कोलकाता। भारतीय जूट मिल संघ (आईबीएमए) ने अच्छी किस्म वाली कच्चे जूट की कीमत को 6आईजेएमए ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई एक बैठक के बाद जूट आयुक्त को कीमत बढ़ाने का सुझाव दिया है। राज्य सरकार ने खाद्यान्न भंडारण में इस्तेमाल होने वाले जूट के बोरों की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को लेकर जूट उत्पादकों की राय मांगी थी। आईजेएमए से जुड़े सूत्रों ने कहा, ‘‘हमारे सदस्य राज्य सरकार की इस चिंता को समझते हैं कि जूट की कीमतें बढ़ने से उससे बनने वाले बोरों की कीमतों में भी वृद्धि की इजाजत नहीं दी जा सकती है। ऐसे में आईजेएमए प्रस्ताव रखता है कि टीडीएन3 किस्म की जूट की अधिकतम कीमत को बढ़ाकर 7,200 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया जाए।’’
सूत्रों के मुताबिक, जूट आयुक्त ने इस किस्म के जूट के लिए 6,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर तय की है लेकिन परिवहन खर्च जोड़ने के बाद मिलों को इस पर करीब 7,000 रुपये प्रति क्विंटल की लागत आती है। इसकी वजह से उद्योग को घोषित मूल्य पर कच्चा माल नहीं मिल पा रहा है। लिहाजा सरकार को जूट-निर्मित बोरे की कीमत की गणना में इस पहलू को भी ध्यान में रखना चाहिए। जूट मिल संगठन के मुताबिक, कच्चे जूट के व्यापार में बाजार ताकतों को खुली मंजूरी देने की स्थिति में कीमतें 7,200 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे भी आ सकती हैं जिसके बाद बी-ट्विल की कीमत कम रखी जा सकती है।
आईजेएमए ने कहा कि उसकी तरफ से सुझाए गए प्रस्तावित कदम चालू जूट वर्ष के अंत यानी 30 जून, 2022 तक लागू रहने चाहिए। जूट कीमतों के मसले पर बंगाल सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और कपड़ा मंत्रालय से भी संपर्क साधा है। इस दौरान कच्चे जूट की कीमत बढ़ाने के आईजेएमए के सुझाव पर भी चर्चा हुई है। इस बीच, जूट भंडारण की सीमा को लेकर जूट आयुक्त की तरफ से जारी आदेश के खिलाफ व्यापारियों की तरफ से प्रदर्शन भी हुए हैं।