अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का कार्य गुरु करते हैं : गरिमा गर्ग

पंचकूला, हरियाणा : राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ट्राई-सिटी द्वारा गुरु परम्परा के शिखर पुरुष सामाजिक एवं साहित्यिक परिपेक्ष में विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें भारत के अन्य राज्यों के प्रतिभावान सदस्यों ने शिरकत की। संगोष्ठी का आगाज़ राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की पंचकूला सचिव सुनीता गर्ग के संचालन के साथ हुआ। पंचकूला की आभा शाहनी ने सरस्वती बंदना की।

जयपुर की डॉ. शिवा लोहारिया जी ने सभी आमंत्रित सदस्यों का स्वागत किया। चंडीगड़ से डॉ. नीना सैनी गुरू महिमा के ऊपर अपने विचार व्यक्त किये गुरु महिमा के ऊपर अपनी कविता सुनायी।

चंडीगढ़ से ही संगीता शर्मा कुंद्रा ने कहा हमारे भारत की धरती गुरुओं की धरती मानी गई है जो आज पूरी दुनिया खोजने और सामने लाने में लगी हुई है। हमारे भारत में वह सब बहुत पहले हजारों वर्ष पहले खोजा और यूज किया जा चुका है हमारे गुरु इतने महान हैं कि इस बात की कल्पना नहीं की जा सकती।

पंचकूला की डॉ. इंद्र-वर्षा ने गुरु के ऊपर अपने शबद का गायन सुरीली आवाज में किया। नोएडा के डॉ. दीपक दीप ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह का आगमन ऐसे काल मे हुआ जब हमारा देश एक बहुत बड़ी समस्या से जूझ रहा था उन्होंने अपने पुत्र सहित कुर्बानी देकर अपने देश की संस्कृति को बचाया अपने विचारो द्वारा नारी के सम्मान को भी नमन किया।

उज्जैन से डॉ. शैलेन्द्र शर्मा ने बताया जीवन विकास के लिए भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। गुरु की सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रह जिसे भी भाग्य से मिल जाए उसका तो जीवन कृतार्थता से भर उठता है। क्योंकि गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन।

उज्जैन से हरेराम वाजपेयी ने बड़े ओज के साथ गुरु की महत्त्वता पर चर्चा की। नार्वे से डॉ. सुरेश चंद्र शुक्ल ने सभी को गुरु पूर्णिमा की अग्रिम बधाई दी व गुरु की महत्त्वता को जीवन के लिए महत्वपूर्ण बताया।
पटियाला, पंजाब से उपस्थित डॉ. पूनम गुप्त ने गुरु गोबिंद सिंह जी के मार्गदर्शक एवं वीरकवि रूप के विषय में चर्चा की।

अपने वक्तव्य में उन्होंने बताया कि दशम ग्रन्थ में संकलित ‘कृष्णावतार’ की रचना के समय गुरु गोबिंद सिंह जी ने रीतिकाल में भी श्रीकृष्ण के रसिक रूप की अपेक्षा उन के वीर योद्धा रूप को अपने काव्य का विषय बनाया। युग की मांग के अनुरूप समाज का मार्गदर्शन करते हुए उन्होंने श्रीकृष्ण को युद्धकला में कुशल वीर राजा के रूप में चित्रित किया है। उनके कृष्ण बांसुरी नहीं, शंख बजाते हैं।

इसके बाद पंचकूला से शीला गहलावत सीरत ने गुरु की महिमा को नतमस्तक किया। आभा मुकेश साहनी ने कोरोना काल मे गुरु नानक देव जी आकर कुछ राह सुझाने की गुजारिश सभी देश वासियों की तरफ से की। उज्जैन से डॉ. प्रभु चौधरी ने बताया गुरु की भूमिका सबके जीवन में होती है।

हर व्यक्ति गुरु के प्रति आस्था, विश्वास और सम्मान रखता है । संगोष्ठी में पटियाला से डॉ. प्रवीन बाला पंचकुला की एस्ट्रोलॉजर रेनू अब्बी भी कार्यक्रम के अंत तक उपस्थित रही। पंचकूला की गरिमा गर्ग ने कहा कि अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का कार्य गुरु करते हैं संगोष्ठी में उपस्थित सभी सुधिजनो का आभार व्यक्त करते हुए संगोष्ठी का समापन किया।

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