विनय सिंह बैस की कलम से… अग्निपथ योजना की सफलता या बढ़ती बेरोजगारी का प्रकटीकरण!

नई दिल्ली । 05 जुलाई को वायु सेना में अग्निपथ योजना के अंतर्गत ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि समाप्त हुई तो साढ़े तीन हजार पदों के लिए लगभग साढ़े सात लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसे लोग अग्निपथ योजना की सफलता मान रहे हैं। लेकिन मैं इसे सिर्फ बढ़ती बेरोजगारी का प्रकटीकरण मानता हूं।

अभी कुछ दिन पूर्व उत्तर प्रदेश में चपरासी के पद के लिए पीएचडी, एमबीए धारक छात्रों सहित लाखों लोगों ने आवेदन किया था तो क्या इसका मतलब यह हुआ कि चपरासी की नौकरी बहुत अच्छी होती है??
बल्कि इसका मतलब यह हुआ कि देश में बेरोजगारी बहुत है।

अग्निवीरों के लिए विभिन्न राज्य सरकारों, पीएसयू और अर्धसैनिक बलों यहां तक कि कुछ निजी कंपनियों ने भी आरक्षण की घोषणा कर रखी है। अग्निपथ योजना तो खैर पायलट योजना की तरह है, इसके परिणाम आने अभी शेष हैं। लेकिन 15-20 साल सेवा करने के बाद पूर्ण प्रशिक्षित पूर्व सैनिकों को कहां-कहां पर और किस पद पर कितना रिजर्वेशन मिलता है यह भी जान लीजिए :

1. हरियाणा, उत्तराखंड जैसे कुछ राज्यों में पूर्व सैनिकों के लिए ग्रुप ए तक आरक्षण है।

2. देश के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में अभी कुछ वर्षों पूर्व तक सिर्फ ग्रुप सी और ग्रुप डी में आरक्षण था। योगी जी की सरकार आने के बाद ग्रुप बी में 5% आरक्षण मिला है। हालांकि 69,000 वाली शिक्षकों की भर्ती में सरकार के तुगलकी नियमों के कारण बमुश्किल 1% पूर्व सैनिक ही शिक्षक बन पाए।

3. जिस राज्य बिहार में अग्निपथ योजना का सबसे अधिक हिंसक विरोध हुआ, उस राज्य में पूर्व सैनिकों के लिए किसी भी ग्रुप में कोई आरक्षण नहीं है। जी हां, बिल्कुल ठीक सुना आपने। बिहार सरकार पूर्व सैनिकों को चपरासी के पद के योग्य भी नहीं समझती है।

4. यह बात तो ठीक है कि वर्षो से ठंडे बस्ते में पड़ी OROP योजना 2014 में लागू की गई। लेकिन OROP की जगह OR5P दिया गया। उसका भी revision पांच साल बाद यानी 2019 में होना था जो न्यायालय के आदेश के बावजूद अब तक नहीं हुआ है।

5. केंद्र सरकार में सिर्फ ग्रुप डी और ग्रुप सी में पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण है। यानी अत्याधुनिक वायुयानों, पोतों और तोपों में कार्य करने वाले पूर्व सैनिकों को सिर्फ चपरासी और क्लर्क के योग्य समझा जाता है।

6. कुछ सरकारी संगठनों में तो पूर्व सैनिकों की पुरानी सेवा भी काउंट नहीं की जाती है। इसके कारण उन्हें सरकारी आवास तक नहीं मिल पाता है।
और
7. सबसे बड़ी विडंबना यह है कि सेना में सेवा करने के पश्चात अगर आप पूर्व सैनिक के रूप में सरकारी सेवा में जाना चाहते हैं तो केंद्र में सिर्फ ग्रुप सी और ग्रुप डी में आरक्षण मिलेगा। लेकिन जाति के आधार पर आपको सरकारी सेवाओं में आयु सीमा में छूट भी मिलेगी, सरकारी आवास में प्राथमिकता मिलेगी, ग्रुप डी से लेकर ग्रुप ए तक आरक्षण मिलेगा और पदोन्नति में भी आरक्षण मिलेगा।

यानी सिविल में जाति सत्य है, सैन्य सेवा मिथ्या है।
बाकी जो है सो तो हइये है।

Vinay Singh
विनय सिंह बैस

(एयर वेटेरन विनय सिंह बैस)

(नोट : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व व्यक्तिगत है। इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)

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