साक्षात्कार : लेखिका कमलेश चौधरी के साहित्य में जनजीवन का चित्र सजीवता से समाया है

यहाँ प्रस्तुत है कोलकाता हिंदी न्यूज के पत्रकार राजीव कुमार झा की उनसे एक बातचीत…

प्रश्न : आप हरियाणा की सुपरिचित लेखिका हैं। देश के इस सुंदर राज्य की सांस्कृतिक विरासत के बारे में बताएँ?

उत्तर : हरियाणा कृषि का प्रतिनिधि प्रदेश माना जाता है। शेरशाह सूरी मार्ग का बहुत बडा भाग इसमे से होकर जाता है। रखवाली के लिए बनाई कोस मीनार आज भी इसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परंपरा मे शामिल प्रतीक है। सर्वाधिक आक्रमण झेलने वाला ये वीरों का इलाका है। इतिहास गवाह है कि जितने हमलावर आए वे जीते भी और हारे भी। लेकिन भारत से आखिर उनको भागना ही पडा।

यहां के बहादुर रक्त वाले लोगों ने शक, हुण, अफगान, मंगोल सभी को खदेड़ा। वीरता की ये परंपरा भारतीय सेना मे आज भी देखी जा सकती है। हरा-भरा संपन्न प्रदेश है हरियाणा। महाभारत और गीता की जन्मस्थली होने का ऐतिहासिक गौरव इसे और महत्वपूर्ण बना देता है। इसके अलावा खेलों मे भी पदक पाने वाले खिलाडी इस छोटे से राज्य में सबसे अधिक हैं।

मुझे पढने का शौक तो बहुत बचपन से था। पर लिखने के बारे में कभी सोचा नही था। लेखन 48 साल की आयु में आरंभ किया और पहली रचना हंस में छपी। बेहद साधारण कृषक परिवार में मेरा जन्म हुआ। बचपन खेतों और पशुओं के साथ बीता। शारीरिक श्रम ने सुडौल और स्वस्थ जीवन की सौगात दी। आरंभिक शिक्षा गांव के सरकारी विद्यालय में हुई। घर में तीन काका और ताऊ की कुल 13 लडकियां थी।

इतनी बडी फौज को पढाने की कौन सोचता। यहां मेरी मां हमारी मसीहा बनी। उन्होने कहा कि यदि जीवन में कुछ बनना है तो कलम, कस्सी, कडछी, कुल्हाड़ी कसोले सब उठाने होंगे। काम भी करना होगा और साथ में पढना भी होगा। उनकी इस सीख को हमने दैवीय वाणी समझ कर पल्ले से बांधा और हम सारी बहने पढाई करने में सफल रही।

प्रश्न : समकालीन हिंदी लेखन में हरियाणा के लेखकों का क्या योगदान है?

उत्तर : कुछ समय पहले तक हरियाणा के बारे में ऐसी धारणा थी कि यहां कल्चर के नाम पर केवल एग्रीकल्चर है। पर अब ये विचार बदल रहा है। साहित्यिक और सांस्कृतिक रूप से हरियाणा एक समृद्ध प्रदेश है। महाभारत काल से लेकर आज तक यहाँ के मनीषियों ने अनवरत साहित्य जगत को अपनी लेखनी से समृद्ध किया है। सूरदास की जन्मभूमि और नानक कबीर की कर्मभूमि रहा है। बाबू बालमुकुंद गुप्त जैसे होनहार पत्रकारिता के स्तंभ इसी भूमि की देन है।

आज भी हरियाणा के अनेक साहित्यकार अपना योगदान दे रहे हैं। अशोक भाटिया, अमृतलाल मदान, डॉ. श्याम सखा, रमेश कुंतल मेघ जैसे लोग अनवरत साहित्य सर्जन मे लगे हैं। महिला साहित्यिकार भी लेखन में सफल रही है। चंद्रकांता, सुदर्शन रत्नाकर, रोहिणी अग्रवाल, कृष्णलता यादव। उर्मि कृष्ण चालीस साल से शुभ तारिका नामक पत्रिका का सफलतापूर्वक संपादन कर रही हैं। हरियाणा के साहित्यकारों ने देश विदेश में अपनी पहचान बनाई है।

प्रश्न : हिंदी में नारी लेखन के समक्ष मौजूद मुद्दों और सवालों के बारे में अपनी राय से अवगत कराएँ?

उत्तर : महिलाओं को किसी भी क्षेत्र में अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पडता है। यकीनन साहित्य भी इससे अछूता नही। सबसे बडी चुनौती तो अपने को उस समाज में स्थापित करने की है जो सदियों से नारी को दोयम श्रेणी की नागरिक समझता आया है। फिर भी नारी ने इस क्षेत्र में अपने को साबित किया है। अनेक कहानी लेखन प्रतियोगिता समय-समय पर आयोजित होती रहती हैं। मैं अक्सर देखती हूं कि उन मे अधिकतर पुरस्कार महिलाओं के नाम होते हैं। कुछ महिलाओं ने लेखन में वर्जित परंपराओं को चुनौती दी है। अनामिका, मैत्रेयी पुष्पा, प्रभा खेतान आदि के नाम प्रमुख हैं।

प्रश्न : अपने प्रिय लेखकों और कवियों के बारे में बताएँ?

