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।।जंग रोक लो।।
गोपाल नेवार,’गणेश’ सलुवा
उड़ती हुई धुएं की बवंडर ने
सब कुछ खाक बना दी है,
देखते ही देखते शहरों को
खंडहर ही खंडहर बना दी है।
शक्ति प्रदर्शन की हठ में
लोगों को बेघर बना दी है,
शहर-शहर, गली-गली में
लाशों की कब्रिस्तान बना दी है।
जंग से हुई है जहां तहस-नहस
उन्हें सौ साल पीछे धकेल दी है,
इक्कीसवीं सदी के युग में भी
इतिहास की जंग बना दी है।
जंग की नशे में शक्ति प्रदर्शन
हो सके तो रोक लो, रोक लो,
सब कुछ अंत होने से पहले
हो सके तो जंग रोक लो, रोक लो।
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