अनेक प्रकार की चुनौतियों से टकराना है पत्रकारिता कर्म : प्रो. शर्मा

  • समाचार लेखन एवं संपादन कौशल पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

डॉ. प्रभु चौधरी, उज्जैन : प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा समाचार लेखन एवं संपादन कौशल पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष पांडेय, कानपुर थे। प्रमुख वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम वाजपेयी, इंदौर, वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे, सुवर्णा जाधव, मुंबई, बालासाहब तोरस्कर, मुंबई एवं डॉ. प्रभु चौधरी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे ने की। सूत्र समन्वय पूर्णिमा कौशिक, रायपुर ने किया।

वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष पांडे, कानपुर ने कहा कि समाचार पत्र जनता से जुड़ा हुआ माध्यम है। आदर्श पत्रकारिता बंद कमरे में नहीं होती है। पत्रकार के पास विश्वसनीय संपर्क होने चाहिए। श्रेष्ठ समाचार लेखन के लिए आवश्यक है कि उसकी वैल्यू को बढ़ाया जाए। उसके शीर्षक में मूल संदेश आना चाहिए। समाचार की भाषा सीधी, सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।

उसमें संक्षिप्तता, समय सापेक्षता, तात्कालिकता और रोचकता का समावेश आवश्यक है। सांस्कृतिक पत्रकारिता का उत्तरदायित्व बहुत बड़ा है। समाज में सकारात्मकता लाने के लिए इस प्रकार की पत्रकारिता जरूरी है। समाचार का आमुख और विषय सामग्री आम आदमी से जुड़ी होनी चाहिए।

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि पत्रकारिता, समाचार लेखन और संपादन कार्य अनेक प्रकार के चुनौतियों से टकराना है। समाचार के मूल में लोक कल्याण का उद्देश्य अंतर्निहित होता है। समाचार की पठनीयता बहुत आवश्यक है। समाचार वह है जो असाधारण घटित की सूचना हो। नवीन तथ्य, घटना, समस्या या सूचना ही समाचार का विषय बन सकती है। उसके सरोकार बड़े जन समुदाय से जुड़े होना चाहिए। समाचार की भाषा बोधगम्य और संक्षिप्तता लिए होनी चाहिए।

समाचार लेखन में उल्टे पिरामिड का सिद्धांत लागू होता है। शीर्षक, आमुख और विवरण के क्रम से समाचार का केंद्रीय विषय सबसे पहले आना चाहिए। अंत में सबसे कम महत्वपूर्ण सामग्री आनी चाहिए। कम से कम शब्दों में महत्वपूर्ण बातों का समावेश आमुख के लिए जरूरी है। समाचार एवं संपादन कौशल से किसी समाचार पत्र या पत्रिका की पहचान बनती है।

वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने कहा कि समाचार लेखन सामान्य बात नहीं है। समाचार के शीर्षक में आकर्षण होना चाहिए। समाचार पत्रों की भाषा में शुद्धता बहुत जरूरी है। वर्तमान दौर में विस्तृत समाचारों को स्थान कम ही दिया जा रहा है।

अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे ने कहा कि पत्रकारिता सामाजिक जीवन के शुभ और अशुभ का दर्पण है। यह नीर क्षीर विवेक जाग्रत करने का कार्य है। समाचार लेखन में प्रवाहमयता और रोचकता जरूरी है। समाचार लेखन और संपादन के लिए स्वतंत्रता आवश्यक है। समाचार यथार्थ के निकट होना चाहिए। एक पत्रकार में लेखन कौशल होना चाहिए।

प्रवासी साहित्यकार सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे ने कहा कि अखबार का प्रकाशन कर उसे लक्ष्य तक पहुंचाना बहुत जटिल प्रक्रिया है। दूरदर्शिता के कारण अखबार दीर्घजीवी हो जाता है। विज्ञापन पत्रकारिता को आधार देते हैं। श्रेष्ठ समाचार पत्रकारिता के लिए नियमितता, गुणवत्ता और सारांशीकरण आवश्यक है।

डॉ. प्रभु चौधरी ने समाचार पत्र में संपादक की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा द्वि मासिक समाचार पत्र संचेतना समाचार का प्रकाशन इसी माह से प्रारंभ किया जाएगा, जिसके माध्यम से साहित्यिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण गतिविधियों का समावेश किया जाएगा।

लेखिका सुवर्णा जाधव, मुंबई ने कहा कि समाचार को काल्पनिकता से मुक्त होना चाहिए। उसके वाक्य छोटे-छोटे और सरल होने चाहिए। समाचार लेखन में वस्तुनिष्ठता और तथ्यात्मकता बहुत जरूरी है। रोचकता के कारण समाचार पढ़ा जाता है। समाचार पत्र में विशेष परिशिष्ट का भी महत्व है, जो समय विशेष से जुड़े हुए होते हैं।

बालासाहब तोरस्कर, मुंबई ने कहा कि वर्तमान दौर में समाचार संप्रेषण में तेजी आ रही है। नई तकनीक के कारण समाचार पत्रों के क्षेत्र में सुगमता आ गई है। पत्रकारिता चौथा स्तंभ है। समाचार में कसावट और संपादन बेहद जरूरी है।

प्रारंभ में सरस्वती वंदना डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद ने की, आयोजन में अर्चना शर्मा, भोपाल, अंजना मिश्रा, डॉ. दिग्विजय शर्मा, आगरा, हेमलता लखमल, प्रभा बैरागी, उज्जैन, रूली सिंह, मुंबई, संजीवनी पाटिल, सुषमा कोंडे, शारदा बाछलकर, डॉ. रोहिणी डाबरे, अहमदनगर आदि सहित अनेक साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी एवं गणमान्यजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन पूर्णिमा कौशिक ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ. रोहिणी डाबरे, अहमदनगर ने किया।

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