उत्तर : मैने पहले ही बताया है कि पढने का शौक मुझे ईश्वरीय वरदान स्वरूप मिला है। बचपन में चंदामामा और अखबार पढती थी। फिर धर्मयुग और साप्ताहिक हिंदुस्तान पत्रिकाओं ने मुझे साहित्यक समझ प्रदान की। मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, रेणु, विष्णु प्रभाकर, राजेन्द्र यादव, मैत्रैयी पुष्पा मेरे प्रिय लेखक हैं। विदेशी लेखकों मे गोरकी, हमजातोव, व्लादिमिर नाबोकोव चेखव आल्बेयर कामू पाब्लो नेरुदा, जार्ज आरवेल, जैक लंडन, होवर्ड फास्ट, जान स्टैनबैक और हैरियट बीचर स्टो को मैने पढा और पसंद किया है।

इसके अलावा मैने चे ग्वारा, भगतसिहं, मार्क्स, लेनिन, हो-ची-मिन्ह जैसे क्रांतिकारियों का रचा साहित्य भी पढा है। गोदान, मैला आंचल, नाच्यौ बहुत गोपाल, महाभोज, आवारा मसीहा, आम्रपाली, उन्नीस सौ चौरासी, माँ, मेरा दागिस्तान, आग का दरिया, कितने पाकिस्तान, लज्जा मेरी पसंदीदा पुस्तकें हैं।

प्रश्न : साहित्य के अलावा अपनी अभिरुचि के अन्य क्षेत्रों का उल्लेख करें।

साहित्य के अलावा पुस्तक, पत्र, पत्रिकाएं पढ़ना, पर्यटन जो कोविड के कारण फिलहाल नही है। पेड पौधे रोपना, धर्म आधारित भेदभाव और पाखंड का विरोधी चेतना को विस्तार देना। सामाजिक कार्यों में लगातार भागीदारी मेरी रुचि के क्षेत्र हैं।

प्रश्न : आपकी पहचान मूलत: कथा लेखिका के रूप में है।कथा लेखन के नये रचना संदर्भों को किस तरह रेखांकित करना चाहेंगी ?

उत्तर : कथा लेखिका के रूप में मैं चाहती हूं कि सामाजिक विषयों पर लिखा जाना ज्यादा जरूरी है। अनैतिकता, नारी के प्रति अपराध, स्वीकार्य होते जा रहे अवांछनीय कार्य, दिनों दिन बढता जा रहा नकारात्मक राजनीतिक हस्तक्षेप हमारे मानवीय मूल्यों को समाप्त करता जा रहा है। बढती आबादी घटते संसाधन हमारी संवेदनाओं को सोख रहे हैं। इन सब को केंद्र में रख कर साहित्य रचा जाना चाहिए और रचा जा रहा है। अब मानवीय संवेदना साहित्य में स्थान बनाती जा रही हैं।

प्रश्न : लेखिका के रूप में समाज को क्या संदेश देना चाहती हैं?

मेरी सोच है कि कटते हुए जंगल, गिरता भूजल स्तर, प्यास से मरते जीव-जंतु, बेतहाशा बढता जाता उपभोक्तावाद लेखन के विषय बनें।

प्रश्न : आजकल क्या लेखन चल रहा है? कोरोना के संकट को आपने किस तरह महसूस किया?

उत्तर : कोरोना के संकट को मैं महामारी के साथ-साथ एक भूमण्डलीय असमंजस को भी महसूस कर रही हूं। एक ऐसी बिमारी जिसका न कारण पता न समुचित समाधान। बिना दवा के लोग ठीक हो रहे हैं और दवा लेने के बावजूद मौत हो रही है। कुछ न समझे खुदा करे कोई। आल्बेयर कामू के उपन्यास प्लेग में एक जगह लिखा है कि इस महामारी ने हम सब की संवेदनाओं को एक कर दिया है। लेकिन इस महामारी ने हमारी संवेदनाओं को एक नही किया बल्कि आपदा में ऐसे-ऐसे अवसर निर्मित किए कि मानवीयता तार-तार हुई।

आक्सीजन ब्लैक में बिकी और एंबुलेंस ने मनचाहे दाम वसूले। रेल पटरियों पर बिखरी रोटियां और बिखरे मानव अंग भी इस सदी ने हमे दिखाए। कुछ अच्छा भी देखने को मिला जब लोगों ने पहल करके चंदा जमा कर पीडित लोगों की सेवा सहायता की।

प्रश्न : हिंदी में बाल साहित्य लेखन की दशा और दिशा के बारे में आपकी क्या राय है?

उत्तर : बाल साहित्य पर एक खतरा मंडरा रहा है। वह खतरा लगभग पूरे साहित्य पर भी देखा जा रहा है। वह है नेट की दुनिया से मिलने वाली चुनौती। जिसको समझ तो सभी रहे हैं मगर समाधान किसी के पास नही है। किताबों से बच्चों की बढती दूरी यकीनन भविष्य के लिए खतरे का संकेत है। माता, पिता, शिक्षक और बाल साहित्यकारों को गंभीर प्रयास करने होंगे तभी कुछ सार्थक परिवर्तन देखने को मिल सकता है।

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