नई दिल्ली। सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन के मामले में भारत और अमेरिका अब और नजदीक आ रहे हैं। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की ख़बर में कहा गया है कि शुक्रवार को अमेरिका ने संकेत दिया कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में सप्लाई के लिए वह अपने ‘भरोसेमंद पार्टनर’ भारत के साथ मिलकर काम करेगा। अमेरिका और भारत ने इलेक्ट्रॉनिक सामानों के संयुक्त उत्पादन की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए सेमीकंडक्टर उत्पादन और सप्लाई के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। इससे भारत को अपने यहां सेमी कंडक्टर के निर्माण के लिए अंतराराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश को आकर्षित करने के लिए मदद मिलेगी।
सेमीकंडक्टर मोबाइल से लेकर कार के निर्माण में अहम रोल अदा करते हैं। अख़बार ने लिखा है ये समझौता अमेरिका के बाइडन सरकार के उन संकेतों के बीच आया है, जिसमें चीनी सेना की सेमीकंडक्टर तक पहुंच को सीमित करने की बात कही गई है।अमेरिकी वाणिज्य मंत्री जिना रायमोंडो और भारतीय विदेश मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और अमेरिका 6जी समेत अगली पीढ़ी की टेलीकम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी पर मिल कर काम करेंगे। इस मुलाक़ात में इस बात के संकेत मिले कि भारत में विकसित 5जी टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग अमेरिका में होगी।
इस मुलाक़ात के आलावा भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी अमेरिकी वाणिज्य मंत्री ने मुलाक़ात की। दोनों के बीच निर्यात नियंत्रण की समस्या ख़त्म करने, हाई टेक्नोलॉजी कॉमर्स बढ़ाने और दोनों देशों के टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को बढ़ावा देने के लिए ‘स्ट्रेटजिक बातचीत’ शुरू करने पर बात हुई। अख़बार लिखता है कि रायमोंडो ने पीएम मोदी से भी मुलाक़ात की है। हालांकि ये मुलाक़ात पहले से तय नहीं थी। इसमें चीन की विस्तारवादी नीतियों और रूस-यूक्रेन युद्ध के असर पर चिंता जताई गई। साथ ही दोनों के बीच सप्लाई चेन पर भी चर्चा हुई।
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री के इस दौरे के दौरान सिर्फ़ सेमीकंडक्टर पर फोकस करने की बात हुई। हालांकि वाणिज्य मंत्री ने कहा कि दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सामानों के सप्लाई बढ़ाने की भी पूरी गुंजाइश है। इस संबंध में उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से भी बात हुई, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक सामानों के लिए भरोसेमंद सप्लाई चेन की बात हुई। अख़बार लिखता है कि इससे साफ़ है कि अमेरिका अब चीनी टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों ख़्वावे और जेटीई जेडीटीई जैसी कंपनियों पर भरोसा नहीं करना चाहती।