सिलीगुड़ी बी० एड० कॉलेज में धूमधाम से मनाया गया हिंदी दिवस

सिलीगुड़ी। सिलीगुड़ी प्राइमरी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज और सिलीगुड़ी तराई बी० एड० कॉलेज में हिंदी दिवस का पालन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के शिक्षक प्रभारी एवं अन्य शिक्षकगण के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया, इस दौरान प्रिया साहा ने दीप मंत्रोच्चार किया। तत्पश्चात् महाविद्यालय की छात्राओं ने हिंदी के महाप्राण कहे जाने वाले कवि निराला की कविता ‘वर दे वीणावादिनी वर दे!’ को सरस्वती वंदना के रूप में प्रस्तुत कर कार्यक्रम का उद्बोधन किया।

वर्तमान सत्र से सिलीगुड़ी प्राइमरी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज और सिलीगुड़ी तराई बी० एड० कॉलेज में हिंदी माध्यम से कक्षा का भी प्रावधान किया गया है, इस संदर्भ में महाविद्यालय के सभापति पुष्पजीत सरकार का मंतव्य है- ” यह क्षेत्र कई भाषाओं का प्रतिनिधित्व करता है। जिसमें बंगला, हिंदी, अंग्रेजी, नेपाली आदि सभी भाषा-भाषी विद्यार्थी सम्मिलित है। बंगाल में बी० एड० के लिए हिंदी माध्यम को सरकारी मान्यता मिलने के बाद, हमने अभ्यार्थियों की सुविधा और उच्च शिक्षा में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हिंदी माध्यम में अलग से कक्षा का प्रबंधन किया गया है।”

महाविद्यालय के शिक्षक प्रभारी सौरव सरकार ने महाविद्यालय के प्रांगण में हिंदी दिवस के कार्यक्रम को आयोजित होता देख अत्यंत हर्ष को अभिव्यक्त किया और उन्होंने कहा कि ” हिंदी दिवस कार्यक्रम का महाविद्यालय के प्रांगण में संपन्न होना, उनके सपने को साकार करने वाले क्षणों में से एक है। उन्होंने यह भी कहा कि महाविद्यालय तमाम भाषाओं और संस्कृतियों के गुणों के प्रति पूरी श्रद्धा के साथ समर्पित है। इससे केवल अभ्यार्थियों का ही संस्कार नहीं होगा, अपितु भारतीय भाषा और संस्कृति से आगे की पीढ़ी भी प्रेरित होगी।”

महाविद्यालय की सहायक प्रवक्ता अर्थिता मुखर्जी ने इस उपलक्ष्य में अपने वक्तव्य की शुरुआत ‘ हिंदी हैं हम, वतन है हिंदुस्ता हमारा’ गीत के कुछ पंक्तियों से कि जिसके अर्थ विस्तार में उन्होंने कहा कि-“हिंदुस्तानी होने के नाते, केवल राष्ट्रभाषा के रूप में ही नहीं, बल्कि विविध भाषा समाज के लोगों की एक और मातृभाषा हिंदी भी है। आगे उन्होंने कहा कि स्वतंत्र होने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के प्रभाव से हम स्वतंत्र नहीं हो पाए। सोचनीय पहलू यह है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, हमारे देश का पहला भाषण अंग्रेजी में प्रस्तुत किया गया था।

IMG_20220916_001740हमारा उद्देश्य अंग्रेजी का अपमान करना नहीं है। हमें अंग्रेजी भाषा से कोई गुरेज नहीं है, लेकिन अंग्रेज़ियत मानसिकता से बचना जरूरी है। हिंदी भाषा के साथ तमाम भारतीय भाषाओं का सम्मान हमारे लिए महत्वपूर्ण है। हिंदी के साथ अंग्रेजी की भी आवश्यकता है, लेकिन उसको फैशनेबल बनाकर प्रस्तुत करने से बचने की जरूरत है।” महाविद्यालय के सहायक प्रवक्ता बिकास बर्मन ने भारत के आधिकारिक भाषाओं पर प्रकाश डालते हुए, हिंदी भाषा की सांवैधानिक स्थिति पर अपनी बात रखी। इसी क्रम में उन्होंने ‘मेरा भावना, मेरी भाषा’ नाम से हिंदी भाषा के प्रति अपने भाव को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया।

साथ ही हिंदी मेथड के सहायक प्रवक्ता नोएल किस्पोट्टा का मानना है कि “आज के दौर में विदेशी भाषाओं के प्रभाव में कई क्षेत्रीय भाषाएं विलुप्त होती जा रही है। ऐसी परिस्थिति में जब हम हिंदी भाषा को नित नवीन शिखर की ओर जाते हुए देखते हैं तो, हर्ष और गर्व का अनुभव होता है। लेकिन इसके अस्तित्व को खतरे में जाने से बचाने के लिए आवश्यक है कि हिंदी भाषा का प्रयोग हमें पूरे स्वाभिमान के साथ करना चाहिए।” अभ्यार्थी वर्ग से ज्योति भट्ट ने हिंदी के दशा और दिशा के साथ आज के इस ग्लोबलाइजेशन को पार कर ग्लोकलाइजेशन की धूरी पर खड़ी दुनिया में, हिंदी के स्थान को प्रतिपादित किया।

अभ्यार्थी संतोष रविदास ने अज़मल सुल्तानपुरी के ग़ज़ल ‘कहां है मेरे मेरा हिंदुस्तान’ को गाया। वही, अमित कुमार भगत ने जयशंकर प्रसाद कृत ‘ले चल वहां भुलावा देकर’ कविता को खूबसूरती के साथ गीतबद्ध किया एवं प्रेम कुमार ठाकुर ने हिंदी भाषा पर सुंदर कविता का पाठ प्रस्तुत किया। अभ्यार्थी मेघना प्रधान, प्रगति झा, कुमुद कुमारी और प्रिया हासदा ने कबीर दास के दोहा को गा कर कार्यक्रम को खूबसूरती से अंत की ओर बढ़ाया। कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रमिती नस्कर एवं रश्मि भट्ट ने किया। तमाम अभ्यर्थियों ने पूरे उत्साह के साथ कार्यक्रम को सफल बनाया।

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