।।गजल।।
दो दिन की मुलाक़ात में
दुनिया बदल गई थी।
हम तुम में खो गए थे
तुम मुझमें खो गयी थी।।
तन्हाईयों में पाकर
किया प्यार मुझको जीभर
पागल सा कर दिया था
पागल सी हो गयी थी।।
है बात दोपहर की
हम-तुम थे खोये-खोये
जीभर रुलाया मुझको
और खुद भी रो रही थी।।
कैसे रहेंगे हम-तुम
होकर जुदा बता दो
हम तुमसे कह रहे थे
तुम मुझसे कह रही थी।।
गजलकार : पारो शैवलिनी, चित्तरंजन (पश्चिम बंगाल)