कोलकाता। बंगाल की खाड़ी में उठे मिचौंग चक्रवात के प्रभाव से लगातार छह दिनों तक हुई बारिश से भले ही पश्चिम बंगाल में किसी की जान नहीं गई लेकिन किसानों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। किसान संगठनों ने राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई है।पश्चिम बंगाल किसान कांग्रेस के नेता तपन दास ने कहा कि लगातार बारिश के बाद बंगाल में धान और आलू के किसानों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है।
छह दिनों तक बारिश होती रही और किसान परेशान रहे लेकिन राज्य सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आया। ना ही किसानों को अलर्ट किया गया। उन्होंने कहा कि तुरंत सरकार को नुकसान का आंकलन कर मुआवजे की घोषणा करनी चाहिए।
राज्य में विपक्ष के नेता (एलओपी) शुभेंदु अधिकारी ने ममता सरकार से प्रभावित किसानों को राहत और सहायता प्रदान करने की अपील की है। मुख्य सचिव एच.के. द्विवेदी को लिखे पत्र में एलओपी ने कहा कि लगातार बारिश के कारण आलू किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, क्योंकि उनके खेत जलमग्न हो गए हैं।
ज्यादा संभावना है कि उनकी फसल पानी में खराब हो जाएगी। पत्र की प्रति हिन्दुस्थान समाचार के पास है।उन्होंने लिखा है कि राज्य सरकार द्वारा असामयिक बारिश के बारे में पहले से जानकारी देने वाले जागरूकता अभियान की कमी के कारण जिन धान किसानों की फसल अभी तक नहीं कटी है, वे भी अधिक वित्तीय नुकसान की ओर बढ़ रहे हैं।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को तत्काल निरीक्षण कर यह आंकलन करना चाहिए कि किसानों को प्रति क्विंटल कितना मुआवजा देना होगा। ऋणों के पुनर्मूल्यांकन का भी सुझाव दिया और किसानों को हुए वित्तीय नुकसान को ध्यान में रखते हुए पुनर्भुगतान प्रक्रिया में छूट की पेशकश की।
पत्र में लिखा है कि आलू उत्पादकों को पंजाब से आलू के बीज उपलब्ध कराए जाने चाहिए, क्योंकि वहां आलू की पैदावार बहुत ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि कृषि कार्य एक महंगी प्रक्रिया हो गई है और खाद की कालाबाजारी के कारण यह और भी महंगी हो गई है।
राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों तक खाद की बोरियां केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित वास्तविक मूल्य पर पहुंचे। उल्लेखनीय है कि मिचौंग के प्रभाव से पिछले हफ्ते लगातार बारिश बंगाल में भी हुई थी। चेन्नई में हुई बारिश की वजह से 18 लोगों की जान चली गई थी।
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