विश्व में हिंदी का प्रसार करने वाली रेखा राजवंशी के साथ साक्षात्कार

हिंदी के वैश्विक प्रचार प्रसार में प्रवासी भारतीयों की भूमिका महत्वपूर्ण है। रेखा राजवंशी काफी सालों से आस्ट्रेलिया में हिंदी के प्रचार प्रसार में संलग्न हैं। प्रस्तुत है इनसे राजीव कुमार झा की रोचक बातचीत…

रेखा राजवंशी – जन्म : 13 अक्टूबर शिक्षा : एम.ए., बीएड., प्रकाशित कृतियाँ : कंगारुओं के देश में, अनुभूतियों के गुलमोहर, मुट्ठी भर चाँदनी, छोटे – छोटे पंख, गलियों के बच्चे। आस्ट्रेलिया के कवियों के काव्य संग्रह बूमरैंग 1 और 2 का संपादन, सम्मान : यूनाइटेड इंडियन एसोसिएशन आस्ट्रेलिया आदि अनेक संस्थाओं से सम्मानित, 1996 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा के द्वारा राष्ट्रपति भवन में काव्यपाठ के लिए आमंत्रित। कई अन्य संस्थाओं से सम्मानित।

प्रश्न : हिंदी के प्रसार में प्रवासी भारतीयों की भूमिका के बारे में बताएँ?

उत्तर : प्रवासी भारतीय जहाँ भी गये हैं, अपनी भारतीय संस्कृति लेकर गए हैं। विदेशों में बसे हर प्रवासी भारतीय जिनकी मातृभाषा हिंदी है, उनका कर्तव्य है कि वे अपनी भाषा और संस्कृति के लिए कर्तव्यनिष्ठ रहें और हिंदी को भारतीयों की अगली पीढ़ी तक पहुँचाएँ।

प्रश्न : प्रवासी हिंदी सेवी के रूप में आस्ट्रेलिया में इसके प्रचार प्रसार से जुड़े अपने कार्यों के बारे में जानकारी दीजिए?

उत्तर : अपने देश से हजारों मील दूर यहाँ दिल्ली से आस्ट्रेलिया मैं करीब बीस साल पहले आयी। तब से हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार और शिक्षण में संलग्न हूँ। मैंने शुरू में एक सामुदायिक विद्यालय में हिंदी पढ़ाया और अन्य संस्थाओं के द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। सन् 2010 में यहाँ इंडियन लिटरेरी एंड आर्ट सोसायटी आफ आस्ट्रेलिया नामक संस्था की स्थापना मैंने की, तब से यह संस्था अनेक कार्यक्रम आयोजित कर चुकी है।

हमने आस्ट्रेलिया के विविध शहरों में रहने वाले कवियों के दो काव्य संकलनों का भी प्रकाशन किया है। इसमें दूसरे काव्य संकलन में यहाँ के कुल चालीस कवियों की कविताएँ संकलित है। इसके अलावा आस्ट्रेलिया की एबोरीजनल कहानियों का हिंदी अनुवाद भी हमने प्रकाशित किया है। इसके लिए यहाँ की आसिट नामक संस्था ने राष्ट्रीय स्तर स्तर का सम्मान भी हमें प्रदान किया है।

प्रश्न : युवा पीढ़ी में हिंदी के प्रति लगाव को कायम करने के लिए आपकी संस्था क्या कर रही है?

उत्तर : युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करने के लिए हमने काव्यपाठ कार्यक्रमों का आयोजन किया है। आस्ट्रेलिया के संसद में काव्य प्रतियोगिता का आयोजन इस कड़ी में हमारा हमारा एक महत्वपूर्ण आयोजन था। आस्ट्रेलिआई बच्चों के अलावा यहाँ के वयस्कों को भी सिडनी यूनिवर्सिटी के प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम में हमने हिंदी पढ़ायी।

प्रश्न : आस्ट्रेलिया में हिंदी दिवस के अवसर पर आप किस तरह का आयोजन करती हैं?

उत्तर : हिंदी दिवस के अवसर पर सन् 2016 में सिडनी यूनिवर्सिटी में हमने राष्ट्रीय स्तर का एक हिंदी सम्मेलन आयोजित किया। इसके व्यवसाय में हिंदी, हिंदी शिक्षण और हिंदी दुभाषिया सेवा के अलावा हिंदी में अनुवाद इन पाँच सत्रों में विचार विमर्श संपन्न हुआ।

इस साल भी हिंदी दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के अलावा कहानी प्रतियोगिता और नाटिका प्रदर्शन के कार्यक्रम आयोजित हुए। हमारी संस्था इंडियन लिटरेरी एंड आर्ट सोसायटी आफ आस्ट्रेलिया कहानी संकलन का प्रकाशन भी कर रही है।

प्रश्न : अपने घर परिवार के बारे में बताएँ ?

उत्तर : मेरा जन्म हरियाणा में हुआ लेकिन पिता के स्थानांतरण के कारण मेरी शिक्षा उत्तर प्रदेश और दिल्ली में संपन्न हुई। यद्यपि मेरे पिता मूलत: उत्तर प्रदेश के निवासी थे और माँ महाराष्ट्र की थी। मेरे पति मर्चेंट नेवी में कप्तान थे और इनके साथ मैं देश विदेश की यात्राएँ करती रही लेकिन अंतत: आस्ट्रेलिया में आकर अब बस गयी।

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