विनय सिंह बैस, नई दिल्ली । त्रेता युग में यह सीख मिली कि :-
1. अहंकार, महाबली और काल को पैरों तले रखने वाले रावण का भी नहीं टिक पाता है।
2. प्रकांड विद्वान और शिव स्त्रोत का रचयिता भी अपने दुष्कर्मों से राक्षस बन जाता है।
3. अगर देश का राजा तामसी प्रवृत्ति का हो तो राज्य नष्ट होने में देर नहीं लगती।
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4. भगवान राम से बैर रखने वालों का विनाश होना तय है।
कलयुग में श्रीलंका से यह सीख मिली कि :-
1. लोकतंत्र में परिवारवाद किसी भी देश की लंका लगा देता है।
2. मुफ्त की लोकलुभावन योजनाएं हंसते-खेलते देश का बंटाधार कर देती हैं।
3. नोबेल पुरस्कार कई अर्थशास्त्रियों को उनके ज्ञान के लिए नहीं बल्कि किन्हीं अन्य कारणों से मिला है।
4. किसी दूसरे देश का वीजा प्राप्त करने के लिए केवल धन और उत्तम चरित्र पर्याप्त नहीं होता। कई बार… का भी सहारा लेना पड़ता है।
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सबसे प्रमुख सीख यह कि देश बर्बाद हो जाए, जनता सड़क पर आ जाये, लोगों को खाने-पीने के वांदे हो जाएं लेकिन…पंथियों का किसिंग, स्मूचिंग चालू रहता है…