नई दिल्ली। वायुसेना में तकनीकी क्षेत्र में कार्य करने के बावजूद मैं हिंदी पखवाड़ा, हिंदी सप्ताह, हिंदी दिवस के कार्यक्रमों में भाग लेता रहता था। वायुसेना स्टेशन बैरकपुर में हिंदी पखवाड़ा के ‘निबंध लेखन’ में मुझे प्रथम पुरस्कार मिला तो तत्कालीन अनुवाद अधिकारी मनोज कुमार पाठक जी ने मुझे बुलाया और पूछा-“विनय, तुमने यह खुद लिखा है या कहीं से कॉपी करके रट लिया है?”
मैंने कहा – “सर, मैंने खुद ही लिखा है। आप विश्वास करिए।”
इस पर पाठक सर बोले- “हिंदी पखवाड़ा समाप्त होने के पश्चात तुम मुझसे मिलना। फिर मैं तुम्हारी अलग से परीक्षा लूंगा।”
मैंने कहा- “ठीक है सर।”
एक दिन पाठक सर ने फोन करके मुझे बुलाया और कुछ पेपर देते हुए कहा -” यह स्टेशन के एक डीएससी के कोर्ट मार्शल की अंग्रेजी प्रति है। तुम्हें इसका हिंदी अनुवाद करके एक सप्ताह में देना है। इसके बदले, मैं तुम्हें कुछ दूंगा।”
मैंने तुरंत ही हां कर दिया और एक हफ्ते के अंदर अनुवाद करके पाठक सर को वापस भी कर दिया। इस पर वह बोले- “विनय वह निबंध तुमने ही लिखा था, अब मुझे विश्वास हो गया है क्योंकि अनुवाद भी तुमने ठीक-ठाक ही किया है।”
फिर कुछ सोचकर बोले -“तुम अनुवाद के क्षेत्र में अपना कैरियर क्यों नहीं बनाते?”
उस समय मेरे पास तकनीकी क्षेत्र में डिप्लोमा था, AME के सेकंड पेपर की तैयारी कर रहा था और इसी क्षेत्र में कैरियर बनाने के बारे में सोच रहा था। अनुवाद क्षेत्र के बारे में मुझे कोई खास जानकारी भी नहीं थी।
लेकिन पाठक सर आश्वस्त थे। उन्होंने अगली तिमाही में मेरा नाम केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो में अनुवाद प्रशिक्षण के लिए भेज दिया। परंतु हमारे सीओ साहब ने अनुमति नहीं दी। अगली बार पाठक सर ने सीओ साहब से खुद फोन करके मेरा नाम अनुवाद प्रशिक्षण के लिए भेजने का अनुरोध किया किंतु वह नहीं माने। सीओ साहब बोले- “एक QAS इंस्पेक्टर के अनुवाद प्रशिक्षण का कोर्स करने से इस यूनिट और एयरफोर्स को क्या लाभ होगा?” उन्होंने यह कहकर फोन रख दिया।
लेकिन पाठक सर ने हार नहीं मानी और जैसे ही मैं तेजपुर गया उन्होंने मेरा नाम अनुवाद प्रशिक्षण के लिए केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो भेज दिया। इस बार वहां के सीईओ ने भी अनुमति दे दी। केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो के तीन महीने की प्रशिक्षण अवधि में मैंने बहुत कुछ सीखा और जाना। कोर्स के उपरांत मुझे कांस्य पदक भी मिला।
इस कोर्स के बाद मैंने अनुवाद क्षेत्र को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया। इसका परिणाम यह रहा कि रिटायरमेंट के समय ESIC, NSFDC और लोकसभा सचिवालय तीन विभागों के अनुवादक के नियुक्ति पत्र मेरे हाथ में थे।
आज शिक्षक दिवस के दिन पाठक सर के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए उन्हें नमन करता हूं जिन्होंने मेरी छुपी प्रतिभा को पहचाना और मुझे अनुवाद क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया।
#शिक्षकदिवस
(विनय सिंह बैस)
पाठक सर के शिष्य