आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा आहूत बंद को लेकर बालुरघाट में मारपीट, कॉमबैट फोर्स तैनात

दक्षिण दिनाजपुर। आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा आहूत बंद को लेकर बालुरघाट में काफी तनाव है। बीमार मरीजों को ले जा रहे टोटो के टायर को हंसुआ से काट दिया गया। इसके विरोध में स्थानीय लोगों ने सड़क जाम कर दी और आदिवासी युवकों के साथ मारपीट की।

सूचना मिलने पर पुलिस पहुंची तो पुलिस को भी घेर लिया। सोमवार दोपहर हुई इस घटना को लेकर बालुरघाट के साधना मोड़ इलाके में अफरातफरी का माहौल बन गया। स्थिति को सामान्य करने के लिए भारी पुलिस बल के साथ कॉमबैट फोर्स को तैनात किया गया है।

आदिवासी सेंगेल अभियान के तहत विधाननगर में राष्ट्रीय राजमार्ग 31 को किया जाम

सिलीगुड़ी। आदिवासी सेंगेल अभियान के आहुत 12 घंटे के बंद के तहत दार्जिलिंग जिला कमेटी ने सिलीगुड़ी के विधाननगर में राष्ट्रीय राजमार्ग 31 को जाम कर दिया। इस बांग्ला बंद को सफल बनाने के लिए संगठन के आदिवासी कार्यकर्ता अपने परंपरागत बाजे गाजे के साथ सड़कों पर उतर आये। दूसरी ओर किसी प्रकार की अप्रीय घटना को रेकने के लिए फांसीदेवा थाने से भारी पुलिस बल तैनात किया गया।

राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर पुलिस के उच्च पदस्थ अधिकारी मौजूद थे। दार्जिलिंग जिला कमेटी की ओर से रेणुका मड्डी ने कहा कि जिस तरह से आदिवासियों के खिलाफ दिन-ब-दिन अभियान चलाया जा रहा है और हमारे अधिकारों को छीना जा रहा है, हमारा आंदोलन इसके खिलाफ है। उन्होंने हमारी मांगें पूरी नहीं होने पर बड़े आंदोलन का आह्वान किया है।

डर्विन के विकासवाद के सिद्धांत को पाठ्यक्रम से हटाने के विरोध में सिलीगुड़ी में शिक्षक संगठनों ने निकाली रैली

सिलीगुड़ी। डर्विन के विकासवाद के सिद्धांत को पाठ्यक्रम से हटाने पर विद्यार्थियों को बहुत बड़ा नुकसान होगा। उन्हें आधुनिक विज्ञान के बारे में कुछ पता नहीं चलेगा। ऐसा मानना है विभिन्न शिक्षक संगठनों का। सरकार के इस फैसले के खिलाफ एसएनएपी फाउंडेशन, पश्चिम बंगाल विज्ञान मंच, स्वान, जीईपीएस, एनएएफ और विभिन्न शिक्षक संगठनों ने एक साथ आकर सोमवार दोपहर सिलीगुड़ी के बाघायोतिन पार्क से विरोध मार्च निकाला।

यह विरोध मार्च शहर के मुख्य मार्गों से गुजरा। शिक्षक संगठनों ने आरोप लगाया है कि पाठ्यक्रम से डर्विन के विकासवाद के सिद्धांत को हटाने से विज्ञान के लिए एक बड़ा नुकसान होगा। छात्रों को आधुनिक विज्ञान के बारे में कुछ भी पता नहीं होगा। परिणामस्वरूप यह मांग की गई कि इस विषय को 9 वीं और 10 वीं कक्षा के पाठ्यक्रम से बाहर नहीं किया जाना चाहिए।

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