महाकवि कालिदास की काव्यकृति पर आधारित वरिष्ठ कलाकार रघुवीर अम्बर की मेघदूतम चित्रकला प्रदर्शनी का शुभारंभ

मेघदूतम चित्रकला प्रदर्शनी : सूक्ष्मता की परंपरा के नायाब चित्र

लखनऊ। महाकवि कालिदास की काव्यकृति मेघदूत पर आधारित जबलपुर मध्यप्रदेश के वरिष्ठ चित्रकार रघुबीर अंबर के कलाकृतियों की एकल प्रदर्शनी “मेघदूतम” मंगलवार को कलाकारों व साहित्यकारों की नगरी लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित सराका आर्ट गैलरी में शुभारंभ हुआ। इस प्रदर्शनी का उदघाटन वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने किया। रघुबीर अंबर ने महाकवि कालिदास के अमिट काव्य की वाणी को रंग और रेखाओं की दृश्य भाषा दी और उसे अपने कैनवास के धरातल पर उकेरा है। अंबर ने मेघदूत में वर्णित हर भाव को बखूबी दर्शाया है। चित्रों में मानवाकृतियों की भंगिमायेँ उनकी बारीक दृष्टि की परिचायक है।

प्रदर्शनी की क्यूरेटर डॉ. वंदना सहगल ने बताया कि “मेघदूतम्” महानतम संस्कृत कवियों में से एक, यह कालिदास (लगभग चौथी-पांचवीं शताब्दी ईस्वी) द्वारा लिखित एक गीतिकाव्य है। इसमे यह वर्णन किया गया है कि कैसे राजा कुबेर (धन के देवता) की प्रजा एक यक्ष, अपने कर्तव्यों की उपेक्षा के कारण मध्य भारत में एक वर्ष के लिए निर्वासित होने के बाद, वह अपनी पत्नी के पास एक संदेश भेजने के लिए एक गुजरते बादल को मना लेता है।

यक्ष ने इसे उन कई सुंदर दृश्यों के साथ वर्णन करके पूरा किया है। कई कलाकारों को इस महाकाव्य को अपने कैनवस पर चित्रित करने के लिए प्रेरित किया गया है। इसकी स्मृति में एक डाक टिकट भी है, जहां पहला छंद एक कलाकार द्वारा चित्रित किया गया है। रघुवीर ने कहानी, उसकी विविध भावनाओं, उसके विविध परिदृश्य जैसे जंगल, बगीचे, प्रकृति-दृश्य में प्राणी, नगर-दृश्य और जीवन, महलों को शैलीगत विस्तार से चित्रित किया है।

कोई भी व्यक्ति शाखाओं, पत्तियों, तितलियों, पक्षियों आदि के उनके विवरण में डूब सकता है। उनमें पहाड़ी चित्रों की लघु कला शैली का भी स्पर्श है, लेकिन आकृतियाँ अजंता की आकृतियों से अधिक प्रेरित लगती हैं। रंगों के बारे में उनकी पसंद ज्वलंत है क्योंकि विषय हमेशा चमकीले लाल, सूर्यास्त पीले, लाल गुलाबी, पन्ना हरे और आसमानी नीले रंग के साथ मेल खाता है। चित्रों में अद्भुत रंग संयोजन है।

चित्रों में कहानी को सामने लाने के लिए श्रृंगार, करुणा, शांत, मद, विषाद, मोह, स्मृति, अंत्सुक्य, निद्रा जैसे मेघ महाकाव्य कविता में प्रकट होने वाले विभिन्न रसों और भावों को प्रदर्शित करती हैं। कभी-कभी, समय व्यतीत होने जैसा अनुक्रम दिखाने के लिए कई फ़्रेमों को एक-दूसरे के साथ रखा गया है। रघुवीर ने अपनी श्रृंखला के माध्यम से एक महाकाव्य का प्रदर्शन किया है। उनके चित्र के हर पक्ष मे लालित्य है। साथ ही भारतीय परंपरा के विभिन्न शैलियों को आगे बढ़ाते हैं और एक अर्थ भी प्रदान करते हैं।

चित्रकार रघुवीर अंबर ने कहा कि कालीदास की कालजयी कृति मेघदूत की लोकप्रियता सर्वविदित है। ऐसी कल्पना जिसने मनुष्य की चेतना को अचेतन का सहारा बनाकर जो रखा उसने मेरी रचनाधर्मिता को भी पंख लगा दिए। मेघदूत स्वाभाविक सौरभ की अनूठी कृति है। जिसकी एक-एक पंक्ति से भारतीय आत्म ध्वनित होती है। ज्ञान और कल्पना का इससे बढ़कर उपर्युक्त प्रमाण क्या होगा कि कवि ने अपने काव्य का नायक मेघ को चुना।

जिसमें करुणा, आद्रता, दानवृत्ती चाहे जब-चाहे जैसा रूप धारण करने की क्षमता रखने वाला प्रकृति-पुरूष, जो अपनी प्रेयषी बिजली से कभी अलग नहीं होता, यह प्रगाढ़ प्रेम सीख देता है कि जिसके बनो, मन प्राण से बनो। मेघदूत की इन्हीं विशेषताओं ने मेरी कल्पनाओं को रूपों में भरना शुरू कर दिया था जब मैं ग्वालियर के शासकीय ललित कला संस्थान का छात्र था। उन दिनों मन ही मन एक संकल्प ने जन्म लिया कि मेघदूत के श्लोकों पर आधारित क्रमवार चित्रण किया जाए। बाद में मैंने यह कार्य किया जो आज आपके सामने प्रस्तुत है।

कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र अस्थाना ने बताया कि 67 वर्षीय वरिष्ठ कलाकार रघुवीर अम्बर ने ग्वालियर से कलाकार एवं इंजीनियर के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्हें उनकी कला के लिए कई प्रशंसाएँ मिलीं और उन्होंने भारत में कई स्थानों पर इन चित्रों का प्रदर्शन किया। वह ज्यादातर जलरंग (प्राकृतिक रंग) से कागज पर काम करते हैं। रघुवीर अंबर ने सर्वप्रथम मेघदूत के चुनिन्दा संस्कृत श्लोकों को हिन्दी में सरल अनुवाद किया उसके बाद उन पर 24 चित्रों के माध्यम से मेघदूतम की ज्ञात कहानी का चित्रण किया है। इन चित्रों और सरल हिन्दी अनुवाद की एक पुस्तक 2022 में “मेघदूतम” के नाम से इत्यादि आर्ट फ़ाउंडेशन के द्वारा प्रकाशित की गयी है।

इनके चित्रों में भारतीय चित्रकला पद्धतियों की दो मुख्य शैलियों लघुचित्र और वाश को देखा जा सकता है। इन सभी चित्रों में ग्वालियर शैली समाहित है। रघुवीर अंबर का एक चित्रकार और कवि होना उनकी सार्थक उपलब्धि है। इनके 20 चित्रों में जलरंग का और और 3 चित्रों में प्रकृति प्रदत्त सामाग्री यह प्रदर्शका प्रयोग किया गया है जिनमें लहसुन, प्याज के छिलके और तेज पत्ता, फूलों और पत्तियों का विशेष रूप से प्रयोग हुआ है। अद्भुत रंग कल्पना और संयोजन से बनी कला कृतियाँ बरबस ही मेघदूत को जीवंत करती हैं। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हर चित्र अपनी महत्ता स्वयं बयां कर रहे हैं। प्रदर्शनी आगामी 30 अप्रैल 2024 तक कला प्रेमियों के अवलोकनार्थ लगी रहेगी।

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