विनय सिंह बैस की कलम से…केंद्रीय सचिवालय!!

नई दिल्ली । राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट की तरफ चलिए तो बाई तरफ नार्थ ब्लाक, दाहिनी तरफ साउथ ब्लॉक और कर्तव्य पथ के रास्ते नाक की सीध में चले जाइए तो इंडिया गेट, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति और उसके पीछे राष्ट्रीय समर संग्रहालय आता है। इतिहास की बात करें तो सन् 1911 में ब्रिटिश सरकार ने दिल्‍ली को राजधानी के तौर पर अपनाया। इसके बाद एडविन लुटियंस ने यहां पर राष्‍ट्रपति भवन (वाइसराय हाउस) का निर्माण किया। लुटियंस जहां दिल्‍ली की कई अहम इमारतों की डिजाइन में लगे थे तो हरबर्ट बेकर को दक्षिण अफ्रीका से बुलाया गया।

बेकर को केंद्रीय सचिवालय के डिजाइन की जिम्‍मेदारी दी गई। उन्‍होंने रायसीना हिल में केंद्रीय सचिवालय के दो अहम ब्‍लॉक नॉर्थ और साउथ ब्‍लॉक को डिजाइन किया। नॉर्थ और साउथ ब्‍लॉक्‍स में चार स्‍तर हैं और करीब 1,000 कमरें हैं। इन इमारतों को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि एक साथ आने पर यह दो चतुर्भुज बना सकें। इमारतों का ज्‍यादातर वास्तु मुगल और राजस्‍थानी संस्‍कृति से प्रभावित है। दोनों इमारतों पर गुंबद हैं जिसे छतरी कहा जाता है।

13 फरवरी 1931 में बतौर राजधानी लॉर्ड इरविन ने दिल्‍ली का उद्घाटन किया। इसके साथ ही इन इमारतों में कामकाज भी शुरू हो गया। इसके पहले सारे सरकारी कार्यालय पुराने सचिवालय में हुआ करते थे। आज पुराने सचिवालय में दिल्‍ली की विधानसभा है। वर्तमान में नॉर्थ और साउथ ब्‍लॉक, केंद्रीय सचिवालय का हिस्‍सा हैं। भारत सरकार के कई महत्वपूर्ण मंत्रालय यहीं पर हैं। नार्थ ब्लॉक में वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय और कार्मिक और प्रशिक्षण मंत्रालय है जबकि साउथ ब्लॉक में प्रधानमंत्री कार्यालय, रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय हैं। यहां से संसद भवन का परिसर भी बस कुछ ही दूरी पर है।

संसद भवन के पुनर्विकास से जुड़ी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत साउथ ब्लॉक में बनने वाले संग्रहालय में 1857 से पहले की ऐतिहासिक विरासत को संजोया जायेगा, जबकि नॉर्थ ब्लॉक में 1857 से 1947 तक जंग-ए- आजादी के इतिहास की यादें ताजा की जा सकेंगी। उल्लेखनीय है कि आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित इस योजना को तीन चरणों में पूरा किया जा रहा है। पहले चरण में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर के दायरे में मौजूद ‘सेंट्रल विस्टा’ क्षेत्र को नया रूप दे दिया गया है। जबकि मौजूदा और भविष्य की जरूरतों के मुताबिक संसद भवन की नयी इमारत का निर्माण 2022 तक और तीसरे चरण में सभी केन्द्रीय मंत्रालयों को एक ही स्थान पर समेकित करने के लिये प्रस्तावित समग्र केन्द्रीय सचिवालय का निर्माण 2024 तक करने का लक्ष्य है।

हमारे वरिष्ठ सहयोगी सुबोध सर नॉर्थ ब्लॉक में पूरे दस वर्ष कार्य कर चुके हैं। आज वह मुझे अपने पुराने ऑफिस घुमाने के लिए ले गए तथा वहां के विभिन्न मंत्रालयों और इमारत के बारे में जानकारी दी। नार्थ ब्लाक के बाहर बनी हुई गुंबद नुमा छतरियों को देखकर मैंने पूछा-” सर यह छतरियां क्यों बनाई गई होंगी? ”
सुबोध सर बोले – “धूप और बारिश से बचने के लिए। हो सकता है लोग इन छतरियों के नीचे खड़े होकर राजपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस की परेड देखते हों, जो यहीं से शुरू होती है।”

मैंने पूछा- “गणतंत्र दिवस तो साल में एक दिन आता है। बाकी के 364 दिन इन छतरियों का क्या उपयोग होता है?”
सुबोध सर बोले- “बाकी दिन लोग यहां पर अपनी गर्लफ्रेंड के साथ आकर टाइम बिताते हैं, फ़ोटो खिचवाते हैं।”
मैंने पूछा- “सर, आपने भी कभी 364 दिन वाली इस सुविधा का लाभ लिया है?”
सुबोध सर ने इसका कोई उत्तर नहीं दिया। बस मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा भर दिए।

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