राष्ट्रीय कवि संगम के स्थापना दिवस और बाल्मिकि जयंती पर भव्य काव्य गोष्ठी

‘मैं रहूँ या ना रहूँ, देश रहना चाहिए’ – जगदीश मित्तल

कोलकाता, 10 अक्टूबर । वाल्मीकि जयंती, मीराबाई जयंती, शरद पूर्णिमा एवं संस्था के स्थापना दिवस पर राष्ट्रीय कवि संगम – पश्चिम बंगाल द्वारा, संस्था के संस्थापक जगदीश मित्तल के सानिध्य में, राष्ट्रीय महामंत्री डॉ.अशोक बत्रा की अध्यक्षता व प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. गिरिधर राय के मार्गदर्शन में एक शानदार काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका बड़ी ही कुशलता के साथ संचालन किया देवेश मिश्र ने। इस अवसर पर राष्ट्रीय सह महामंत्री महेश शर्मा एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में छत्तिसगढ से मल्लिका रुद्रा की उपस्थिति ने कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ हिमाद्रि मिश्रा द्वारा सरस्वती वन्दना के साथ हुआ। आलोक चौधरी द्वारा मीराबाई की गीत ‘गिरधर गिरधर करते, जोगन हो गयी मीराबाई’ सुनकर सभी मंत्रमुग्ध हो गए। तत्पश्चात मेघालय प्रांत के महामंत्री आलोक सिंह ने अपनी रचना ‘एक तरफ आँसू छलता है’ सुनाकर वाहवाही बटोरी तो त्रिपुरा प्रांत के अध्यक्ष प्रो. विनोद मिश्र ने ‘हम अदालत से करें फ़रियाद क्या’ सुनाकर सब पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। प्रान्तीय महामंत्री रामपुकार सिंह की रचना ‘आज़ादी पूर्व गर राष्ट्र धर्म का पाठ पढ़ा देते, आज़ादी तक गद्दारों को हिन्दुस्तान छुड़ा देते’ ने सब में राष्ट्रभावना जगाई तो बंगाल की उपाध्यक्ष श्यामा सिंह ने ‘लेखनी होगी सफल, कर जननि का गुणगान’ सुनाकर लेखनी कैसी हो, इस बात का एहसास दिलाया।

देवेश मिश्र ने अपनी रचना ‘हमने अज्ञान के अन्धकार में, ज्ञान प्रकाश जलाया है’ सुनाकर सभी का ह्रदय जीत लिया। डॉ० गिरधर राय ने अपनी रचना ‘मेहनतकश किस्मत का सितारा बदल देते हैं” सुनाकर सभी को जगदीश मित्तल जैसे राष्ट्र जागरण के पथ पर चलने वालों के साथ चलने के लिए प्रेरित किया। राष्ट्रीय सह महामंत्री महेश शर्मा ने कथनी और करनी को एक समान रखने का सन्देश देते हुए कहा कि ‘हम जैसा कहते हैं हमें वैसा करना भी चाहिए’।राष्ट्रीय महामंत्री डॉ.अशोक बत्रा ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि वाणी में कितनी ताक़त होती है, यह हमें महर्षि वाल्मीकि के जीवन से सीखना चाहिए।

उन्होनें कहा कि राष्ट्रीय कवि संगम ने कई नवांकुर कवियों को तलाश कर एवं तराश कर उन्हें यश और कीर्ति का मार्ग ही नहीं दिखलाया बल्कि देशभक्ति के काव्य को साहित्य की मुख्य धारा में स्थान भी दिलाया है। अंत में राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सर्वेसर्वा जगदीश मित्तल ने कहा कि उनके संस्थान का काम केवल इतना है कि जिनको अवसर नहीं मिलते, उन्हें वे ‘मंच, माइक, माला और मान’ देने का कार्य करते हैं। उन्होनें अपने वक्तव्य में यह भी समझाया कि कवियों की कविताओं में ‘मैं रहूँ या ना रहूँ, देश रहना चाहिए’ का भाव होना चाहिए। अंत में प्रांतीय मंत्री बलवंत सिंह ‘गौतम’ ने धन्यवाद ज्ञापन कर इस अभूतपूर्व कार्यक्रम को सुसम्पन्न किया।IMG-20221010-WA0010

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

3 × five =