नीलांबर द्वारा कविता जंक्शन का आयोजन संपन्न

  • देशभर से आए कवियों द्वारा किया गया कविता पाठ
  • मई दिवस के अवसर पर आयोजित कविता जंक्शन में उपस्थित हुए शहर के सहित्यप्रेमी

कोलकाता। साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था नीलांबर कोलकाता ने मंथन सभागार, सियालदह रेलवे ऑफिसर्स क्लब में मई दिवस के अवसर पर कविता जंक्शन कार्यक्रम का आयोजन किया। इस वर्ष की साहित्यिक सांस्कृतिक गतिविधियों के क्रम में संस्था का यह पहला आयोजन था। संस्था के अध्यक्ष यतीश कुमार ने इस अवसर पर स्वागत वक्तव्य रखते हुए कहा कि कविता जंक्शन सीखने एवं संवाद का एक सार्थक मंच है। हमारे सारे कार्यक्रमों में यह अकेला कार्यक्रम है जो एक वर्कशॉप की तरह है। कार्यक्रम की शुरुआत में लोकरंगी की टीम द्वारा मजदूरों पर केंद्रित काव्य गीतों की प्रस्तुति की गई।

इस टीम में शामिल थे ऋतेश कुमार, विशाल पांडेय, दीपक ठाकुर, दिनेश राय, अपराजिता, तनिष्का, खुशी सिंह। इस अवसर पर संस्था के संरक्षक मृत्युंजय कुमार सिंह द्वारा लोक गीत की प्रस्तुति की गई। इस दिन के परिचर्चा सत्र में समकालीन कविता का ताना बाना विषय पर सार्थक चर्चा हुई। विषय पर अपनी बात रखते हुए सुपरिचित कवि एवं आलोचक निशांत ने कहा कि कविता की आलोचना लिखने में काफी मेहनत और तैयारी की जरूरत पड़ती है।

कविता लिखना आसान है, उसकी आलोचना करना कठिन। सुपरिचित कवि, कथाकार एवं आलोचक डॉ सुनीता ने विषय को आगे बढ़ते हुए वर्तमान स्त्री कविता के परिदृश्य पर चर्चा की एवं कहा कि समकालीन कविता पर सबसे बड़ा संकट यह है कि आज हम सत्ता से सवाल पूछने की बजाय खुद से ही जूझते नजर आ रहे हैं । यह सुखद है कि आज कुछ स्त्रियाँ कविता में लगातार जरूरी सवाल उठा रही हैं।

प्रतिष्ठित आलोचक अरुण होता ने समकालीन कविता के वर्तमान परिदृश्य पर अपनी बात रखते हुए कहा कि आज के कवियों को परंपरा और प्रतिरोध की चेतना को कविता में मुखर करना चाहिए। जो कवि समाज, देश तथा मनुष्यता के लिए रचनारत रहे वही समकालीन कविता की सबसे बड़ी ताकत हैं। प्रतिष्ठित कवि एवं आलोचक निरंजन श्रोत्रिय ने वर्तमान युवा कविता के विभिन्न पक्षों को रेखांकित करते हुए कहा कि आज के युवा कवियों का संघर्ष बहुत बड़ा है।

उनके सामने एक साथ ढेर सारी चुनौतियां खड़ी हैं। बिना पढ़े किसी भी आलोचक को आज के युवा कवियों की कविताओं पर वक्तव्य नहीं देना चाहिए। इस कविता जंक्शन का मुख्य आकर्षण था देश भर से आए कवियों का कविता पाठ। इसमें निरंजन श्रोत्रिय, निर्मला तोदी, प्रभात मिलिंद, अनिल अनलहातु, राज्यवर्धन, प्रमिता भौमिक (बांग्ला), कुंदन सिद्धार्थ, निधि अग्रवाल, गुंजन उपाध्याय पाठक, रौनक अफरोज और अनिला राखेचा शामिल थीं।

परिचर्चा सत्र एवं कविता सत्र का संचालन क्रमशः कृष्ण कुमार श्रीवास्तव एवं सुधा तिवारी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन किया संस्था के उप सचिव एवं कार्यक्रम के संयोजक आनंद गुप्ता ने। उक्त कार्यक्रम का एक उल्लेखनीय हिस्सा रहा नीलांबर के ग्यारह साथियों की सद्यः प्रकाशित किताबों का लोकार्पण।

इसमें यतीश कुमार के कविता संग्रह ‘आविर्भाव’, मृत्युंजय कुमार सिंह के खंड काव्य ‘द्रौपदी’, निर्मला तोदी के कविता संग्रह ‘यह यात्रा मेरी है’, निशांत के कविता पर केंद्रित आलोचना की किताब ‘कविता, पाठक, आलोचना’, डॉ सुनीता के कविता संग्रह ‘शंख पर असंख्य क्रंदन एवं कहानी संग्रह ‘सियोल पर सरयू’, निधि अग्रवाल के उपन्यास ‘अप्रवीणा’, पूनम सोनछात्रा के कविता संग्रह ‘एक फूल का शोकगीत’, गुंजन उपाध्याय पाठक के कविता संग्रह ‘दो तिहाई चांद’, रौनक अफरोज के नज्म संग्रह ‘जरा मौसम बदलने दो’,

विनय मिश्र की आलोचना पर केंद्रित पुस्तक ‘ उदय प्रकाश : एक कवि का कथा-देश’ एवं प्रभात मिलिंद द्वारा अनुदित दो किताबों ‘अस्मिता का संघर्ष’ (मूल – शशि थरूर) तथा ‘एम और हूम साहब’ (मूल- जेरी पिंटो) का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर प्रियंकर पालीवाल, आशुतोष सिंह, उदय राज सिंह, लक्ष्मण केडिया, सेराज खान बातिश सहित कोलकाता के अनेक साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।

 

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