पर्यावरण दिवस पर राष्ट्रीय कवि संगम हुगली का भव्य कवि सम्मेलन

  • विश्व पर्यावरण दिवस पर आभासी कवि सम्मेलन
  • टांगी लेकर हाथ में मूरख ढूंढ़त छाँव-गिरिधर राय
  • पर्यावरण क्षरण रोकने का कवियों ने दिया अनूठा मंत्र

राम पुकार सिंह, हुगली। Kolkata Desk : विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम- पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली यानी इकोसिस्टम रिस्टोरेशन पर बोलते हुए अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष डॉ. गिरिधर राय ने कहा विश्व को बचाना है तो हमें पेड़ लगाना होगा। पर आज मनुष्य कुल्हाड़ी से पेड़ काटकर छाया खोज रहा है। पर्यावरण क्षरण रोकने का एकमात्र उपाय है- अगर एक पेड़ कटता है तो दो नहीं तो कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाया जाय।

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय कवि संगम की हुगली जिला इकाई द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ कवयित्री रीमा पाण्डेय के मधुर सरस्वती वंदना से हुआ। कवियों में राम पुकार सिंह “पुकार” गाजीपुरी ने कहा- प्रदूषित कर-कर के पर्यावरण अभिमान करते हैं,/निरा बुद्धु हैं दिखावे में हम यूँ ही नुकसान करते हैंं, राम जीत राम ‘उन्मेष’, कमलेश मिश्रा, रीमा पाण्डेय, संजीव कुमार दुबे, शिव प्रकाश दास, देवेश मिश्रा, राजेश कुमार श्रीवास्तव, उमेश कुमार श्रीवास्तव एवं रंजन कुमार मिश्रा ने पर्यावरण संबंधी अपनी कविताओं से जन जागरण के संदेश के साथ सभी श्रोताओं की वाह-वाही बटोरी।

कार्यक्रम का कुशल संचालन उमेश कुमार श्रीवास्तव ने किया। अन्त में अपने धन्यवाद ज्ञापन में राष्ट्रीय कवि संगम के प्रांतीय मंत्री बलवंत सिंह ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर अपने विचार साझा करते हुए सभी मानिन्द रचनाकारों की पर्यावरण संरक्षण पर संदेश देती हुई स्वरचित रचनाओं की प्रशंसा की।

कोरोना महामारी के बीच गूगल मीट पर आयोजित इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कमल कुमाय पुरोहित “अपरिचित”, चन्द्रिका प्रसाद पाण्डेय “अनुरागी”, कामायनी संजय, डॉ. अरविन्द कुमार मिश्रा, सीमा सिंह, अशोक कुमार शर्मा, रामाकान्त सिन्हा, सुषमा राय पटेल, विष्णु प्रिया त्रिवेदी, रीना पाणडेय, आलोक चौधरी, ज्योति झा और ज्योति पाण्डेय ने शुरु से अंत तक रचनाकारों की हौसला अफजाई कर प्रबुद्ध श्रोता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

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