ेगी एवं लोग आपसे प्रभावित होंगे। आपकी प्रगति बहुत मन्दगति से होगी। गुप्त रोग या पेट से संबंधित बीमारी से ग्रस्त होंगे। ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर आदि लापरवाही से बढ़ सकती है। अनर्थक कार्यों से छवि को नुकसान होगा।
माह की 4, 13 व 22 तारीख को कोई नया अथवा शुभ कार्य न करें।

अक्टूबर : वाद-विवाद से बचें। शनि का स्वयं की राशि में गोचर आपकी सुविधाओं में वृद्धि करेगा। मांगलिक कार्यों में व्यस्तता बढ़ेगी। समाज में मधुरता बढ़ेगी। आपका अड़ियल रवैया आपके लिए हानिकारक होगा। भविष्य की योजनाओं को सोचने में ही समय व्यतीत होगा एवं जीवनसाथी का सहयोग मन को हर्षित करेगा।
माह के प्रथम व तीसरे सप्ताह शुभ हैं।

नवम्बर : संकट के समय मित्रों से सहयोग लें। मकान के नवीनीकरण में धन का व्यय होगा। धन का अपव्यय मानसिक कष्ट देगा। स्वजनों का साथ मनोबल बढ़ाएगा। प्रशासन के साथ उलझ सकते है। मांगलिक कार्यों में व्यस्तता बढ़ेगी एवं इष्टमित्रों के सहयोग व्यापार में उन्नति में होगी।
माह की 2, 3, 5, 18, 11, 12, 14, 19, 20, 21, 28व 29 तारीख शुभ परिणामदायक है।

दिसंबर : वाणी पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है। कार्यक्षेत्र की व्यस्तता के कारण निजी जीवन में समय की कमी से रिश्ते संघर्ष करते नजर आयेंगे। लोगों का दिखावटी प्रेम भी आपको लाभदायक होगा। यात्राओं से व्यापार की उन्नति होगी। आपके कार्य निर्धारित समय व योजना के अनुसा पूर्ण होंगे।
माह के दूसरे सप्ताह में रुके धन की वापसी संभव है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
पं. मनोज कृष्ण शास्त्री
9993874848

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