कोलकाता (गंगासागर)। सब तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार! यह नारा सदियों से यूं ही नहीं चला आ रहा है। मान्यता है कि गंगासागर में मकर संक्रांति पर पुण्य स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, तभी तो जीवन-मरण के फेर से मुक्ति पाने की कामना लेकर हर साल देश- दुनिया से लाखों की संख्या में तीर्थयात्री तमाम तकलीफें झेलकर यहां पहुंचते हैं। मोक्ष धाम के रूप में परिचित गंगासागर मकर संक्रांति की पावन बेला में फिर पुण्य स्नान कराने के लिए तैयार है। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में गंगा सागर मेला लगा हुआ है।
यहां हर साल मकर संक्रांति पर दूर-दूर से श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं। गंगा सागर वो जगह है, जहां से गंगा नदी बंगाल की खाड़ी के जरिए समंदर में मिलती है। मेला क्षेत्र को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया है। गंगासागर को लेकर लोगों में भारी उत्साह है। धीरे-धीरे देश और दुनिया के साधु-संत और श्रद्धालु गंगासागर मेले में पहुंचने शुरू हो गए हैं। मकर संक्रांति से पहले ही श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में डुबकी लगाना शुरू कर दिया है।
मेला मकर संक्रांति के बाद 17 जनवरी तक चलेगा। इस बार न तो कुंभ मेले का आयोजन हो रहा है और न ही देश में कोरोना का बहुत ज्यादा असर है इसलिए पिछले दो साल की तुलना में इस बार कहीं ज्यादा संख्या में तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद की जा रही है। इस बार मेले में 30 लाख से अधिक लोगों के आने की उम्मीद है। मेले को लेकर राज्य सरकार ने बड़े स्तर पर व्यवस्था की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद इसकी सारी व्यवस्थाओं को देख रही हैं।
इसके साथ ही उन्होंने मंत्रिमंडल के दस से अधिक मंत्रियों की अलग-अलग जगह ड्यूटी भी लगाई है। बाता दें कि हर साल जनवरी महीने में मकर संक्रांति के आसपास गंगासागर मेले का आयोजन किया जाता है। यह पश्चिम बंगाल राज्य में सागर द्वीप या ‘सागरद्वीप’ में होता है। मकर संक्रांति मकर संक्रांति के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा नदी में पवित्र डुबकी लगाने के लिए सागर द्वीप जाते हैं।