जंगल महल : सोशल मीडिया व समाज सेवियों की सहायता से 12 साल बाद घर लौटा युवक

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। झाड़ग्राम जिला अंतर्गत जामबनी थाना क्षेत्र के चिंचड़ा स्थित स्वामी विवेकानंद ग्राम विकास केन्द्र समाजसेवी संस्था के कौशिक दास को गत 5 दिसंबर को एक अज्ञात नंबर से फोन आया। फ़ोन करने वाले ने कहा – मैं “अपना घर आश्रम” का अधिकारी बोल रहा हूँ। यह सुनकर पहले तो दास चौंक गए। फिर उन्होंने सारा मामला ध्यान से सुना, तो पता चला कि झाड़ग्राम जिले के गोपीबल्लभपुर थाना क्षेत्र के खमार गांव निवासी मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति अरविंद सिंह राजस्थान के भरतपुर में “अपना घर आश्रम” में है।

फिर कौशिक ने दास की तलाश शुरू की और मामले को गोपीबल्लभपुर निवासी स्वर्ण रेखीय रेलपथ संग्राम समिति के अध्यक्ष व समाजसेवी सत्यब्रत राउत को बताया। 12 दिसंबर को अरविंद सिंह ने सोशल मीडिया पर तस्वीरों के साथ इसे पोस्ट किया। सत्यब्रत राउत की त्वरित कार्रवाई से अरविंद सिंह के परिवार का पता कुछ ही घंटों में लग गया और उन्होंने 17 दिसंबर को अरविंद सिंह के घर जाकर उनके माता-पिता और गांव वालों से बात की। लाचार माता-पिता 12 साल बाद अपने बेटे को फिर से पा लेने की आस से उनके मन में उम्मीद की रोशनी जागी उठी। वे बेटे को वापस लाने के लिए गिड़गिड़ाने लगे। तब सत्यब्रत राउत ने सोनारपुर, स्वर्णदीप चैरिटेबल ट्रस्ट के श्रीकांत बधुक से संपर्क किया और मामले को सुनने के बाद वह राजस्थान से अरविंद सिंह को लाने के लिए राजी हो गए।

फिर बीते 23 जनवरी रविवार की रात बिना रिजर्वेशन के श्रीकांत बधुक, कौशिक दास और अरविंद सिंह के भाई रवि सिंह भारी भीड़ वाली ट्रेन में बिना रिजर्वेशन के हावड़ा से भरतपुर के लिए रवाना हुए। 24 तारीख की रात 12 बजे भरतपुर स्टेशन पहुंचे और पूरी रात खाली स्टेशन पर भीषण ठंड में गुजारी। आश्रम के अधिकारियों के साथ शिष्टाचार मुलाकात और आवश्यक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के बाद, आश्रम के अधिकारियों ने अरविंद सिंह को उन्हें सौंप दिया और आज दिनांक 27 जनवरी की सुबह 3 समाजसेवी सत्यब्रत राउत, श्रीकांत बधुक एवं कौशिक दास ने लापता अरविंद सिंह को उनके बेबस माता-पिता को सौंप दिया।

सत्यब्रत राउत ने कहा कि गोपीबल्लभपुर- ब्लॉक 2 क्षेत्र के कुछ नेकदिल लोगों ने हमसे संपर्क किया और हमने उनसे बात कर पुष्टि की कि अरविंद सिंह खमार गांव के ही निवासी हैं। फिर हमने आश्रम के अधिकारियों को परिवार को खोजने के बारे में सूचित किया और उन्हें वापस लाने की कोशिश की। सच कहूं तो यह हमारे जीवन का सबसे अच्छा काम है। आज एक असहाय माता-पिता के पास एक बच्चे को वापस करने में सक्षम होने से बड़ी कोई और खुशी नहीं हो सकती है। हम उन सभी ईश्वर तुल्य लोगों के प्रति सदा आभारी हैं जिन्होंने परिवार को खोजने के इस मिशन में हमारी मदद की है।

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