देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में प्रथम चार स्थान पाने वाली लड़कियां

“धन धन नगर अयोध्‍या,
धन राजा दशरथ, धन राजा दशरथ हो।
अब धन री कौशिल्‍या तोरे भाग राम जहॉं जनमे
रमइया जहॉं जनमे हो।”

जउने दिन रामा जनम भे हैं, मोतियन लूट भई।
मोतियन लूट भई हो।
अब मोतिया के नाक बेसरिया कौशिल्‍या नथ सोहे,
कौशिल्‍या नथ सोहे हो।।”

आशा विनय सिंह बैस, रायबरेली। अवध क्षेत्र में लड़के का जन्म होने पर गाया जाने वाला यह एक प्रसिद्ध सोहर है। लड़के का जन्म हुआ तो नगर , मां-बाप सभी धन्य हो गए। मूंगा-मोती लुटाया जाने लगा। यह तो खैर राज परिवार की बात हुई लेकिन साधारण घरों में भी “पुत्र रत्न” होने पर थाली बजाई जाती है, लड्डू बंटते हैं। फिर उसका छठ, बरहों पूरे उत्साह से होता है। बहिन, बिटिया, परजा (प्रजा) को नेग और उपहार दिया जाता है। इसके पश्चात मुंडन और कर्ण छेदन संस्कार भी धूमधाम से होता है। विवाह से पहले बरीक्षा में खास लोगों और तिलक (फलदान) में पूरी जंवार को न्यौता-निमंत्रण दिया जाता है।

बहुत पहले कि नहीं बस 20-30 बरस पहले समय का पहिया पीछे घुमाकर मैं अपने स्वयं के अनुभव से कहता हूं की हमारे क्षेत्र में दुर्भाग्य से लड़की का जन्म हो जाए तब वह रत्न नहीं होती। ‘लक्ष्मी’ तो खैर मजबूरी में बोले जाने वाला शब्द रहा है। लड़की का जन्म होने पर सोहर कुछ ऐसे होता था :-
“जन्में का रहें राजा दशरथ,जन्मी मन तूरा।
बाजैक रही बधइया, बाजे हरकोला।।

इस अवधी सोहर? का मतलब यह है कि-
राजा दशरथ यानी पुत्र का जन्म होना था लेकिन जन्मी लड़की (मन तोड़ने वाली)।
लड़का होता तो बधाइयां बजती लड़की हुई है इसलिए हरकोला बजेगा।

लड़की के जन्म लेने पर न थाली बजती थी, न मिठाई बंटती थी।
छठ और बरहों के नाम पर बस खाना पूरी होती थी। नेग-उपहार कोई मांगता नहीं था, सब सांत्वना देते थे कि कोई बात नहीं अगली बार लड़का हो जाएगा। लड़की का मुंडन संस्कार केवल नाऊ को बुलाकर बिना किसी धूमधाम के करा दिया जाता था और कर्ण छेदन तो होता ही नहीं था। सीधे ब्याह होता था। पढ़ाई भी आठवीं के आगे बहुत कम लड़कियों की होती थी।

आज देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में प्रथम चार स्थान पाने वाली और अपने पहले ही प्रयास में 13वीं रैंक लानी वाली विदुषी सिंह जैसी लड़कियों को देखता हूं तो सोचता हूँ कि हम कितने गलत थे। हालांकि समाज पहले से बहुत बदला है। अब लड़कियों को पहले की अपेक्षा काफी हद तक मान-सम्मान मिलने लगा है लेकिन अभी और बदलाव की जरूरत है। खैर, उक्त सभी बेटियों को बहुत बहुत बधाई और उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं

आशा विनय सिंह बैस, लेखिका#Vichar

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