आशा विनय सिंह बैस की कलम से : भागवत कथा

रायबरेली। जंबूद्वीप भारत खंड के उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के बरी नामक गांव में एक बार भागवत कथा हो रही थी। गुरुजी प्रवचन कर रहे थे- “भक्तों दारू से दिल ना लगाना। शराब सिर्फ मन ही नहीं आत्मा का भी नाश करती है। पैसा, इज्जत, शोहरत सब कुछ बर्बाद कर देती है। तो भक्तों आज से सब लोग कसम खाओ कि दारू को हाथ नहीं लगाओगे।” भक्तजन -“एक स्वर से- गुरु जी हम आज से शपथ लेते हैं कि दारु को हाथ नहीं लगाएंगे।”
“बहुत बढ़िया। अब अगली कथा सुनाता हूँ…..”

गुरुजी बस इतना ही बोल पाए कि भक्तजन देखते हैं कि एक युवा व्यक्ति लड़खड़ाता हुआ कथा-स्थल की ओर चला आ रहा है और गुनगुना रहा है – “थोड़ी सी जो पी ली है…चोरी तो नहीं की है, डाका तो नहीं डाला।”
थोड़ा और पास आने पर लोगों ने पाया कि यह तो कथा करने वाले गुरुजी का ही बेटा है और इससे पहले कि लोग कुछ कहते या करते गुरुजी का बेटा पास की नाली में धड़ाम से गिर पड़ा। हालांकि उसने गजल गुनगुनाना नहीं छोड़ा-
“ओ जूली, ओ शीला, ओ रानो, जमालो…
कोई हमको रोको, कोई तो संभालो
कहीं हम गिर न पड़ें…
थोड़ी सी जो पी ली है…..

तभी पता नहीं कहां से एक कुतिया आ गई और उस युवा गजल प्रेमी का मुंह चाटने लगी। गुरुजी के बेटे ने ‘प्यार के बदले प्यार’ किया और कुतिया की पीठ पर हौले से हाथ फिराया। धीरे-धीरे उनका हाथ कुतिया की पूंछ तक पहुंच गया और वह मदिरा प्रेमी व्यक्ति कुतिया की पूंछ हाथ में आते ही चौंक गया – “पप्पू की मां, तुम हमेशा दो चोटी करती थी। आज एक ही चोटी करके आई हो??”

यह सुनते ही वहां आसपास मौजूद सभी भक्त जन जोर-जोर से हंसने लगे। कुछ ने आगे बढ़कर गुरु जी से ही प्रश्न कर डाला। “गुरुजी आप खुद तो दुनिया भर को मद्यपान न करने की सलाह दे रहे हैं और आपका खुद का बेटा इतना बड़ा नशेड़ी है कि वह कुतिया की पूंछ और पप्पू की मां की चोटी में अंतर नहीं कर पा रहा है?? ऐसे प्रवचन का क्या लाभ- पर उपदेश सरिस बहुतेरे??”

गुरुजी कुछ देर शांत रहे और फिर अत्यंत गंभीर स्वर में बोले- “मेरा बेटा मुझसे भी बड़ा, कथावाचक है, उपदेशक है।”

लोग गुस्से में बोल पड़े -“गुरुजी, आप भी कितना घटिया मजाक करते हो। यह नशेड़ी जिसे दीन-दुनिया का पता नहीं चल रहा, वह आपसे बड़ा उपदेशक कैसे हो गया??”

गुरुजी जी निर्लिप्त भाव से बोले-” मैं थ्योरी सुनाता हूं, वह प्रैक्टिकल करके दिखाता है। मैं बस कहता हूं कि शराब पीना हानिकारक है। वह करके दिखाता है कि शराब पीना सचमुच कितना अधिक हानिकारक है।
बताओ वह मुझसे बड़ा उपदेशक हुआ या नहीं?” भक्तगण निरुत्तर हो गए।
इसलिए भक्तों आज से बल्कि अभी से अंगूर की बेटी से रिश्ता तोड़ लो!!

आशा विनय सिंह बैस, लेखिका

#AntiDrugDay

(आशा विनय सिंह बैस)
गांव-बरी, पोस्ट-मेरुई, जनपद-रायबरेली (उत्तर प्रदेश)

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