तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। झाड़ग्राम जिला अंतर्गत बेलियाबेड़ा थाने के आरंगदारी गांव निवासी दुर्गा प्रसाद बासुरी हरियाणा के जींद थाने से झाड़ग्राम जिला स्थित अपने घर लौट पाए। अरसे बाद उसकी घर वापसी से लोग बेहद खुश हैं। बताया जाता है कि लापता दुर्गा प्रसाद के हरियाणा के जींद स्थित एक आश्रम में रहने की सूचना सबसे पहले बलियाबेड़ा थाने में आई थी। सिविक वॉलिंटियर कौशिक साव के माध्यम से यह खबर भामल निवासी रोबिन भुइयां तक पहुंची। रॉबिन ने इसे फेसबुक समूह “आमारकार भाषा, आमारकार गर्ब” के निदेशकों में से एक राजीव भुइयां के साथ साझा किया।
उन्होंने स्वर्ण रेखिक परिवार की दिल्ली टीम से संपर्क किया। खबर मिलते ही दिल्ली टीम के कमल कुमार रक्षित, समीर दंडपत, रंजीत पडिहारी, प्लाबन भुइयां समेत अन्य सक्रिय हो गए। दिल्ली टीम की ओर से समीर दंडपत, रंजीत पडिहारी, सुजीत महापात्रा दिल्ली से जींद के लिए रवाना हुए और वहां से कुछ दिन पहले दुर्गा प्रसाद बासुरी को लेकर दिल्ली लौटे। इसके बाद ट्रेन से खड़गपुर के लिए रवाना हुए। वे शनिवार रात हिजली स्टेशन पर उतरे।
रविवार की सुबह दुर्गा प्रसाद को उनके पिता बलराम बासुरी के सुपुर्द कर दिया गया। बलराम अपने बेटे को वापस पाकर खुश हैं। उन्होंने फेसबुक परिवार सहित सभी संबंधितों को धन्यवाद दिया। गौरतलब है कि मानसिक रूप से बीमार दुर्गा बासुरी छह साल पहले अचानक गांव से गायब हो गया था। काफी कोशिशों के बाद भी उसका परिवार उसे ढूंढ नहीं पाया। गांव के लड़के को गांव लौटा देख ग्रामीण खुश हैं। रविवार सुबह दुर्गा प्रसाद की घर वापसी देखने के लिए स्वर्ण रेखिक फेसबुक परिवार के सदस्य मौजूद थे।