बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की हालत अब भी नाजुक

कोलकाता पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की हालत सोमवार को भी नाजुक बनी हुई है और वह ‘इनवेसिव वेंटिलेशन’ पर हैं। उनका इलाज कर रहे चिकित्सकों ने बताया कि भट्टाचार्य (79) के सीने का सुबह सीटी स्कैन किया गया। उनका इलाज कर रहे विशेषज्ञों के एक दल में शामिल एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया, ‘‘बुद्धदेव भट्टाचार्य की हालत नाजुक लेकिन स्थिर है। वह अब भी ‘इनवेसिव वेंटिलेशन’ पर हैं। हमने आज सुबह उनके सीने का सीटी स्कैन किया। उपचार से उनकी हालत में सुधार आ रहा है।’

‘इनवेसिव वेंटिलेशन’ में सामान्य नैसर्गिक श्वसन के साथ-साथ उपकरण की मदद से कृत्रिम श्वसन दिया जाता है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता भट्टाचार्य की आज कुछ जांच हो सकती है जिससे उनके फेफड़ों में संक्रमण की गंभीरता का पता लगाने में मदद मिलेगी। उन्हें इस संक्रमण के कारण शनिवार दोपहर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चिकित्सक ने बताया कि चिकित्सा दल जांच के नतीजों के आधार पर आगे की कार्रवाई पर फैसला लेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘उनका रक्तचाप और रक्त में ऑक्सीजन सांद्रता संतोषजनक स्तर पर है लेकिन उनकी हालत खतरे से बाहर नहीं है। कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद उनके फेफड़ों पर बहुत बुरा असर पड़ा है। हम इसका भी मूल्यांकन करने की कोशिश कर रहे हैं। हमें 24 घंटे और इंतजार करना पड़ेगा।’’

भट्टाचार्य को सांस लेने में दिक्कत के कारण अलीपुर के वुडलैंड्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था और उनमें श्वसन नली के निचले भाग में संक्रमण और ‘टाइप-2’ श्वसन संबंधी परेशानी की पुष्टि हुई थी। वह काफी समय से सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और उम्र संबंधी स्वास्थ्य जटिलताओं से जूझ रहे हैं। भट्टाचार्य ने पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्योति बसु के स्थान पर 2000 में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था। वह 2011 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे।

2011 में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया था और पश्चिम बंगाल में माकपा नीत वाम मोर्चा का 34 साल से चला आ रहा शासन समाप्त हो गया था। इसके बाद भट्टाचार्य स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते लंबे समय तक सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए।

उन्हें सार्वजनिक रूप से आखिरी बार तब देखा गया था जब वह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में वाम दल की रैली में अचानक पहुंच गए थे और तब भी ऑक्जीसन प्रणाली की मदद ले रहे थे। उन्होंने 2015 में माकपा की पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी से इस्तीफा दे दिया था और फिर 2018 में पार्टी के राज्य सचिवालय की सदस्यता भी छोड़ दी थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 + 16 =